संकट में रीवा के सरकारी कॉलेज, नहीं मिल रहे छात्र, जीडीसी का भी निकला दम, 14 हजार सीटें खाली पड़ी हैं
सरकारी कॉलेजों का दम फूल गया है। इस मर्तबा कॉलेजों में प्रवेश के लिए छात्र ही नहीं मिल रहे हैं। 18 में आधा दर्जन कॉलेज की 50 फीसदी सीटें ही भर पाई है। शेष खाली है। जीडीसी कॉलेज की हालत खराब है। यहां छात्राएं नहीं आ रही हैं। दम फूलने लगा है। बैकुंठपुर नया खालेज खुला। यहां प्रवेश का प्रतिशत सिर्फ 3 है।ऐसे में कई कॉलेजों पर ताला लगने का भी संकट खड़ा हो गया है।

रीवा में कुल 27445 यूजी और पीजी की सीटें हैं, इसमें से सिर्फ 13587 ही भर पाईं
13 हजार 587 सीटें खाली हैं, एडमिशन भी अब क्लोज होने वाले हैं
रीवा। छात्रों को उच्च शिक्षा मिल सके। इसी मंशा के साथ सरकार ने जगह जगह कॉलेज खोले। शहर में रहकर शिक्षा जो अर्जित नीं कर सकते थे। उनके लिए कस्बे में कॉलेज खोले गए। पर्याप्त सीटें बढ़ाई गईं लेकिन अब इन सारी कोशिशों पर ताला लगने की नौबत आ गई है। कॉलेजों को इस मर्तबा एडमिशन के लिए छात्र नहीं मिल रहे हैं। अच्छे और नामी कॉलेजों की हालत खराब है। जीडीसी में जहां एडमिशन के लिए एड़ी चोटी एक करना पड़ता था। वहां सन्नाटा पसरा है। आधे से ज्यादा सीटें खाली हैं। नए कॉलेजों की हालत और खराब है। छात्रों ने इन कॉलेजों को पूरी तरह से रिजेक्ट कर दिया है। सबसे ज्यादा डिमांड पीएम श्री एक्सीलेंस कॉलेज और टीआरएस की ही है। यहां सबसे ज्यादा एडमिशन हुए हैं। कॉलेजों की खाली सीटें बड़ी चिंता का विषय है। 12वीं से पास होने वाले छात्र कॉलेजों में प्रवेश नहीं लिए तो आखिर गए कहां। यह सब के मन में सवाल खड़े कर रहा है।
जीडीसी का मिल गया विकल्प, छात्राएं पीएम श्री में जा रहीं
रीवा में गल्र्स के लिए सिर्फ एक ही कॉलेज था। जीडीसी में एडमिशन के लिए भीड़ लगती थी। यहां जो विषय थे, वह टीआरएस के अलावा अन्य कॉलेजों में न हीं थे। अब इसका विकल्प मिल गया है। पीएम श्री आदर्श विज्ञान महाविद्यालय में आर्ट और कामर्स भी शुरू कर दिया गया है। पढ़ाई के हिसाब से भी कॉलेज बढिय़ां है। यहां पर्याप्त सुविधाएं और संसाधन के साथ ही प्रोफेसर भी हैं। यही वजह है कि छात्राओ ने जीडीसी की जगह पीएमश्री को ही चुना और वहीं एडमिशन ले लिया। अब जीडीसी में सन्नाटा पसरा हुआ है।
नए कॉलेजों को छात्रों ने ही नकार दिया
रीवा में कई नए कॉलेज बनाए गए लेकिन भवन आदि की सुविधा उपलब्ध नहीं कराई गई। सालों से छात्र संघर्ष कर रहे लेकिन उच्च शिक्षा विभाग ने ध्यान नहीं दिया। यही वजह है कि नए कॉलेजों में संसाधनों और शिक्षकों की कमी के कारण छात्रों का भी मोहभंग हो गया। बैकुंठपुर में नया कॉलेज खुला उसे सिर्फ 41 छात्र मिले हैं। गोविंदगढ़ में 150 सीटें हैं। वह भी नहीं भर पा रहीं। रायपुर कर्चुलियान में 25 एडमिशन हुए हैं। मनगवां, नईगढ़ी में भी एडमिशन तो हुए हैं लेकिन पर्याप्त सीटें नहीं भर पाई हैं।
आखिर छात्र गए कहां
रीवा जिला में 18 सरकारी कॉलेजों में 27 हजार से ज्यादा सीटें हैं। इन सीटों के फिलहाल पूरे भरने की उम्मीद कम ही है। 12वीं पास करने के बाद सिर्फ 13 हजार छात्रों ने ही एडमिशन लिया, शेष छात्र कहां गए। यह शोध का विषय है। यह भी हो सकता है कि यहां के छात्रों को यूजी, पीजी में कोई इंट्रेस्ट ही न रह गया हो। छात्र बीच में पढ़ाई भी छोड़ सकते है। दूसरे शहरों की तरफ भी जा सकते हैं। प्राइवेट अस्पताल या टेक्निकल विषयों का चुनाव कर सकते हैं।
शासकीय महाविद्यालयों में यूजी और पीजी में प्रवेश की स्थिति
कॉलेज का नाम कुल सीटें यूजी पीजी योग
आदर्श विज्ञान महा. 4230 2433 253 2686
टीआरएस महाविद्यालय 7270 3207 969 4176
जीडीसी कॉलेज 4210 1214 408 1622
न्यू साइंस कॉलेज 550 222 00 222
विधि महाविद्यालय 225 00 176 176
वेंकट संस्कृत महावि. 400 12 01 13
दिव्यगवां महाविद्यालय 990 472 00 472
मऊगंज महाविद्यालय 3370 1387 306 1693
मनगवां महाविद्यालय 690 394 00 394
नईगढ़ी महाविद्यालय 1090 368 00 368
गुढ़ महाविद्यालय 400 122 00 122
त्योंथर महाविद्यालय 870 367 65 432
गोविंदगढ़ महाविद्यालय 150 83 00 83
देवतालाब महाविद्यालय 970 458 104 562
रायपुर कर्चु महाविद्यालय 150 25 00 25
सेमरिया महाविद्यालय 460 214 14 228
हनुमना महाविद्यालय 450 272 00 272
बैकुंठपुर महाविद्यालय 1260 41 00 41
योग 27445 11291 2296 13587
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एडमिशन का प्रतिशत कम हुआ है। अभी अगस्त तक एडमिशन चालू रख सकते हैं। यह अध्ययन का विषय है कि आखिर छात्र एडमिशन नहीं लिए तो गए कहां। कॉलेजों में एडमिशन न लेने के कारणों पर भी अध्ययन की जरूरत है।
प्रो रविन्द्र तिवारी, प्राचार्य
पीएम श्री मॉडल साइंस कॉलेज रीवा