अर्चना तिवारी मिसिंग केस: रेलवे पुलिस खोज लाई, परिजनों से थी नाराज, 2 युवकों के साथ मिलकर रची पूरी कहानी और देशभर में मचाया कोहराम

देशभर में हड़कंप मचाने वाला अर्चना तिवारी मिसिंग केस साल्व हो गया। रेलवे पुलिस ने युवती को यूपी और नेपाल बार्ड से बरामद किया। पूछताछ के बाद खुलासा कर दिया। इस पूरे कांड की मुख्य किरदार ही अर्चना थी। यह सारी प्लानिंग उसी की थी। इसमें दो युवकों ने अर्चना का साथ निभाया।

अर्चना तिवारी मिसिंग केस: रेलवे पुलिस खोज लाई, परिजनों से थी नाराज, 2 युवकों के साथ मिलकर रची पूरी कहानी और देशभर में मचाया कोहराम
अर्चना तिवारी

हरदा में रची थी गई थी साजिश, फिर 7-8 अगस्त को प्लानिंग को दिया गया अंजाम

ट्रेन से ऐसे कपड़े बदल कर भागी कि किसी की नजर में नहीं आई

BHOPAL। कटनी की अर्चना तिवारी 12 दिन मिसिंग रही। 12 दिन बाद रेलवे पुलिस ने यूपी और नेपाल बार्डर के पास पास लखीमपुर खीरी के पास बरामद कर लिया। अर्चना के मिलने के बाद सीआरपी राहुल कुमार लोड़ा ने पूरे मामले का खुलासा किया। जिस अर्चना को तलाशने 12 दिनों तक रेलवे पुलिस ने पहाड़, जंगल तक की खाक छानी वह बार्डर पार जा पहुंची थी। रेलवे पुलिस यहां परेशान थी और वह मजे कर रही थी। इनकी प्लानिंग कुछ और ही थी लेकिन रेलवे पुलिस ने अर्चना को खोज निकाला। 

दो युवकों के साथ मिलकर बनाई थी प्लानिंग

भोपाल एसआरपी के अनुसार अर्चना की परिजनों ने पटवारी से शादी तय कर दी थी। वह फिलहाल शादी नहीं करना चाहती थी। इसी बात से नाराज अर्चना ने दो युवकों सारांश जैन निवासी शुजालपुर  और तेजेंदर के साथ मिलकर यह प्लानिंग बनाई। इस प्लानिंग को इन्होंने हरदा में बनाया। 6 अगस्त को किसी काम से तीनों हरदा गए थे। हरदा में ही प्लानिंग बनाई और 7 को ही अंजाम दे दिया। 

ट्रेन में ही बदले कपड़े और दूसरी बोगी से उतर गई

प्लानिंग के अनुसार अर्चना ने बी 3 एसी कोच में सीट बुक कराई। इंदौर से कटनी के लिए निकली। नर्मदापुरम में अर्चना कपड़ा बदलकर दूसरे बोगी से इटारसी में उतर कर निकल गई। सारांश बायरोड गाड़ी से ही इटारसी तक पहुंचा था। अर्चना को दूसरे कपड़े तेजिंदर ने नर्मदापुरम में उपलब्ध कराए। इसके बाद अर्चना दूसरी बोगी से इटारसी में आउटर में निकल कर सारांश के साथ गाड़ी में सवार होकर चली गई।

अर्चना मिसिंग की तरफ डायवर्ट करना चाहते थे 

ट्रेन से उतरने के बाद मोबाइल और घड़ी दोनों ही अर्चना ने तेजिंदर को दे दिया। दोनों ही चीजों को मिडघाट वाले क्षेत्र में फेंकने के लिए बोल दिया। उनकी प्लानिंग थी कि लड़की के गिरने की शिकायत थाना में दर्ज करानी थी। जैसे ही सारांश और अर्चना आगे बढ़ गए। कुछ ही देर में दिल्ली की पुलिस ने तेजिंदर को गिरफ्तार कर लिया और साथ ले गई। किसी फ्राड के मामले में तेजिंदर को उठा ले गई थी। लड़की ने पूरा सामान सीट पर ही छोड़ गई थी। पुलिस को मिसगाइड करना चाहती थी। कहीं ट्रेन से गिरने की तरफ पूरे मामले को घुमाना चाहते थे। 

कई राज्यों से घूमते हुए काठमांडू तक पहुंचे

इटारसी में उतरने के बाद अर्चना और सारांश सुजालपुर पहुंचे। फिर आर्बिट मॉल में नया मोबाइल लिया। फिर यहां से उन्होंने मप्र छोड़कर हैदराबाद पहुंचे फिर एक दो दिन वहां रहे। मामला बढ़ता गया तो सारांश और अर्चना नेपाल जाने की प्लाङ्क्षनग बनाए। बस पकड़कर जोधपुर से दिल्ली फिर काठमांडू चले गए। अर्चना काठमांडू में ही रुक गई और सारांश वापस लौट आया। पुलिस की पकड़ से बचने के लिए सारांस ने अपना सिम बंद रखा। पिता के नाम से नई सिम खरीदी थी। उसी का उपयोग करता रहा। 

सारांस को उठाने के बाद खुला मामला

पुलिस ने जब सारांश को उठाया तब पूरे मामले में फर्दा उठा। इसके बाद अर्चना से फोन पर ही संपर्क किया गया। उसे काठमांडू से बार्डर तक बुलाया गया। बार्डर से ही युवती को बरामद किया गया। उन्हें परिजनों को सुपुर्द कर दिया गया है।