रीवा स्कूल शिक्षा विभाग में ऐसा पहली बार, जेडी की कुर्सी पर एडीएम बैठीं, रात 9 बजे खुला दफ्तर

रीवा का स्कूल शिक्षा विभाग एक बार फिर चचाओं में है। इस मर्तबा जेडी के प्रभार को लेकर हंगामा मच गया है। जेडी नीरव दीक्षित का स्थानांतरण आदेश जारी होने के बाद कुर्सी खाली थी। इस खाली कुर्सी पर कमिश्नर ने आनन फानन में एडीएम को बैठा दिया है। जेडी का प्रभार पहली बार हुआ है कि किसी प्रशासनिक अधिकारी को मिला है। जबकि विभाग में और भी अधिकारी पदस्थ हैं। कमिश्नर के इस आदेश ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं।

रीवा स्कूल शिक्षा विभाग में ऐसा पहली बार, जेडी की कुर्सी पर एडीएम बैठीं, रात 9 बजे खुला दफ्तर

रात 8.38 बजे कमिश्नर ने जारी किया आदेश, इसके बाद एडीएम ने सम्हाला चार्ज

रीवा। आपको बता दें कि इन दिनों रीवा का स्कूल शिक्षा विभाग विवादों में है। एक तरफ जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय में अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच चल रही है तो वहीं दूसरी तरफ जेडी आफिस में कुर्सी को लेकर खींचतान मची हुई है। अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच रिपोर्ट कमिश्नर के पास तत्कालीन जेडी ने सौंपी। उस मामले मे कमिश्नर ने एक्शन नहीं लिया। फाइल दबी हुई है। वहीं दूसरी तरफ जाचं रिपोर्ट सौंपने के साथ ही नीरव दीक्षित का भोपाल स्थानांतरण हो गया। उनकी जगह किसी और की पदस्थापना भी नहीं की गई। ऐसे में इस कुर्सी के विभाग में ही पदस्थ उप संचालक केपी तिवारी दावेदार थे। इस पर भी कमिश्नर ने डंडी मार दी है। 23 जून की रात करीब 8.38 बजे कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने प्रभारी संयुक्त संचालक नीरव दीक्षित को भोपाल के लिए मुक्त करते हुए जेडी का कार्यभार आगामी आदेश तक के लिए अपर कलेक्टर सपना त्रिपाठी को सौंप दिया है। आदेश जारी होने के बाद रात में ही एडीएम ने कार्यालय में आमद दर्ज कराईं और कार्यभर ग्रहण कर लिया। उपस्थिति की जानकारी भी कमिश्नर को उपलब्ध करा दी है। कमिश्नर के इस आदेश के बाद कुर्सी पर नजर गड़ाए अधिकारी ताकते रह गए। ऐसा रीवा के स्कूल शिक्षा विभाग में पहली बार हुआ है कि विभाग के किसी अधिकारी को कार्यभार न देकर प्रशासनिक अधिकारी की पदस्थापना कर दी गई हो। 

आनन फानन में प्रभार देने की यह मानी जा रही है वजह

जेडी नीरव दीक्षित प्रभारी के रूप में सिर्फ 17 दिन ही रहे। इसके बाद संचालनालय लोक शिक्षण ने उनका स्थानांतरण भोपाल कर दिया। चंद महीनों में ही कई मर्तबा स्थानांतरण किया गया। यह स्थानांतरण भी शासन की स्नांतरण नीति के विपरीत रहा। यही वजह है कि नीरव दीक्षित इस स्थानांतरण को लेकर कोर्ट की शरण में पहुंच गए हैं। शासन, प्रशासन को भी उन्होंने पार्टी बनाया है। यही वजह है कि कमिश्नर ने आनन फानन में नीरव दीक्षित को मुक्त करते हुए एडीएम को कार्यभार सौंप दिया है। कोर्ट की कार्रवाई और फटकार से बचने का तरीका माना जा रहा है। 

लोक शिक्षण संचालनालय के आदेशों के विपरीत हुआ आदेश

लोक शिक्षण संचालनालय ने एक आदेश 12 मार्च 2015 को जारी किया था। इस आदेश में स्पष्ट रूप से कहा गया था कि यदि संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण अवकाश पर हैं, प्रवास पर हैं या उनका पद रिक्त है तो ऐसी स्थिति में संभागीय संयुक्त संचालक लोक शिक्षण का लिंक अधिकारी संबंधित संभागीय संयुक्त संचालक कार्यालय में पदस्थ वरिष्ठ उप संचालक लोक शिक्षण रहेगा। यदि इस अवधि में वह भी अवकाश पर रहते हैं तो अन्य उप संचालक लिंक अधिकारी होंगे। यदि उप संचालक पदस्थ नहीं है तो जिला शिक्षा अधिकारी लिंक अधिकारी होंगे। जिला शिक्षा अधिकारी भी अवकाश पर हैं या उनका पद रिक्त है तो सहायक संचालक लिंक अधिकारी रहेंगे। इस आदेश के विपरीत प्रशासनिक अधिकारी को पदस्थ कर दिया गया है।