कलेक्ट्रेट के अंदर भी फर्जीवाड़ा: स्थापना बाबू ने खुद को पास करने लगा दिया फर्जी सर्टिफिकेट
स्कूल शिक्षा विभाग में बड़ा फर्जीवाड़ा हुआ। बिना किसी के नौकरी किए ही उनके परिजनों को अनुकंपा नौकरी बांट दी गई। इस फर्जीवाड़े में किसी अधिकारी पर एफआईआर नहीं हुई। सिर्फ छोटा कर्मचारी और फर्जीवाड़ा करने वाले फंसे। इसी राहत ने सबके हौसले बुलंद कर दिए हैं। अब फर्जी दस्तावेज लगा कर परिवीक्षा खत्म कराने के मामले में कलेक्ट्रेट का स्थापना बाबू ही फंस गया। फर्जी सर्टिफिकेट सामने आने के बाद नौकरी पर ही संकट मंडराने लगा है।

कई कर्मचारियों के सीपीसीटी सर्टिफिकेट को लेकर हुई थी शिकायत
साथियों ने ही खोली थी स्थापना बाबू के फर्जीवाड़ा की पोल
रीवा। सरकार ने अनुकंपा नियुक्ति की नौकरी पाने वाले कर्मचारियों के लिए सीपीसीटी की परीक्षा उत्तीर्ण करना अनिवार्य कर दिया है। इस परीक्षा को उत्तीर्ण करने के बाद ही परिवीक्षा अवधि समाप्त की जाती है। इस परीक्षा के दायरे में कलेक्ट्रेट में पदस्थ कई कर्मचारी सामने आए। इसमें तत्कालीन स्थापना बाबू अभिराम मिश्रा, वंदना द्विवेदी, मनीष तिवारी, अनुश्री मिश्रा सहित अन्य कर्मचारी शामिल रहे। इन सभी ने परिवीक्षा अवधि समाप्त करने के लिए सीपीसीटी की परीक्षा दी और सर्टिफिकेट रिकार्ड में लगाकर अनुकंपा समाप्त कराया। इस फर्जीवाड़ा की जानकारी कलेक्ट्रेट के ही कुछ कर्मचारियों को थी। स्थापना में रहते हुए अभिराम मिश्रा के पैर जमीन पर नहीं पड़ते थे। इसी बात से नाराज अन्य महिला कर्मचारियों ने कलेक्टर से अभिराम के फर्जी सीपीसीटी की शिकायत कर दी। इसके बाद कलेक्टर ने सीपीसीटी सर्टिफिकेट की जांच कराने भोपाल पत्र लिख दिया। जब जांच प्रतिवेदन आया तो अभिराम फंस गए। अब उनके नौकरी पर ही संकट मंडराने लगा है।
सीपीसीटी में फेल से अभिराम, फर्जी सर्टिफिकेट लगा दिए थे
कलेक्टर ने फर्जी सीपीसीटी का मामला प्रकाश में आने के बाद मप्र स्टेट इलेक्ट्रानिक्स डेव्हलपमेंट कार्पोरेशन लिमिटेड को पत्र लिखकर दो कर्मचारियों के सीपीसीटी की जांच कर प्रतिवेदन मांगा था। इसमें अभिराम मिश्रा और अनुश्री मिश्रा शामिल थी। जब जांच प्रतिवेदन कलेक्टर के पास पहुंचा तो पोल खुल गई। अभिराम का सर्टिफिकेट जाली निकला। साथियों ने ही अभिराम की शिकायत कर नौकरी संकट में डाल दी है।
इन कर्मचारियों पर भी लटक रही तलवार
अनुकंपा नियुक्ति के बाद परिवीक्षा अवधि में सीपीसीटी की परीक्षा पास करना अनिवार्य है। अभिराम ने तो फर्जी सर्टिफिकेट लगा दिया लेकिन इसके अलावा भी कुछ कर्मचारियों की नौकरी संकट में है। उन्होंने सीपीसीटी की परीक्षा पास ही नहीं की है। इसमें मनीष तिवारी, वंदना द्विवेदी का भी नाम सामने आ रहा है।
यह वही अभिराम हैं जो कौडिय़ों के दाम इंडियन काफी हाउस को जमीन दिलाने में गवाह बने थे
यह वही अभिराम है जो कलेक्ट्रेट में स्थापना बाबू रहे। इनके समय में ही कलेक्ट्रेट का एक बड़ा हिस्सा इंडियन काफी हाउस को एग्रीमेंट कर दे दिया गया था। 3 हजार स्क्वेयर फीट जमीन सिर्फ 5 हजार रुपए मंथली किराए पर दी गई है। इसमें गवाह के रूप में अभिराम मिश्रा ही थे। हालांकि उन्हें बाद में स्थापना से हटाते हुए व्यवहारवाद में कर दिया गया।