रीवा रेलवे स्टेशन बना टिकट दलाली का बड़ा अड्डा, यहां दलाल ही चट कर जाते हैं तत्काल की सीटें

रीवा रेलवे स्टेशन का टिकट काउंटर दलालों का अड्डा बन गया। यहां टिकट दलालों की गैंग सक्रिय हैं। तत्काल टिकट काउंटर खुलते ही सारी टिकट यह दलाल बुक करा लेते हैं। यहां इन दलालों का ही नियम चलता है। काउंटर पर खुद का नंबर पहला दूसरा और तीसरा लगा लेते हैं । समान्य व्यक्ति का नंबर ही नहीं आता और उन्हें यहां से तत्काल टिकट मिलना नामुमकिन हो गया है।

रीवा रेलवे स्टेशन बना टिकट दलाली का बड़ा अड्डा, यहां दलाल ही चट कर जाते हैं तत्काल की सीटें
रीवा रेलवे स्टेशन

रीवा। रीवा का रेलवे स्टेशन जितना खूबसूरत हो गया है। उतना ही यह अंदर से दागदार भी है। रीवा रेलवे स्टेशन की व्यवस्था पर दाग यहां के स्टाफ और आरपीएफ लगा रहा है। इन सब की रजामंदी और मिली भगत से ही यहां टिकट ब्लैक हो रहा है। यहां एक गिरोह इस कदर सक्रीय है कि किसी सामान व्यक्ति को तत्काल टिकट मिल ही नहीं पाता। टिकट ब्लैक करने का कारोबार यहां हर दिन का हजारों , लाखों रुपए का है। इस अवैध कारोबार में सब की हिस्सेदारी है। यही वजह है कि इस अवैध कारोबार पर कोई रोक लगाना नहीं चाह रहा। इस गिरोह में एक दर्जन से अधिक लड़के शामिल है। नाबालिकों को भी इसका हिस्सा बना दिया गया है। गिरोह का मुखिया इनसे टिकट बुक कराता है और फिर टिकट बुक होने के बाद टिकट का कलेक्शन करने खुद पहुंचता है।  जो भी इन दलालों से टिकट खरीदना है उनसे यह दलाल मोटी रकम वसूलते हैं। यही खेल लंबे समय से चला आ रहा है। आइये अब हम आपको बताते हैं कि यह पूरा खेल किस तरह से चलता है।

एक दिन पहले जमा होता है तत्काल का फार्म 

रीवा रेलवे स्टेशन में दलालों के बनाए नियम ही चलते हैं । यहां यदि तत्काल टिकट चाहिए तो 1 से 2 दिन पहले ही फॉर्म भरकर टिकट काउंटर के बाहर जमा करना पड़ता है । इसके बाद इन दलालों का खेल शुरू हो जाता है । यह दलाल 24 घंटे रेलवे स्टेशन में सक्रिय रहते हैं जिस दिन तत्काल की बुकिंग होने वाली रहती है । उसी रात को पूरा खेल कर देते हैं । जमा फॉर्म  में अपना नंबर सबसे आगे कर लेते हैं और जो सामान्य व्यक्ति रहता है उसका फार्म या तो गायब कर दिया जाता है या फिर पीछे धकेल दिया जाता है। यही वजह है कि हर दिन यही दलाल काउंटर पर बुकिंग के लिए सबसे पहला और दूसरा नंबर पाते हैं। इन्हीं की टिकट क्लियर हो पाती है बाकी निराश होकर लौट जाते हैं।

फार्म की तकवारी के लेते हैं 500 से हजार रुपए 

यदि आपको इन दलालों से अपने फॉर्म को बचाना है तो इन्हे इसके बदले रुपए देने पड़ते हैं। दलालों ने फार्म तकवारी के लिए रेट तय कर रखा है। प्रति फॉर्म ₹500 से हजार रुपए तक लेते हैं। यदि इन दलालों को रुपए नहीं मिलते तो यह फार्म गायब कर देते हैं। ट्रेन के हिसाब से इनके रेट भी तय रहते हैं। जिस ट्रेन की डिमांड ज्यादा होती है। उसका दाम भी ज्यादा वसूलते हैं। रुपए देने के बाद भी टिकट काउंटर में पहला नंबर दलालों का ही लगता है। एक और स्लीपर के लिए जैसेह है विंडो ओपन होती है। उसके कुछ मिनट में ही तत्काल की सीटें फुल हो जाती हैं। ऐसे में यदि में आपका 1 से 3 के बीच में नंबर लगा तब तो टिकट मिलना तय है वरना आपको खाली हाथ ही लौटना पड़ेगा। 

टिकट कलेक्शन करने आता है सरगना

तत्काल टिकट की कालाबाजारी का मुख्य सरगना 11 बजे स्टेशन पहुंचता है। जब उसके गुर्गे टिकट कटवा लेते हैं तब वह कलेक्शन करने पहुंचता है। सुबह 10 बजे एसी टिकट का काउंटर खुलता है। इसके बाद 11 बजे स्लीपर के लिए तत्काल बुकिंग शुरू होती है। टिकट कटने के बाद सभी गुर्गों से सरगना टिकट कलेक्ट करता है। यह खेल स्टेशन पर हर दिन चलता है लेकिन इसे रोकने की हिम्मत कोई नहीं करता। टिकट की इस कालाबाजारी में नाबालिग बच्चों को भी मोहरा बनाया जाता है। 

सीसीटीवी लगा है, आरपीएफ भी रहती है तैनात 

ताजू तो यह है कि रीवा रेलवे स्टेशन पर सीसीटीवी कैमरे लगे हैं। आरपीएफ और जीआरपी थाना भी है इसके बाद भी यह दलाल पकड़ में नहीं आते। इससे यह तो साफ जाहिर है कि इन सब की मिलीभगत से ही सारा खेल चल रहा है। अवैध कमाई का कुछ हिस्सा शायद इनकी झोली में भी गिर रहा है। इसी वजह से यह टिकट के दलाल पकड़ में नहीं आते। सूत्रों की मानें तो सरगना टिकट बुक कराने वाले गुर्गों को एक टिकट का 200 से 500 रुपये कमीशन देता है। इसी लालच में युवक गलत काम कर रहे हैं।