रीवा के एमपीआरडीसी और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन पर वन विभाग ने दर्ज किया मामला, मचा हड़कंप, जानिए वजह

एमपीआरडीसी रीवा और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ वन विभाग ने बड़ी कार्रवाई की है। इस कार्रवाई से हड़कंप मच गया है। पीओआर पंजीबद्ध करने के बाद अब अधिकारियों पर दबाव डालना शुरू हो गया है। मामले में लीपापोती की तैयारी है।

रीवा के एमपीआरडीसी और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन पर वन विभाग ने दर्ज किया मामला, मचा हड़कंप, जानिए वजह
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भारत सरकार से पर्यावरणीय स्वीकृति मिले ही एजेंसी और कंस्ट्रक्शन कंपनी ने बना डाली सड़क
सैद्धांतिक मंजूरी तक नहीं मिली, फिर भी शुरू कर दिया था सड़क चौड़ीकरण का काम
रीवा। एमपीआरडीसी और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी को नियमों की धज्जियां उडऩा भारी पड़ गया। नियम विरुद्ध तरीके से वन क्षेत्र में सड़क का निर्माण कर डाले। इसकी स्वीकृति भारत सरकार से आने का इंतजार तक नहीं किए। प्रक्रिया प्रचलन में थी और पूरी सड़क ही तैयार कर दी। करीब 30 हेक्टेयर वन भूमि सड़क चौड़ीकरण में प्रभावित हुई। पूर्व के अधिकारी एमपीआरडीसी और कंस्ट्रक्शन कंपनी को बचाने में लगे रहे। वहीं नए डीएफओ आए तो उन्होंने कार्रवाई के निर्देश दे दिए। निर्माण एजेंसी और कंस्ट्रक्शन कंपनी पर रीवा रेंज ने मामला पंजीबद्ध कर लिया है।
मिली जानकारी के अनुसार एमपीआरडीसी गोविंदगढ़ से भैसरहा मार्ग का चौड़ीकरण का काम कर रहा है। फोरलेन सड़क बना रहा है। सूत्रों की मानें तो इस मार्ग का टेंडर होने के बाद शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी ने वन विभाग से वन भूमि का क्लीयरेंस नहीं लिया। आवेदन तो किया लेकिन भारत सरकार यानि पर्यावरण एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय से अनुमति आने का इंतजार नहीं किया। अनुमति मिलने के पहले ही एमपीआरडीसी और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी ने काम शुरू कर दिया। सड़क का चौड़ीकरण कर अधिकांश सड़क बना डाली गई। इसकी जानकारी जब वन विभाग को हुई तो डीएफओ ने रेंजर रीवा को जांच कर कार्रवाई के निर्देश दे दिए। डीएफओ के निर्देश पर जांच के बाद मामले में वन अपराध यानि पीओआर पंजीबद्ध कर लिया गया है। इस कार्रवाई ने रीवा से लेकर भोपाल तक हड़कंप मचा दिया है। वन विभाग ने मामले में कार्रवाई तो कर दी लेकिन अब दबाव पर लीपापोती की कार्रवाई भी शुरू कर दी गई है। मामले को दूसरी तरफ मोल्ड करने की तैयारी है। जुर्माना लगाकर मामले को रफादफा करने की तैयारी चल रही है।
करीब 30 हेक्टेयर भूमि फंस रही
गोविंदगढ़ से भैसरहा मार्ग पहले से ही बना हुआ था। इस मार्ग को चौड़ीकरण किया जाना है। इस मार्ग में करीब 10 हेक्टेयर भूमि पुरानी सड़क की फंस रही थी। इसके अलावा 30 हेक्टेयर भूमि चौड़ीकरण में आ रही थी। इसी वन भूमि के लिए स्वीकृति वन विभाग और केन्द्र सरकार से लेना था। एमपीआरडीसी ने अनुमति मिलने के पहले ही काम शुरू कर दिया। वन मंत्रालय मप्र शासन से भी सैद्धांतिक अनुमति नहीं मिली। बिना सैद्धांतिक अनुमति लिए ही काम शुरू कर दिया गया।
भारत सरकार के पास लंबित है फाइल
गोविंदगढ़ से भैसरहा मार्ग के निर्माण में वन विभाग की भूमि भी फंस रही थी। कई पेड़ पौधे भी प्रभावित हो रहे थे। वन भूमि में सड़क निर्माण के पहले निर्माण एजेंसी और कंस्ट्रक्शन कंपनी को वन विभाग से स्वीकृति लेनी पड़ती है। एमपीआरडीसी ने इसके लिए वन विभाग के पास आवेदन किया था। आवेदन स्वीकृति के लिए भोपाल और भारत सरकार पर्यावरण मंत्रालय के पास भेज दिया गया था। इस मामले में केन्द्र सरकार से अभी तक स्वीकृति नहीं मिल पाई है।


एजेंसी और कंपनी के खिलाफ दर्ज किया प्रकरण
नियम विरुद्ध तरीके से बिना स्वीकृति मिले ही वन भूमि पर सड़क निर्माण किए जाने पर वन विभाग ने पीओआर पंजीबद्ध कर दिया है। एमपीआरडीसी के महाप्रबंधक और शिव शक्ति कंस्ट्रक्शन कंपनी के खिलाफ मामला पंजीबद्ध किया गया है। यह लंबे समय से मामला वन विभाग के अधिकारियेां के संज्ञान में था। वन विभाग के अधिकारियों ने कार्रवाई नहीं की। जब डीएफओ रीवा लोकेश निरापुरे की जानकारी में मामला आया तो उन्होंने तुरंत एक्शन लेते हुए पीओआर पंजीबद्ध करा दिया।


मैहर वन मंडल में भी फंस रहा है जंगल
यह अवैध कंस्ट्रक्शन सिर्फ रीवा में ही नहीं किया गया। सड़क गोविंदगढ़ और मैहर वन मंडल से भी होकर गुजरती है। रीवा वन मंडल ने कार्रवाई कर दी। अब मैहर वन मंडल में भी कार्रवाई की तैयारी है। इतना ही नहीं कुछ हिस्सा सीधी वन मंडल में भी फंस रहा है। तीन वन मंडल में सड़क की भूमि फंसने के बाद भी ठेकेदार और एमपीआरडीसी ने नियम विरुद्ध सड़क का निर्माण कार्य करा दिया।
अब मामले में लीपापोती की तैयारी
प्रकरण दर्ज किए जाने के बाद अब वन विभाग में हड़कंप मच गया है। एमपीआरडीसी और कंस्ट्रक्शन कंपनी का दबाव अधिकारियों पर बढऩे लगा है। दबाव बढ़ते ही अब पूरे मामले में लीपापोती की तैयारी भी शुरू हो गई है। सूत्रों की मानें तो पंजीबद्ध मामले को मोल्ड कर जुर्माना लगा कर पूरे प्रकरण को रफादफा करने की योजना बनाई गई है।
अधिकारियों ने कुछ बताने से किया इंकार
इस मामले में अधिकारी कुछ भी बताने से बचते रहे। डीएफओ से संपर्क करने की कोशिश की गई लेकिन कई मर्तबा फोन लगाने के बाद भी उनका फोन रिसीव नहीं हुआ। अन्य अधिकारियों ने इस मुद्दे पर बात करने से ही किनारा कर लिया।