सोना चांदी यूं ही बदनाम, रीवा में तो शराब कारोबार ही तोड़ रहा रिकार्ड, 16 सालों में 10 गुना तक बढ़ गयी सरकारी आय
सोना चांदी यूं ही बदनाम है। जिस तेजी से शराब कारोबार का मुनाफा बढ़ा है। उसके आगे सोना चांदी का दाम भी कुछ नहीं है। रीवा में विकास का साथ शराब कारोबार ने जो थामा तो रुकने का नाम ही नहीं ले रहा है। कारोबार इतनी तेजी से बढ़ा कि हर कोई इसमें शामिल होना चाहता है। 16 सालों में शराब कारोबार 10 गुना तक बढ़ गया। सरकार की कमाई ने रिकार्ड तोड़ दिए। नेता, व्यापारियों ने इसमें इसमें किस्मत आजमाई और जमकर कमाई की। इस वित्तीय वर्ष में शराब दुकान 22 फीसदी अधिक दर पर 422 करोड़ में बिकी है। इससे इन शराब दुकानों से होने वाली कमाई का अंदाजा लगाया जा सकता है।
2010 में सिर्फ 45 करोड़ में बिकी थी रीवा जिला की शराब दुकानें
इस साल आरक्षित मूल्य से 22 फीसदी ज्यादा में उठ गईं
रीवा। सोना के दाम ने रिकार्ड बना दिया है। 1 लाख रुपए तोला तक पहुंच गया है। यह दाम भले ही लोगों को परेशान करे लेकिन रीवा का शराब करोबार भी पीछे नहीं है। 16 सालों में रीवा में शराब का कारोबार दिन दूनी रात चौगुनी तेजी से बढ़ा। 16 साल पहले जहां शराब का कारोबार सिर्फ45 करोड़ का था। अब यह पहुंच कर 420 करोड़ तक पहुंच गया है। रीवा में बढ़ते शराब कारोबार ने सब की नीेंदे उड़ा दी है। इसमें नेता से लेकर राजनेता तक कूद पड़े हैं। इसकी कमाई सभी को आकर्षित कर रही है।
एक तरफ जहां मप्र में शराब बंदी की मांग उठ रही है। वहीं रीवा में तेजी से शराब का कारोबार बढ़ रहा है। शराब का कारोबार हर साल जोर पकड़ रहा है। सरकार 15-20 फीसदी ठेका के आरक्षित मूल्य में वृद्धि कर रही है। इसके बाद भी ठेकेदार से इससे कहीं अधिक में शराब दुकानें हंसते हंसते ले रहे हैं। पिछले 16 सालों के आंकड़ों और सरकार की कमाई पर गौर करेंगे तो यह शराब कारोबार आपको हैरान कर देगा। 2010-11 में रीवा की शराब दुकानों का ठेका सिर्फ 45 करोड़ में हुआ था। यह कारोबार अब बढ़ कर 422 करोड़ का पहुंच गया है। इससे इस शराब कारोबार में मुनाफे का अंदाजा लगाया जा सकता है। इस साल भी शराब की दुकानें करीब 80 करोड़ अधिक में उठ गईं। भले ही इन शराब दुकानों का लाइसेंस महंगा हुआ हो लेकिन शराब पीने वालों में कमी नहीं आई है। शराब की कीमतें बढ़ी लेकिन पीने वाले कम नहीं हुए है। इस कारोबार ने सरकार को मालामाल कर दिया है। रीवा जिस तेजी से बढ़ रहा है। उस तेजी से यहां यह कारोबार भी अपने पैर पसार रहा है।
सतना से कभी आधे में होता था ठेका
रीवा का शराब करोबार कभी ठंडा था। यहां शराब दुकानों का ठेका सतना से कमाई के मामले में काफी पीछे रहता था। अब यह बराबरी में पहुंच गया है। इससे इस रीवा जिला में शराब पीने वाले और यहां की खपत, डिमांड का अंदाजा लगाया जा सकता है। रीवा मेें वैसे तो यहां फैक्ट्री, इंडस्ट्री नहीं है फिर भी लोग इस शौक को तेजी से अपना रहे हैं।
तीन मर्तबा आरक्षित मूल्य से 40 फीसदी ज्यादा में उठी दुकानें
रीवा की शराब दुकानों की डिमांड आप इनकी कीमतों से ही लगा सकते हैं। वर्ष 2010 से अब तक तीन मर्तबा आरक्षित मूल्य से 40 फीसदी ज्यादा में दुकानें गईं। यहां की शराब दुकानें लेने के लिए दूसरे राज्यों और शहरों से भी ठेकेदार जोरआजमाइश करते हैं। इतना ही नहीं इस मुनाफे के धंधे में सफेदपोश और बड़े कारोबार भी उतर आए हैं। इसके कारण इस कारोबार को और बल मिल गया है। यही वजह है कि रीवा का शराब कारोबार तेजी से फल फूल रहा है।
विकास के साथ शराब भी खप रही
रीवा में शराब की डिमांड और खपत यहां के विकास से भी जोड़ कर देखा जा रहा है। सूत्रों का कहना है कि यहां तेजी से विकास हुआ है। पहले सतना इस मामले में आगे था। इसलिए वहां शराब की दुकानें ज्यादा महंगी उठ रही थीं। अब रीवा में यही हालात बन गए हैं। यहां स्टेटस मेंटेन करने के लिए लोगों ने सस्ती शराब का साथ छोड़कर महंगी शराब की तरफ आकर्षित हो गए है। शराब का ठेका महंगा हुआ तो दाम भी बढ़ गए लेकिन पीने वालों की संख्या में कमी नहीं आई। देसी शराब भी दोगुनी दर पर बिक रह है फिर भी लोग खरीद रहे हैं। कम्पोजिट दुकान खुलने से देसी की जगह अब लोग अंग्रेजी पीने लगे हैं।
वर्ष वार्षिक मूल्य वृद्धि
2010-11 45.92 करोड़ -
2011-12 66.05 करोड़ 43.83
2012-13 77.84 करोड़ 17.85
2013-14 93.67 करोड़ 20.33
2014-15 93.79 करोड़ 0.13
2015-16 115.05 करोड़ 22.68
2016-17 111.96 करोड़ -2.69
2017-18 126.68 करोड़ 13.15
2018-19 145.68 करोड़ 15.00
2019-20 174.82 करोड़ 20.00
2020-21 151.51करोड़ -13.33
2021-22 213.66करोड़ 41.02
2022-23 313.93करोड़ 46.93
2023-24 334.58 करोड़ 06.58
2024-25 344.42 करोड़ 2.94
2025-26 422.04 करोड़ 22.54