जल जीवन मिशन में भी 311 करोड़ की लगी फर्जी बैंक गारंटी, ईओडब्लू तक पहुंचा मामला
आबकारी विभाग में फर्जी बैंक गारंटी से शराब दुकानें हथियाई गईं। इस मामले में ईओडब्लू ने मामला पंजीबद्ध कर लिया। अब जल जीवन निगम में 311 करोड़ रुपए के फर्जी बंैक गारंटी से ठेका हथियाने का आरोप लगा है। इसकी ईओडब्लू भोपाल से की गई है।
आबकारी विभाग के अधिकारी फंसे थे, अब जल निगम के अधिकारी आए रडार पर
दो कंपनियों केा फायदा पहुंचाने बैंक और जल निगम के अधिकारियों ने किया कारनामा
रीवा। मप्र में हर घर जल पहुंचाने के लिए अरबों रुपए के प्रोजेक्ट चल रहे हैं। मप्र जल निगम पूरे प्रदेश में काम करा रहा है। इसी प्रोजेक्ट में करोड़ों रुपए का खेल किया गया है। मध्यप्रदेश जल निगम में 311 करोड़ की फजी बैंक गारंटी के माध्यम से कंपनियों ने ठेका हासिल किया है। इसकी शिकायत सामाजिक कार्यकर्ता अधिवक्ता बीके माला ने आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल से की है। इस शिकायत ने रीवा ही नहीं पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा दिया है। इसके पहले भी आबकारी विभाग में फर्जी बैंक गारंटी से शराब दुकानें हथियाने का मामला सामने आया था। इस मामले में बैंक के मैनेजर सहित कईयों पर प्रकरण भी दर्ज किया जा चुका है। इसके अलावा भी प्रदेश के कई जिलों में फर्जी बंैक गारंटी का खेल सामने आ चुका है। अब यह मामला भी चौकाने वाला है। ईओडब्लू से मामले की जांच कर दोषियों के खिलाफ कार्रवाई की मांग की गई है।
बैकों से सत्यापन और पुष्टि नहीं कराई गई
शिकायतकर्ता ने शिकायत में आरोप लगाया है कि फजी बैंक गारंटी तैयार कर ठेका प्राप्त करने के लिये पूरा सिन्डीकेट काम कर रहा था। इस बड़े घोटाले में जल निगम के अधिकारी एवं संबंधित बैंकों के अधिकारियों की भी सांठगांठ बताई गई है। जहां योजनाबद्ध तरीके से भ्रष्टाचार किया गया है। श्किायत में कहा गया है कि सामान्यतौर पर किसी भी कार्य में बैंक गारंटी जमा करने के पीछे मकसद यह होता है कि ठेकेदार को परफारमेंस गारंटी के तौर पर बैंक गारंटी जमा करनी होती है। जिसकी जांच एवं सत्यापन संबंधित विभाग के अधिकारियों की होती है। सभी अभिलेखों की पुष्टि करानी चाहिए थी जो नहीं कराई गई। जल निगम के अधिकारियोंं ने बैंक को ईमेल भेजकर पुष्टि चाही थी, पूरे फर्जीवाड़े मेें शामिल बैंक के अधिकारियेां ने इसका सत्यापनभी कर दिया। ठेकेदार कंपनियों ने स्थल पर काम भी श्ुरू कर दिया। पूरे खेल में बैंक और कंपनियों का सांठगांठ रहा।
दो कंपनियों के नाम सामने आए, इन्होंने लगाया फर्जी बैंक गारंटी
शिकायत में कहा गया है कि इस घोटाले में सबसे पहले दो कंपनियों के नाम प्रकाश में आये थे। इनमें गोपीकान लिमिटेड और एमपी बावरिया लिमिटेड, अंकित कांस्ट्रक्शन के संयुक्त उपक्रम का नाम शामिल था। इन्हें दो वर्ष पहले कार्य का जिम्मा सौंपा गया था। स्वीकृत कार्यों के एवज में कंपनियों को 10 प्रतिशत राशि पर कार्मिक बैंक गारंटी और मोबिलाईजेशन एडवांस के लिये गारंटी राशि जमा करवाई गई थी। इसी आधार पर कंपनियों से अनुबंध किया गया था। इन्हीं दोनों कंपनियों ने योजनाबद्ध तरीके से फर्जी बैंक गारंटी लगा दी। इसके बाद ठेका प्राप्त कर लिया। इससे जहां शासन को करोड़ों की हानि हुई। आर्थिक अपराध प्रकोष्ठ भोपाल से की शिकायत में अधिवक्ता बीके माला ने इस प्रकरण में उच्च स्तरीय जांच कराने की मांग की है। साथ ही दोषियों के खिलाफ प्रथम प्राथमिकी दर्ज कराने की बात कही है।