तैयार हो जाइए, मेडिकल कॉलेज में फिर आने वाली है टेक्नीशियन की वेकंसी, डीएमई ने दी हरीझंडी

रीवा के बेरोजगारों के लिए खुशखबरी है। चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं की संचालक ने श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में 10 टेक्नीशियन के पदों के स्वीकृति के प्रस्ताव को हरी झंडी दिखा दी है। हरीझंडी मिलते ही 10 टेक्नीयिन के रखने का रास्ता भी साफ हो गया है। अब देर किस बात की है, यदि टेक्नीयिन बनना है तो जुगाड़ और पहुंच लगानी शुरू कर दीजिए।

तैयार हो जाइए, मेडिकल कॉलेज में फिर आने वाली है टेक्नीशियन की वेकंसी, डीएमई ने दी हरीझंडी
File photo

रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज में स्वशासी कार्यकारिणी समिति की बैठक आयोजित की गई। इस बैठक में डीएमई डॉ अरुणा कुमार वीसी के माध्यम से जुड़ी। डीएमई के सामन 22 एजेंडों का स्वीकृति और चर्चा के लिए रखा गया था। डीएमई ने समय का अभाव बताते हुए सभी एजेंडों पर चर्चा भी नहीं की। करीब 18 एजेंडों पर चर्चा की गई। अधिकांश एजेंडों केा हरी झंडी दिखा दी गई। कुछ में और मेहनत करने के निर्देश दिए गए हैं। 

यह एजेंडें हो गए पास

कार्यकारिणी की बैठक में सीटी स्केन और एमआरआई चलाने के लिए 10 टेक्नीशियन की नियुक्ति का एजेंडा रखा गया था। इस पर स्वीकृति प्रदान कर दी गई है। 5-5 पद स्वीकृत किए गए हैं। इसी तरह कलर डाप्लर सोनोग्राफी और मेमोग्राफी की फीस अभी तक तय नहीं थी। इन दोनों की फीस भी निर्धारित कर दी गई है। अब दोनों ही जांच के 500-500 रुपए लेंगे। इसके अलावा लिफ्ट आदि के मेंटीनेंस का भी प्रस्ताव रखा गया था। डीएमई ने डीन को निर्देशित किया कि एक साल का मेंटीनेंस अनुबंध करने की जगह तीन साल का करिए। यदि पहले साल काम अच्छा रहता है तो उसे आगे बढ़ाते जाइए, वर्ना बीच में ही दूसरा टेंडर बुला लीजिए। 

सीटी और एमआरआई जांच रेट फिक्स नहीं करा पाए

एजेंडे में सीटी स्केन की जांच और एमआरआई की जांच दर का भी प्रस्ताव रखा गया था। इसमें सिर्फ ग्वालियर मेडिकल कॉलेज में लगने वाले शुल्क के आधार पर ही प्रस्ताव दिया गया था। इस पर डीएमई ने दो और कॉलेजों के नाम सुझाए। उन्होंने कहा कि इन दोनों जगहों का भी शुल्क का पता कर लें फिर जांच शुल्क तय कर लें। 

इंजीनियर की कुर्सी टूटी और नीचे गिरे धड़ाम

जीईसी की बैठक के दौरान निर्माण एजेंसियों के भी इंजीनियरों केा बुलाया गया था। सभी एजेंसियों के इंजीनियर मौजूद थे। एक निर्माण एजेंसी के अधिकारी का बजन मेडिकल कॉलेज की कमजोर कुर्सियां नहीं सह पाई और टूट गईं। सूत्रों की मानें तो कुर्सी टूटने के बाद इंजीनियर साहब नीचे जमीन पर आ गए थे। बाद में उन्हें दूसरी कुर्सी उपलब्ध कराई गई। 

इन एजेंडों पर नहीं बनी बात

तीन ऐसे भी एजेंडे थे जिस पर डीएमई की सहमति नहीं मिली। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के सीटीवीएस विभाग में 90 लाख रुपए के उपकरण की स्वीकृति का प्रस्ताव रखा गया था। इस पर चर्चा ही नहीं हो पाई। इसी तरह छात्रों और शिक्षकों को योग कराने के लिए योग प्रशिक्षण की नियुक्ति का भी प्रस्ताव रखा गया था। इस पर भी चर्चा नहीं हो पाई। तीसरा एजेंडा अस्पताल में मौजूद उपकरणों के मेंटीनेंस अनुबंध से जुड़ा है। हाइट्स कंपनी ही सारा मेंटीनेंस देखती है। वर्ष 2018 में मेंटीनेंस अनुबंधन नहीं कराया गया था। इसी मुद्दे को एजेंडे में रखा गया था। 

अधिक एजेंडा होने पर हुईं डीएमई हुईं नाराज

डीएमई डॉ अरुणा कुमार डीन पर भड़क गई। डीन ने कार्यकारिणी की बैठक के पहले एजेंडे की शायद डीएमई को जानकारी ही नहीं दिए थे। बैठक के दौरान डीएमई ने अधिक एजेंडे रखने पर नाराजगी जताई। उन्होंने कहा कि कम एजेंडे रखें। उनके पास और भी काम होते हैं, जिससे वह प्रभावित होते हैं। लंबे समय तक वह ईसी की कार्रवाई में शामिल नहीं हो सकतीं।