मनगवां सीएमओ का फर्जीवाड़ा, 3.80 लाख का कर लिया खुद के खाते में फर्जी एरियर भुगतान, ईओडब्लू ने दर्ज की एफआईआर

मनगवंा में पदस्थ मुख्य नगर पालिका अधिकारी का गजब कारनामा सामने आया है। सीएमओ ने मैहर में पदस्थापना अवधि का सातवें वेतनमान के अंतर की राशि 3.80 लाख का फर्जी एरियर पत्रक बनाकर खुद के खाते में मनगवां बैंक से भुगतान भी कर लिया। ईओडब्लू ने इस मामले में सीएमओ के खिलाफ एफआईआर दर्ज किया है।

मनगवां सीएमओ का फर्जीवाड़ा, 3.80 लाख का कर लिया खुद के खाते में फर्जी एरियर भुगतान, ईओडब्लू ने दर्ज की एफआईआर
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सीएमओ हरिमित्र श्रीवास्तव के खिलाफ दर्ज किया गया मामला
रीवा।  ईओडब्लू से मिली जानकारी के मुताबिक वर्ष 2021-22 की अवधि में सहायक परियोजना अधिकारी जिला शहरी विकास अभिकरण रीवा के पद पर पदस्थ हरिमित्र श्रीवास्तव को जिला कलेक्टर रीवा द्वारा आदेश दिनांक 13.08.2021 के माध्यम से वर्तमान कार्य के साथ-साथ मुख्य नगर पालिका अधिकारी मनगवां जिला रीवा का अतिरिक्त कार्य सौंपा गया था। उक्त पदस्थापना अवधि में हरिमित्र श्रीवास्तव द्वारा नगर परिषद मैहर में पदस्थापना अवधि का सातवें वेतनमान के अंतर की राशि रुपये 3,80,648/- का फर्जी एरियर पत्रक (माह जनवरी 2016 से मई 2018 की अवधि का) तैयार कर उक्त एरियर का भुगतान नगर परिषद मनगवां के बैंक खाते से दिनांक 01 जनवरी 2022 को अपने बैंक खाते में प्राप्त कर लिया। उक्त भुगतान व्हाउचर में मुख्य नगर पालिका अधिकारी मनगवां एवं लेखापाल के स्थान पर हरिमित्र श्रीवास्तव द्वारा स्वयं हस्ताक्षर कर आहरित किया गया था। उक्त देयक में प्रशासक नगर परिषद मनगवां के हस्ताक्षर के स्थान पर किया गया हस्ताक्षर भी फर्जी  पाया गया है। इसके बाद सातवें वेतनमान के माह जनवरी 2016 से मई 2018 की अवधि का एरियर 01 जनवरी 2022 को प्राप्त कर लेने के बाद भी हरिमित्र श्रीवास्तव ने  02 फरवरी2022 को पुन: फर्जी एरियर पत्रक तैयार कर अनुमोदन हेतु नगर परिषद मैहर भेजा था। मामले की शिकायत के बाद ईओडब्लू ने हरिमित्र श्रीवास्तव प्रभारी मुख्य नगर पालिका अधिकारी नगर परिषद मनगवां जिला रीवा के द्वारा पद का दुरूपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार कर सातवें वेतनमान की एरियर राशि रूपये 3 लाख 80 हजार 648 रूपए का अवैध भुगतान स्वयं के खाते में प्राप्त कर शासन को आर्थिक क्षति कारित करने का आरोप प्रमाणित पाये जाने से हरिमित्र श्रीवास्तव के विरूद्ध धारा 420, 409, 467, 468, 471, भा.द.वि. 13 (1) ए. 13(2) भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम 1988, संशोधन अधिनियम 2018 का अपराध पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया है।