सीएमएचओ पर एपीएम ने लगाए गंभीर आरोप, इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने पहुंचा कलेक्ट्रेट

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी की प्रताडऩा से तंग एक कर्मचारी इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने कलेक्ट्रेट पहुंच गया। एपीएम ने सीएमएचओ पर प्रताडि़त करने का आरोप लगाया है। वेतन रोकने से कर्मचारी की आर्थिक हालत खराब हो गई है। पूरा परिवार आर्थिक तंगी से जूझ रहा है। बेटियों का स्कूल में एडमिशन भी नहीं करा पा रहा है। सीएमएचओ पर प्रताडऩा का आरोप लगाते हुए शासन और प्रशासन से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।

सीएमएचओ पर एपीएम ने लगाए गंभीर आरोप, इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगने पहुंचा कलेक्ट्रेट

हाईकोर्ट से स्थगन के बाद भी स्थानांतरण करने का लगाया आरोप, ज्वाइनिंग के बाद वेतन रोक दी गई

सीएम, डिप्टी सीएम, हाईकोर्ट न्यायाधीश को भी इच्छा मृत्यु की अनुमति का भेजा पत्र 

रीवा। स्वास्थ्य विभाग में एपीएम के पद पर पदस्थ शिवशंकर तिवारी शुक्रवार को इच्छा मृत्यु का आवेदन लेकर कलेक्ट्रेट पहुंचे। उन्होंने सीएमएचओ डॉ संजीव शुक्ला पर ऐसे गंभीर आरोप लगाए जिसकी कोई कल्पना तक  नहीं कर सकता। उन्हीं की प्रताडऩा से तंग आकर एपीएम ने इच्छा मृत्यु मांगी है। एपीएम ने कलेक्टर के अलावा उच्च न्यायालय न्यायाधीश, मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री, आयुक्त रीवा संभाग रीवा को भी पत्र लिखा है। एपीएम शिव शंकर का कहना है कि संजीव शुक्ला सीएमएचओ बनने के बाद से उन्हें प्रताडि़त कर रहे हैं। कोर्ट से दो मर्तबा स्थगन मिल चुका है। इसके बाद भी उनका स्थानांतरण कर दिया जाता है। ज्वाइन नहीं करने पर निलंबन और टर्मिनेट किए जाने की धमकियां दी गईं। धमकी से डर कर नई पदस्थापना स्थल पर एपीएम ने आमद दर्ज करा दी। फिर भी उनका वेतन रोक दिया गया। एपीएम का कहना है कि वह अल्प वेतनभोगी हैं। उनका परिवार इसी वेतन से चलता है। तीन बेटियां है। वेतन रोके जाने से उनका एडमिशन नहीं करा पा रहे हैं। परिवार भूखे मरने की कगार पर पहुंच गया है। सीएमएचओ की कार्रवाई का विरोध किए। सभी अधिकारियों को भी इससे अवगत कराया गया लेकिन कहीं से भी राहत नहीं मिली। उन्होंने कहा कि अब वह आर्थिक रूप से कोर्ट जाने में भी सक्षम नहीं है। उन्होंने आरोप लगाते हुए कहा कि सीएमएचओ आफिस में कुछ ब्रोकर पाल रखे हैं जो वसूली का काम करते हैं। बृजेन्द्रनाथ मिश्रा नाम व्यक्ति पर 50 हजार रुपए की डिमांड करने का आरोप भी लगाया। एपीएम का कहना है कि कार्यालय में कई 10 से 15 सालों से कर्मचारी पदस्थ हैं। उनका स्थानांतरण नहीं किया जा रहा है, जबकि उनका स्थानांतरण दो साल में तीन बार किया गया है। एपीएम ने सीएमएचओ की प्रताडऩा से तंग आकर कलेक्टर से इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है।