खाद की मारामारी: सुबह बटनी थी खाद और किसान रात में ही पहुंच गए, सैकड़ों की संख्या में पहुंचे
सिर्फ 600 एमटी खाद रीवा के हिस्से आई है। चंद मु_ी खाद में कुछ प्राइवेट दुकानदारों को मिल गई, जो बची है। वह डबल लॉक और समितियों से बचेगी। सिर्फ रैक पहुंचने की सूचना मिलने पर ही किसानों की भारी भीड़ करहिया मंडी में रात में ही पहुंच गई। इन्हें सम्हालने पुलिस को पहुंचना पड़ा। लंबी लाइन लगी थी। किसान खाना पानी लेकर पहुंचे थे।

यूरिया का संकट नहीं हो रहा दूर, फसलें हो रही हैं खराब
अब तक सिर्फ तीन रैक आई, डिमांड के हिसाब से नहीं मिल रही खाद
रीवा। खाद को लेकर मारामारी खत्म नहीं हुई है। आधी रैक खाद फिर पहुंची है। इसकी भनक लगते ही किसान डबल लॉक खुलने के पिलहे ही आधी रात में 14 घंटे पहले ही करहिया मंडी पहुंच गए। करहिया मंडी में किसानों की भारी भीड़ रात में ही लग गई। लोगों ने लाइनें लगा ली थी। पूरी रात किसानों ने लाइनों में ही काटी।
आपको बता दें कि किसानों की डिमांड के हिसाब से यूरिया नहीं आ रही है। अभी तक 3 रैक यूरिया पहुंची है। इसके बाद भी किसानों की मांग पूरी नहीं हो पा रही है। एक रैक 2700 एमटी, दूसरी 2600 एमटी और तीसरी आधी रैक 1300 एमटी की पहुंची है। इसमें रीवा जिला को 600 एमटी मिला है। इसका वितरण सहकारी समितियों और डबल लॉक से किया जाएगा। यूरिया की खेप पहुंचने की सूचना मिलने पर किसानों ने रविवार को सारा काम छोड़ दिया। करहिया मंडी पहुंच गए। यहां काउंटर के बाहर लाइन लगा ली। किसानों की लंबी लाइन लगी थी। रात के हालात यहां देखने लायक थे। किसान लाइन के लिए ही लड़ रहे थे। लाइल लंबी थी तो लोगों ने अपनी जगह र्इंट, पत्थर, चप्पल, चद्दर रख दी थी। पूरी रात किसानों ने लाइन में ही काटी।
प्रशासन यह जानकारी छुपा कर रखता है कि खाद पहुंची कहां
इस खाद की किल्लत के बीच किसानों की परेशानी का सबसे बड़ा दोषी जिला विपणन केन्द्र है। यहां पदस्थ अधिकारी यह सार्वजनिक नहीं करते कि कहां कहां खाद भेजी गई है। कहां कहां कितने बजे से वितरण होगा। डबल लाक तक की जानकारी नहीं दे पाते। जिला प्रशासन भी इस मामले में सुस्त है। सतना जिला रीवा से बेहतर काम कर रहा है। वितरण केन्द्रों की जानकारी एक दिन पहले ही सार्वजनिक कर देता है। इससे किसानों को कम से कम इधरउधर भटकना तो नहीं पड़ता। ऊपर से कम खाद इस पर भी किसानों को प्रशासन परेशान कर रहा है।