रीवा में अब दो विकास पुरुष हो गए, अरबों, खरबों विकास में झोंक दिए लेकिन बारिश का पानी ही नहीं निकल रहा, फिर डूब रहा रीवा
6 दिन पहले रीवा डूबा था। गुरुवार को फिर से वही हालात बन गए हैं। रात से जोरदार बारशि के कारण पूरा रीवा जलभराव जैसी समस्या से जूझ रहा है। रातभर बारिश हुई तो लोग नींद में थे। उन्हें बारिश और जलभराव का पता ही नहीं चला। जैसे ही सुबह नींद खुली तो लोगों के पैरों के नीचे से जमीन की गायब मिली। पूरे घर में पानी भरा मिला। मोहल्ले जलमग्न हो गए हैं। चारों तरफ हाय तौबा मची हुई है। एक बार बारिश का दंश झेल चुके लोगों को फिर वहीं मार झेलनी पड़ी। लोगों की जिंदगी भर की कमाई एक ही दिन की बारिश में डूब गई। वार्ड क्रमांक 7 हाउसिंग बोर्ड कालोनी में पानी घुस गया है। इसेक कारण कई घर जलमग्न हो गए हैं। वार्ड 15 में भी आचार्य नगर में पानी भर गया है। वार्ड 15 में राज मैरिज गार्डन के पास पानी भर गया है। इसी तरह वार्ड क्रमांक 9 में कैलाशपुरी और अनंतपुर में चीख पुकार मची है। लोगों के घरों में पानी भर गया है। सड़क पर पानी का रेला बह रहा है। हर तरफ हल्ला गोहार मचा हुआ है। पार्षदों के पास मोहल्लों से मदद मांगी जा रही है। पार्षद नगर निगम से गुहार लगा रहे हैं। इस विपत्ति के हिसाब से शायद नगर निगम के पास पर्याप्त संसाधन भी उपलब्ध नहंी है। यही वजह है कि तुरंत मदद भी नहीं मिल पा रही है।

भाजपा की सरकार थी तब भी डूबा रीवा, अब कांग्रेस की नगर सरकार है फिर डूब रहा रीवा
रीवा। रीवा में यह बाढ़ और जलभराव की कहानी नई नहीं है। यहां हल्की बारिश में भी जलभराव जैसे हालात बन जाते हैं। और इस बार तो जोरदार बारिश ही हो रही है तो इसका अंदाजा भी लगाया जा सकता है। रीवा में विकास के नाम पर जमकर तोडफ़ोड़ और खोदाई की गई। करोड़ों करोड़ रुपए प्रशासन और नगर निगम ने लुटा दिए लेकिन शहर व्यवस्थित नहीं हो पाया। करोड़ों की नालियां और सड़कें बनी लेकिन बारिश का पानी अब भी मोहल्लों में ही भरता है। विकास के नाम पर सिर्फ यहां ऊंची इमारते ही नजर आती हैं और इसके आवा प्रशासन और नगर निगम कुछ खास नहीं कर पाया। अब इसी अव्यवस्थित विकास की मार लोगों को झेलना पड़ रहा है।
अब रीवा में दो विकास पुरुष हो गए लेकिन समस्या जस की तस
रीवा में विकास पुरुष के नाम से पहले डिप्टी सीएम ही थे। फिर उन्हें टक्कर देने के लिए कई विकास पुरुष बनने की दौड़ में शामिल हो गए। नगर निगम महापौर अजय मिश्रा बाबा ने चुनाव जीतने के बाद डिप्टी सीएम को मात देने की कोशिश में जुट गए। रीवा शहर में विकास की कहानी लिखने की सोची हालांकि वह उसमें पूरी तरह से सफल नहीं हो पाए। लोगों को महापौर से कुछ ज्यादा ही उम्मीद थी लेकिन वह उस पर खरा नहीं उतर पाए। लोगों ने सोचा था जो काम भाजपा सरकार में नहीं हुआ। वह सारी समस्याएं महापौर हल कर देंगे लेकिन स्थिति अब सब के सामने हैं। विकास पुरुष तो दो हो गए लेकिन रीवा में समस्याओं का अंत नहीं हो पा रहा है। अब भी रीवा की समस्याएं जस की तस हैं।
सब कुछ अव्यवस्थित नहीं है, सड़क है तो नाली नहीं, नाली है तो सड़क नहीं
रीवा नगर निगम अव्यवस्थाओं और भ्रष्टाचार का गढ़ हैं। यहां से ही शहर की बर्बादी की कहानी शुरू हो जाती है। इंजीनियर और अधिकारी तो हैं लेकिन यह नियमों का पालन कराने के लिए नहीं है। यही वजह हैकि पूरा शहर की अव्यवस्थित बसाहट की समस्या से जूझ रहा है। नई कालोनियां बस रही हैं वहां भी नियमों का पालन नहीं कराया जा रहा है। सड़क नगर निगम बनाता है तो वहां नालियां नहीं बनाई जाती। नालियों कहीं बनाता है तो वहां सड़क नहीं होती। सभी जगह कमीशन पर ही काम होता है। नगर निगम से बिलो टेंडर दिया जाता है। वहीं पार्षद वार्ड में तभी काम करने देते हैं जब ठेकेदार उनकी सारी बातें मानता है। नगर निगम में अधिकांश ठेकेदार पार्षद के रिश्तेदार और दोस्तयार हैं। उन्हें ही ठेका मिलता है। वहीं करोड़ों रुपए का बंदरबांट करते हैं। अब ऐेसे में व्यस्थित रीवा कैसे बनेगा, इसका अंदाजा आप खुद ही लगा सकते हैं।