जालसाज मिनर्वा मेडिसिटी और नेशनल हॉस्पिटल : अस्पताल में भर्ती मरीज का नगद कराया भुगतान फिर मेडिकल क्लेम की फाइल भी लगा दी, कस्टर के फर्जी साइन भी कर डाले

रीवा में मिनर्वा अस्पताल का एक और कारनामा आप को हैरान कर देगा। अब रुपयों के लिए मिनर्वा धोखेबाजी और फर्जीवाड़ा भी करने लगा है। अस्पताल में भर्ती मरीज के परिजनों से पहले अस्पताल के मेडिकल क्लेम लेने से इंकार कर दिया था। बाद में मरीज नगद राशि जमा कर मरीज को संजय गांधी अस्पताल ले गए तो इसके बाद मेडिकल क्लेम की फाइल लगा दी। इसकी जानकारी जैसे ही मरीज के परिजनों को हुई तो तुरंत मिनर्वा अस्पताल प्रबंधन से संपर्क किया। मिनर्वा अस्पताल प्रबंधन की जब पोल खुली तो गलती से क्लेम फाइल करने की बात कह बचने लगा। अब इससे अस्पताल की 420 का अंदाजा लगाया जा सकता है। इसमें नेशनल हास्पिटल की भी मिली भगत मानी जा रही है।

जालसाज मिनर्वा मेडिसिटी और नेशनल हॉस्पिटल : अस्पताल में भर्ती मरीज का नगद कराया भुगतान फिर मेडिकल क्लेम की फाइल भी लगा दी, कस्टर के फर्जी साइन भी कर डाले
File photo minarva hospital rewa

सिर्फ एक दिन ही भर्ती रहा मरीज, कैश में जमा की फीस फिर भी  लगा दिया 92 हजार का मेडिकल क्लेम का बिल

भर्ती से समय मेडिकल क्लेम लेने से किया था इंकार, अब फर्जी तरीके से बिल लगा कर फायदा उठाने में जुट गए

रीवा। रीवा में प्राइवेट अस्पतालों ने मरीजों से लूट मचा रखी है। यहां हर दिन हंगामा मचता है। लाखों रुपए का बिल मरीजों के परिजनों से वसूलते हैं। मिनर्वा मेडिसिटी अस्पताल खन्ना चौराहा इस मामले में सबसे विवादित अस्पताल है। सतना के पुसिलकर्मी की मौत के बाद परिजनों ने भी अस्पताल पर अनावश्यक राशि वसूलने का आरोप लगाया था। सही इलाज नहीं किए जाने का आरोप लगाया था। अब यह बातें इनके फर्जीवाड़ा से सच साबित होने लगी है। एक नया मामला अस्पताल की धोखाधड़ी का सामने आया है। मरीज के परिजनों को पहले अस्पताल ने हेल्थ इंश्योरेंस पॉलिसी से कैशलेस इलाज करने में असमर्थता जता दी थी। मेडिक्लेम लेने से इंकार कर दिया था।बाद में अस्पताल में किसी तरह का मेडिकल क्लेम के दस्तावेज नहीं होने के बाद भी कंपनी के पास क्लेम के लिए आवेदन कर दिया गया। हद तो यह है कि सिर्फ 23 हजार रुपए मरीज के परिजनों ने एक दिन के इलाज का अदा किया था और मिनर्वा मेडिसिटी ने कंपनी से 92 हजार रुपए का क्लेम मांगा है। दस्तावेजों में अस्पताल ने मरीज के परिजनों के फर्जी सिग्नेचर तक कर डाले। कुल मिलाकर अस्पताल मरीजों और उनके परिजनों से किसी भी तरह से लूटपाट में लगी है। यदि आप भी नेशनल हास्पिटल और मिनर्वा अस्पताल में इलाज कराने जा रहे हैं तो अभी से सतर्क हो जाएगी। यह अस्पताल नहीं लूटपाट का अड्डा बन चुका है। 

यह है नेशनल हास्पिटल से मिनर्वा तक का पूरा मामला

आपको बता दें कि रिया मिश्रा पति अभिनेश तिवारी को डिलिवरी के लिए नेशनल हास्पिटल रीवा में भर्ती किया गया था। भर्ती के बाद बच्चे में दिक्कतें आनी शुरू हो गई। बच्चा सांस नहीं ले पा रहा था। इसके बाद डॉक्टरों ने बच्चे को मिनर्वा अस्पताल में भर्ती करने की बात कही। वहां सारी सुविधा होने का हवाला दिया गया। डॉक्टरों के कहने पर ही परिजन बच्चे को 29 जून को रात 9 बजे भर्ती किया। एनआईसीयू में बच्चे को भर्ती कर रखा गया। बच्चा सिर्फ एक ही दिन यहां रहा। इसके बाद परिजन दूसरे ही दिन 30 जून को डिस्चार्ज करा कर संजय गांधी अस्पताल ले गए। एक दिन का कैश भुगतान भी कर गए। एक दिन का किराया करीब 23 हजार रुपए के करीब जमा कराया गया। अब मरीज के जाने के बाद भी मिनर्वा अस्पताल का मीटर कागजों में चालू रहा। मरीज को कागजों में डिस्चार्ज नहीं किया गया। वहीं भर्ती के समय हेल्थ इश्योरेंस कवर करने से उन्होंने साफ इंकार कर दिया था। कैश में ही पूरा इलाज करने की बात कही थी। यही बात नेशनल हास्पिटल में भी कही गई थी। वहीं पर मरीज के परिजनों ने मेडिकल क्लेम के कागज जमा किए थे। जिसे बाद में नेशनल अस्पताल वालों ने मिनर्वा अस्पताल भेज दिया था। इसी मेडिकल क्लेम के कागज को मिनर्वा अस्पताल ने भुनाने की कोशिश की। कैश में सिर्फ 23 हजार का बिल वसूला लेकिन मेडिकल क्लेम 92 हजार का किया। हालांकि समय रहते प्रिया मिश्रा और उनके परिजनों को यह बात पता चल गई तो इनकी चोरी पकड़ी गई। 

सब कुछ फर्जी जानकारी भरी और फर्जी हस्ताक्षर भी कर दिए

मिनर्वा अस्पताल ने मरीज के परिजनों के साथ धोखाधड़ी करने की कोशिश की। कैश में बिल लेने के बाद मेडिकल क्लेम की राशि भी भुनाने की कोशिश की। नेशनल हास्पिटल में दिए गए दस्तावेजों में मिनर्वा अस्पताल के कर्मचारियों, अधिकारियों ने फर्जी हस्ताक्षर किए। इसमें फर्जी इलाज और क्लेम की राशि भी दर्ज की गई। जितनी राशि कैश में एक दिन की ली गई। उसका करीब चार गुना मेडिकल क्लेम में दर्ज किया। अब ऐसे में इस अस्पताल की विश्वसनीयता का अंदाजा लगाया जा सकता है। मिनर्वा और नेशनल अस्पताल एक दूसरे से अलग नहीं है। देानों के बीच में आपसी तालमेल बना हुआ है। यह मरीजों को इधर उधर भेज कर लूटने का काम कर रहे है।

इन दोनों अस्पताल से बच कर रहे, यहां भर्ती होने से बेहतर बाहर चले जाएं

रीवा को डिप्टी सीएम राजेन्द्र शुक्ला मेडिकल हब बनाना चाहते हैं। यहां हर दिन एक नया अस्पताल खुल रहा है लेकिन विश्वसनीयता में कोई भी खरा नहीं उतर पा रहा है। सभी प्राइवेट अस्पतालों में मरीज और उनके परिजनों के साथ लूटखसोट की जा रही है। हालांकि इसके पीछे वजह भी मप्र सरकार और प्रशासन की है। इन्हें प्रमोट करने का काम भी सरकार के ही नुमाइंदे कर रहे हैं। यही वजह है कि इन्हें बल मिल रहा है। इन पर किसी तरह की पाबंदी और सख्ती नहीं बरती जाती। हर अस्पताल में किसी न किसी का पैसा लगा हुआ है। इसके कारण इन पर हाथ डालने से भी लोग डरते हैं। संजय गांधी अस्पताल के अधिकांश डॉक्टरों ने निजी अस्पताल खोल लिया है। इसका भी असर संजय गांधी अस्पताल की स्वास्थ्य व्यवस्थाओं पर पड़ रहा। इसी का फायदा प्राइवेट अस्पताल उठा रहे हैं।