किस्सा कुर्सी का: कोर्ट ने दिया सरकार को झटका, नीरव दीक्षित यथावत बने रहेंगे जेडी रीवा

स्कूल शिक्षा विभाग में प्रभारी जेडी नीरव दीक्षित को स्थानांतरित कर भोपाल में पदस्थ कर दिया गया था। सिर्फ 17 दिनों में ही नीरव दीक्षित का दोबारा स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया था। इसके खिलाफ नीरव दीक्षित कोर्ट की शरण में पहुंच गए थे। हाईकोर्ट ने मामले की सुनवाई करते हुए याचिकाकर्ता के अभ्यावेदन पर सुनवाई होने तक जेडी लोक शिक्षण के पद पर यथावत पदस्थ रहने के आदेश दिए हैं।

किस्सा कुर्सी का: कोर्ट ने दिया सरकार को झटका, नीरव दीक्षित यथावत बने रहेंगे जेडी रीवा
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हाईकोर्ट के आदेश के बाद अब नीरव दीक्षित ही बने रहेंगे रीवा लोक शिक्षण के संयुक्त संचालक

रीवा। आपको बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग में जेडी की कुर्सी पर कब्जे को लेकर खूब उठापटक मची रही। पूर्व जेडी संतोष त्रिपाठी के रिटायरमेंट के बाद सहायक संचालक को प्रभार सौंप दिया गया। उप संचालक के होते हुए भी जूनियर को जेडी बना दिया गया। इसके खिलाफ भी नीरव दीक्षित ने शासन को अभ्यावदेन प्रस्तुत किया। शासन ने मामले में नीरव दीक्षित का पक्ष सुना और अंतत: आदेश जारी कर उन्हें प्रभारी जेडी रीवा बना दिया। 17 दिनों तक मामला शांत रहा। इसके बाद फिर उठापटक शुरू हो गई। लोक शिक्षण संचालनालय से फिर आदेश जारी कर नीरव दीक्षित का स्थानांतरण भोपाल कर दिया गया। जेडी रीवा की कुर्सी खाली कर दी गई। शासन इस कुर्सी पर फिर से जूनियर को ही बैठना चाह रहा था लेकिन इस आदेश के खिलाफ नीरव दीक्षित हाईकोर्ट की शरण में चले गए। इसकी जानकारी लगते ही कमिश्नर ने रातों रात आदेश जारी कर उन्हें कार्यमुक्त करते हुए जेडी का प्रभार एडीएम को सौंप दिया। एडीएम ने पदभार भी ग्रहण कर लिया। अब पूरे सिस्टम को कोर्ट के आदेश से बड़ा झटका लगा है। उप संचालक और प्रभारी जेडी नीरव दीक्षित ने हाईकोर्ट में शासन के साथ ही उप संचालक केपी तिवारी को भी पार्टी बनाए थे। कोर्ट में शासन के साथ ही उपसंचालक केपी तिवारी ने भी अपना तर्क अधिवक्ता के माध्यम से रखा लेकिन कोर्ट ने सिरे से नकारते हुए नीरव दीक्षित के पक्ष में ही फैसला सुना दिया है। कोर्ट ने प्रतिवादी संख्या 1 यानि सरकार को को निर्देश देती है कि वह इस आदेश की प्रमाणित प्रति प्राप्त होने  की तारीख से 30 दिनों की अवधि के भीतर याचिकाकर्ता द्वरा प्रस्तुत अभ्यावेदन दिनांक 18 जून 2025 पर निर्णय लें। हाईकोर्ट ने कहा कि 30 दिन की अवधि तक या अभ्यावेदन पर निर्णय होने तक जो भी पहले हो याचिकाकर्ता को उसकी वर्तमान पदस्थापना के स्थान अर्थात संयुक्त संचालक (प्रभारी) लोक शिक्षण रीवा संभाग रीवा पर कार्य जारी रखने की अनुमति दी जाएगी। यदि याचिकाकर्ता को पहले ही कार्यमुक्त नहीं किया गया है या स्थानांतरण के स्थान पर कार्यभार ग्रहण नहीं किया है। कोर्ट के आदेश के बाद खुशियां बना रहे जेडी आफिस के कर्मचारियों, अधिकारियों को बढ़ा झटका लगा है।