पंचायतों ने ऐसे बनाए स्कूल भवन जो 20 साल भी नहीं टिके, 149 जमींदोज होंगे, 439 स्कूलों की हालत खराब
सरकारी स्कूलों के निर्माण में पंचायतों ने इस कदर भ्रष्टाचार किया कि अब उसे प्रशासन के निर्देश पर गिराया जाएगा। 77 स्कूलें पूरी तरह से जर्जर हैं। 72 का कुछ हिस्सा जमींदोज किया जाएगा। जिन एजेंसियों ने बनाया अब वही एजेंसियां जमींदोज करेंगी। जर्जर स्कूलों की लिस्ट यहीं पर नहीं थमती। रीवा और मऊगंज की करीब 439 स्कूलें ऐसी है जो खराब हालत हैं। जल्द मरम्मत नहीं हुआ तो इनका भी गिरना तय है।

सर्वाधिक जर्जर स्कूलें रीवा और हनुमना ब्लाक की है, जो जमींदोज होंगी
हनुमना और नईगढ़ी में सबसे ज्यादा खराब स्कूलें जिन्हें मरम्मत की दरकार है
रीवा। बच्चों को गांव गांव में शिक्षक मिल सके। इसके लिए सरकार ने तिजोरी खोल दी थी। हर गांव में प्रायमरी और माध्यमिक स्कूलें बनाई गईं। इनके निर्माण की जिम्मेदारी पंचायतों को दी गई थी। पंचायतों ने इस कदर भ्रष्टाचार किया कि अब यह स्कूलें बच्चों की ही जान पर बन आई हैं। रीवा और मऊगंज की 149 स्कूलें गिराने लायक हैं। यह पूरी तरह से जर्जर हो गई हैं। 77 जर्जर स्कूलें पूरी तरह से जमींदोज होंगे। इन्हें भी पंचायतें ही गिराएंगी। सिर्फ जिला पंचायत सीईओ का अनुमोदन शेष है। इसके बाद इन्हें गिराने का काम शुरू हो जाएगा। इसके अलावा भी 439 स्कूलें ऐसी है जिनकी हालत खराब है। यहां छात्र बैठ कर सुरक्षित तरीके से पढ़ नहीं सकते। इन स्कूलों के लिए भी केन्द्र सरकार के पास प्रस्ताव बजट के लिए भेजा गया है। अब केन्द्र से बजट मिलेगा, तभी इन स्कूलों के अच्छे दिन आ पाएंगे। वर्ना यह भी आने वाले दिनों में छात्रों के लिए खतरा बन जाएंगे।
20 साल भी नहीं टिक पाई स्कूल बिल्डिंग
हद तो यह है कि प्रायमरी और माध्यमिक स्कूल भवनों के निर्माण में लाखों रुपए खर्च किए गए। ग्राम पंचायतें निर्माण एजेंसियां थी। स्कूलों के निर्माण में इतनी गड़बड़ी की गई कि अब वज गिराने लायक हो गई है। दो जिलों की 77 स्कूल भवनें पूरी तरह से जर्जर हो गई हैं। वहीं 72 स्कूलों का कुछ हिस्सा जर्जर हालत हैं। यानि कुल 149 स्कूलों को धरसाई करने की तैयारी है। इन स्कूलों का निर्माण पंचायतों ने 2005 से 2008 के बीच में कराया था। इन स्कूलों का निर्माण पंचायतों ने घटिया कराया लेकिन इंजीनियरों ने निरीक्षण नहीं किया। जिला शिक्षा केद्र को हैंडओव्हर कर दी गई। अब इसी की सजा छात्रों को भुगतानी पड़ रही है।
सभी स्कूलें ग्राम पंचायतों ने बनाई, अब संचालन लायक नहीं
जितनी भी स्कूलें जर्जर हालत में हैं। इनकी निर्माण एजेंसी ग्राम पंचायतें ही थी। पालक शिक्षक संघ से स्कूल निर्माण का अनुमोदन होने के बाद निर्माण की जिम्मेदारी पंचायतों को दी गई थी। पंचायतों ने इतना घटिया काम किया कि अब सरकारी स्कूलें बैठने लगाक नहीं रह गई हैं। कहीं स्कूलों की फर्श उधड़ गई है तो कहीं दीवार से पानी टपक रहा है। कहीं दीवार में दरार आ गई है। ऐसे रीवा और मऊगंज में 439 स्कूलें हैं। जिनकी हालत बदतर हो गई है। इन्हें मरम्मत की दरकार है।
कहां कितने स्कूलें जर्जर और कितने स्कूलें मरम्मत लायक
विखं जर्जर भवन मरम्मत लायक
गंगेव 06 42
हनुमना 13 78
जवा 03 53
मऊगंज 11 23
नईगढ़ी 04 70
रायपुर कर्चु 04 60
रीवा 13 37
सिरमौर 08 55
त्योंथर 09 21
योग 77 439