अंतरराष्ट्रीय जैव विविधता दिवस आज: विंध्य में जैवविविधता का भंडार, वन्यजीव, पशु पक्षियों और पौधों से भरा है भंडार
विन्ध्य क्षेत्र के वनों एवं उनकी जैवविविधता के गुणवत्ता के कारण इस क्षेत्र में जैवविविधता के संरक्षण हेतु क्षेत्र में अचानकमार-अमरकंटक, बायोस्फियर रिजर्व, बॉधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान, संजयगॉधी राष्ट्रीय उद्यान सीधी, पनपथा अभ्यारण्य, संजय डुभरी अभ्यारण्य, बगदरा अभ्यारण्य स्थापित है। यहॉ पर पादप एवं वन्यजीवों का संरक्षण प्राकृतिक रूप से हो रहा है।
वन विभाग ने पिछले साल बीजों का किया था संग्रह लेकिन इस बार शांति है
रीवा। 22 मई को विश्व जैवविवधता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस दिन वन विभाग सहित कॉलेज, स्कूलों में कार्यक्रमों का भी आयोजन किया जाता है लेकिन इस मर्तबा कोई चहल पहल नहीं दिख रही है। पिछले साल जैवविविधता दिवस के अवसर पर वन विभाग के मैदानी अमले ने कुल 32 प्रजातियों के 1058 किलोग्राम बीज का संग्रहण किया था। बीज का छिड़कांव भी किया था। इस मर्तबा वन विभाग ने किसी तरह का आयोजन नहीं किया। कॉलेजों में भी जैव विविधता के तहत पार्क आदि का निर्माण किया गया है। विंध्या जैव विविधता पार्क भी बनाया गया है। यहां भी किसी तरह के आयोजन नहीं किए जा रहे हैं।
अचानकमार - अमरकंटक जैव मण्डल:-
विन्ध्य क्षेत्र में अमरकंटक के वन अपनी प्रमुखता रखते है। यह वन क्षेत्र मैकल पहाड़ी में स्थित है जो कि विन्ध्य एवं सतपुड़ा पहाड़ो को जोडऩे वाला है। पारिस्थितिकी दृष्टिकोण से यह अत्यंत महत्वपूर्ण क्षेत्र है, अत: यहॉ पर पादप जैव विविधता की सम्वृद्धता देखने को मिलती है। यहॉ के वन नार्दन इण्डियन ट्रापिकल नम पर्णपाती वन, तथा नार्दन इण्डियन नम पर्णपाती वन, नार्दन ट्रापिकल, सूखे पर्णपाती वन तथा नार्दन सूखे मिश्रित पर्णपाती वन है। साल वृक्ष इन वनों की प्रभावी प्रजाति है। यहॉ की पादप एवं जैवविविधता अत्यधिक सम्वृद्ध है। एक अध्ययन के अनुसार क्षेत्र में कुल 1527 पादप प्रजातियॉ एवं 324 जन्तुप्रजातियॉ मिलती है। क्षेंत्र के वनों एवं जैवविविधता को देखते हुये पर्यावरण एवं वन मंत्रालय ने इसे बायोस्फियर रिजर्व घोषित किया है, जो कि मध्यप्रदेश में पंचमढ़ी के बाद दूसरा बायोस्फियर रिजर्व है। यहीं पर प्रमुख नदियों सोन एवं नर्मदा का उद्गम स्थल है। क्षेत्र में बैगा, गोड़, कंवार, प्रधान एवं पनिका जनजातियॉ निवास करती है। क्षेत्र में चार प्रजातियॉ वाइल्ड रूप से रिजनली इक्सटिक्ट है, इनमें काली बच, काली हल्दी, सर्पगंधा, तेलियाकंद है। 11 प्रजातियॉ किटिकली संकटग्रस्त है, इनमें थल्को, करकट (शल्यकर्णी), काला सिंघिया, मेदा, हत्थाजोड़ी, भोजराज, ड्रोसेरा, दहिमन, तेजराज, नीला चित्रक, गरूडवृक्ष (सोनपाडर) है। 57 प्रजातियॉ संकटग्रस्त है इसमें खमेर, खनीमाकंद, इन्द्रायण लता, ईश्वरमूल, बायबिडंग, बोसियाकंद, बच, ब्राम्ही कलियारी, कोचिला आदि है। 111 प्रजाति बलनरेबल 77 नियर थ्रेटेन्ड, 90 सफिसियंट तथा दो काला जीरा एवं मीटम डाटा डिफिसियंस वर्ग की है।
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बॉधवगढ़ राष्ट्रीय उद्यान -
बॉधवगढ़ का वनक्षेत्र मिश्रित ट्रॉपिकल नम पर्णपाती प्रकार का है, साल एवं बॉस प्रभावी प्रजाति है। यह वन देश के उत्तरपूर्वी साल जोन वनो के अन्तर्गत आता है। इस वन क्षेत्र का क्षेत्रफल 448.48 वर्ग किमी है, जो कि राष्ट्रीय उद्यान के अन्तर्गत आता है। वर्तमान में यह प्रोजेक्ट टाइगर के अन्तर्गत भी है। वन क्षेत्र में कुल छोटी-छोटी 32 पहाडिय़ॉ है। संगठन के अनुसार बॉधवगढ़ के वनक्षेत्र को चार श्रेणियों में विभक्त किया गया है।
1. पहाड़ी ऊॅचाईयों के वन समूह - इनमें सोनपाडर, कुटुज , इन्द्र जौ, पापड़, गुर्जन, कूल्लू, आष्टा, तेंदू, पाकर, चिल्ला आदि वृक्ष है।
2. पहाड़ी उतार के वन समूह - इनमें साल, अचार, सेंमल, तेंदू, कुसुम, कसई, धवा, धाय, भेलमा आदि वृक्ष है।
3. पहाड़ी धरातल के वन समूह इनमें साल, हल्दू, महुआ, तिनसा, भेलमा, अमलतास, इमली, घोट, बॉस, बीजा, हर्रा, बहेरा, आवला, साज, पलाश, सेझा आदि वृक्ष है।
4. नदी के किनारे एवं पानी के पास के वन समूह - इनमें अर्जुन, हल्दू, उमर, पीपल, पाकर, बेल, बरगद, कठजामुन आदि वृक्ष है।
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घास वनस्पति
1. पहाड़ी ऊॅचाईयों के घास के मैदान - यहॉ झानी, लम्पा, भुरभुसी, मुसैल, मरबेल घास है।
2. पहाड़ी तल के घास के मैदान - सवई, फुलबहरी, मरबेल, गोनियर, भुनूसी घास है,
3. दलदली घास मैदान,- नाल, सामा, मुंज, खश, बार्रू, भइयाडाउ घास है।
4. नदी किनारे के मैदान - टाइफा, कासा, पानीघास, सेंन्दुरी, फर्नप्रजाति, है।
5. चराई क्षेत्र - भुरभुसी और कांस मिलती है।
6. पहाड़ी ढलान - अंजन, धामन, बजरी, मरबेल घास है।
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औषधीय पौधे -
बॉधवगढ़ वनक्षेत्र में पाये जाने वाले प्रमुख औषधीय पौधे काल मेघ, ताल मखाल, सतावर, गुॅगची, अरूस, बज्रदन्ती, तिखुर, सफेद मूसली, काली मूसली, बाकुची, ब्राम्ही, मालकांगनी, ऑवला, भ्रृंगराज, बायबिडंग, डीकामाली, गोरखमुण्डी, रामदतुन, कुटज, हर्रा, बहेरा, बेल, निर्गुण्डी, कैसुल, खस, इन्द्रजौ आदि है।
वन्य जीव -
वन क्षेत्र में चीता, तेंदुआ, भालू, लकड़बग्घा, सियार, ढोल, चितल, सांभर, लोमड़ी, नीलगाय, बारहसिंघा, चिंकारा, काला हिरण, गौर, जंगली सुअर, बन्दर, सेही आदि वन्य जीव है।
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पक्षी - सुरखाव, पीलक, अबाबील, दुधराज, नीलकण्ठ, कोयल, उल्लू, तोता, धोबन, कौआ, छोटी मुर्गाबी, रेप्टाल्स, मगर, कोबरा, अजगर, धामन आदि है।
बाधवगढ क्षेत्र मे दो रीजनली इक्टिन्कट प्रजाति सर्पगन्धा, एवं तेलियाकन्द, चार क्रिटिकल संकटग्रस्त प्रजाति कर कट, भोजराज, सफेद पलास, तेजराज, 8 संकटग्रस्त प्रजाति बच बज्रगांठ, कलिहारी, केवकंद, मजिण्ठा, मेदा, दहिमन (दधिपलाश) तथा जटाशंकरी है। इसके अलावा 44 वलनेरै बिल, 33 नियर थ्रियेटेन्ड, तथा 75 प्रजाति लीस्ट कनसर्न सफिसियंट श्रेणी की है।
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान सीधी -
संजय गांधी राष्ट्रीय उद्यान सीधी के वन मुख्यतया मिश्रित प्रकार के वन ह,ै जिसमे साल प्रभावी प्रजाति है तथा बॉस के वन बीच बीच में है। इनके साथ सरई,धवा,पलास,गुर्जन, सेमल,महुआ, हर्रा हल्दू, बेर,तेन्दू, आदि के वृक्ष है। वन काफी संघन प्रकार का है इन वनों में वन्य जीव चीता, तेदुआ,भालू, जंगली सुअर, जंगली बिल्ली, नीलगाय, चीतल, सांभर, जंगली कुत्ता, बारह सिंगा, बन्दर, सियार, बायसन, हिरण, मिलते है। पक्षियों में तोता, मोर, बुलबुल, मुनिया, फाकता, बतख, नीलकण्ठ, तीतर, जंगली मुर्गा, कौआ, चील आदि है।
संजयडुभरी अभ्यारण्य-
यह वन क्षेत्र रीवा के विश्व प्रसिद्ध सफेद शेर 'मोहनÓ का जन्म स्थान है। यह बनास नदी के किनारे 365 वर्ग कि0मी0 क्षेत्रफल में फैला है। यह वन उत्तर भारतीय नम पर्णपाती वन है जहॉ साल प्रजाति 60-90 प्रतिशत है। इस वन क्षेत्र में मुख्य रुप से पादप प्रजातियॉ मिलती है।
1. ऊपरी क्षत्र - साल, धवा,तेन्दू,सेझा,साज,हर्रा,बहेरा, महुआ।
2. मध्य क्षत्र - ऑवला,आचार,कुम्भी,कुरकुट,लोध, घानी, रोरी, पपरा खैर।
झाड़ी- बिरहुल,छिन्द,सेहेरुआ,धवई,घोटहर।
घास - लम्पा,बगई,मोरक, वर्न
लता- धवइन,मोहतैन,गोहिन्दर,रामदतून,केमाच
वन्यजीव- चीता,तेदुआ,भालू,साभर, चीतल,सियार,हाइना,बारहसिंगा,जंगली सुअर,
पक्षी- मोर,लाल जंगली मुर्गा,तीतर,लावा ,नीलकंठ, कबूतर, कोयल, बाज, बतख,बगुला आदि।
बगदरा अभ्यारण्य- यह अभ्यारण्य सीधी जिले मेेेेेे 'कृष्णा मृगÓ के संरक्षण हेतु सथापित है। इसका क्षेत्र फल 478 वर्ग किमी है जिसमे 237.04 वर्ग कि0 संरक्षित वन क्षेत्र है। यह वन नार्दन शुष्क मिश्रित पर्णपाती वन है। यह अभ्यारण्य सोन नदी के बॉये किनारे में फैला है। वन मे निम्नानुसार पादप प्रजातियॉ मिलती है।
ऊपरी छत्र - लई,कुल्लू,कहुआ,हल्दू,तेन्दू,सेमल,महुआ,बहेरा,स ाल,पाकर साज।
मध्य छत्र - धवा,खैर,गुर्जन,आवला,गलगल,हर्रा,जमरासी,कुम् भी।
भूस्तर- बेर,सेहेरुआ,सतावर, करौदा बिरहुल,
लता - मोहतैन,दूधवेल,केवाच
घास- लम्पा,राथर, भुरभुसी,छिन्द
परजीवी - बन्धा,अमरबेल
वन्यजीव - कृष्णा मृग, चिन्कारा, चीतल, नीलगाय, भालू,साभर,तेदुआ,डगर जंगली सुअर।
पक्षी-तीतर,बटेर,चील,गिद्ध, कबूतर, सुआ, बाजे, बगुला, सारस,कोयल,बुलबुल, जंगली कौआ, फदकी, मोर, नीलकण्ठ, लावा, हरियल।
रेप्टाइल - गोह,कोबरा,नाग,धामन।
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पनपथा अभ्यारण्य-
यह उमरिया जिले में बान्धवगढ के पास स्थित है। अभ्यारण्य का क्षेत्रफल 245.84 वर्ग कि.मी. है। क्षेत्र का वातावरण मानसूनी है। मुख्य रुप से साल प्रभावी प्रजाति है, जो कि कुल वृक्षो का 40 प्रतिशत है। इसके साथ साज,बीजा, कारी,धवा,हल्दू, सेमल,महुआ, तेन्दू,ऑवला,आदि के वृक्ष है। वन्य जीवो में चीता,तेदुआ,भालू जंगली सुअर, बारहसिंगा,संाभर,चिन्कारा,चीतल आदि है।
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