प्रमोशन का इंतजार फिर बढ़ा: हाईकोर्ट ने दिया सरकार को झटका, कर्मचारियों के प्रमोशन प्रक्रिया पर लगी रोक

लंबे समय से प्रमोशन का इंतजार कर रहे कर्मचारियो को फिर झटका लगा है। हाईकोर्ट ने प्रमोशन में आरक्षण की नई नीति पर फिलहाल रोक लगा दी है। सरकार से नई और पुरानी प्रमोशन नीति पर जवाब मांगा है। साथ ही जब तक सरकार का जवाब नहीं आ जाता, तब तक प्रमोशन पर रोक लगा दी है।

प्रमोशन का इंतजार फिर बढ़ा: हाईकोर्ट ने दिया सरकार को झटका, कर्मचारियों के प्रमोशन प्रक्रिया पर लगी रोक
file photo highcourt

अंतरिम रोक के आदेश पर महाधिवक्ता ने दी अंडरटेकिंग, सरकार का जवाब आने तक नहीं बढ़ाई जाएगी प्रमोशन की प्रक्रिया

जबलपुर। नए नियम के तहत आरक्षित वर्ग को नौकरी में प्रमोशन दिए जाने के खिलाफ हाईकोर्ट मे तीन याचिकाएं दायर की गईं थी। याचिका में कहा गया था कि नए नियम भी पूर्व के अनुसार हैं। नियमों में सर्वोच्च न्यायालय के  पारित दिशा निर्देशों का पालन नहीं किया गया है। हाईकेार्ट के कार्यवाहक चीफ जस्टिस संजीव सक्सेना और जस्टिस विनय सराफ की युगलपीठ को सरकार की तरफ से बताया गया कि नए नियम के अनुसार पदोन्न्नति प्रदान करने के अदोश नहीं जारी किए जाएंगे। युगलपीइ ने अनावेदको को नोटिस जारी कर याचिका पर अगली सुनवाई 15 जुलाई को निर्धारित की है। 

याचिकाकर्ता भोपाल निवासी वेटनरी डॉक्टर स्वाति तिवारी व अन्य सहित दायर की गई तीन याचिकाओं में कहा गया था कि प्रमोशन में आरक्षण के खिलाफ सर्वोच्च न्यायालय में याचिका लंबित है। सर्वोच्च न्यायालय ने अपने अंतरित आदेश में यथास्थिति के आदेश जारी किए थे। इसके बाद प्रदेश सरकार ने संशोधित नियम 2025 के तहत प्रमोशन में आरक्षण प्रदान करने का निर्णय ले लिया। इस संंबंध में प्रदेश सरकार की तरफ से गजट नोटिफिकेशन भी जारी किया गया था। याचिका में कहा गया कि नए तथा पुराने नियम एक समान हैं। 

याचिका में कहा गया था कि सर्वोच्च न्यायालय में एम नटराजन तथा जरनैल सिंह मामले में आदेश जारी किए थे कि आरक्षित वर्ग को प्रमोशन में आरक्षण तब दिया जाए जब उनके वर्ग का पर्याप्त प्रतिनिधित्च न हो। इसके अलावा उनके प्रशासन से किसी प्रकार की प्रशासनिक बाधा उत्पन्न नहीं होना चाहिए। इसके अलावा सर्वोच्च न्यायालय ने एक अन्य मामले में आदेश दिए है कि एससी एसटी वर्ग के क्रीमीलेयर वाले कर्मचारियों को प्रमोशन में आरक्षण नहीं प्रदान किया जाए। सरकार के पास आरक्षित वर्ग के कर्मचारियों के प्रतिनिधित्व का डाटा उपलब्ध नहीं है। पूरे नियम के अनुसार ही नए नियम की आड़ में प्रमोशन में आरक्षण प्रदान किया जा रहा है। याचिका की सुनवाई के दौरान महाधिवक्ता की तरफ से अंडरटेकिंग दी गई कि आरक्षण प्रदान करते हुए कर्मचारियों को प्रमोशन दिए जाने के आदेश प्रदेश सरकार जारी नहीं करेगी। युगलपीठ ने प्रदेश सरकार सहित अन्य अनावेदको को नोटिस जारी कर एक सप्ताह में जवाब मांगा है। याचिकाकर्ता की तरफ से वरिष्ठ अधिवक्ता आरपी सिंह तथा अधिवक्ता सुयश मोहन गुरू ने पैरवी की।