बचपन में लड़कों के साथ खेलती थी क्रिकेट तो लोग आलोचना करते थे लेकिन अब तारीफ कर रहे: शुचि
रीवा से क्रिकेट सीखने वाली शुचि उपाध्याय आज की तारीख में इंटरनेशनल चेहरा और पहचान बन चुकी हैं। शुचि भारतीय महिला क्रिकेट टीम का हिस्सा बन गई हैं। भारतीय टीम में चयन के बाद शुचि लंबे समय बाद रीवा उसी मैदान पर पहुंची, जहां उन्होंने क्रिकेट की बारीकियां सीखीं थी। उन्होंने पुराने दिन याद किए। साथ ही अपने अनुभव भी साझा किए। शुचि ने कहा कि वह जब बचपन में क्रिकेट खेलती थी कि तो लड़की होने के कारण लोगों की आलोचनाएं भी झेलनी पड़ी थी लेकिन माता पिता ने उनका साथ दिया। आज वह भारतीय क्रिकेट टीम का हिस्सा हैं। अब उनकी तारीफ करते लोग नहंी थकते। रीवा पहुंचने पर शुचि का जोरदार स्वागत किया गया।

रीवा पहुंची भारतीय महिला क्रिकेटर शुचि उपाध्याय का हुआ जोरदार स्वागत
जिस जगह से क्रिकेट सीखा उसी घर के आंगन में बने मैदान को देखने पहुंचीं
रीवा। आपको एक नाम तो याद ही होगा शुचि उपाध्याय। शुचि उपाध्याय ने रीवा से ही क्रिकेट की बारीकियां सीखीं। अब वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हैं। अपने शानदार प्रदर्शन से शुचि ने नई ऊंचाईयां छू ली है। भारतीय क्रिकेट टीम में जगह पाने के बाद वह लंबे समय बाद रीवा लौटी हैं। वह रीवा सिर्फ अपने गुरु से मिलने पहुंची। शुचि का इंतजार लंबे समय से हो रहा था लेकिन वह चंदीगढ़ में प्रैक्टिस मैच के कारण रीवा नहीं आ पाईं थीं। रविवार को रीवा पहुंची तो उनका रीवा में जोरदार स्वागत हुआ। शुचि अपने गुरु से मिलने उनके घर बोदाबाग पहुंची। सभी से मुलाकात भी की।
शुचि ने बताया कि उसे बहुत अच्छा लग रहा है। उन्होंने कहा कि हर क्रिकेटर का सपना होता है कि वह भारतीय क्रिकेट टीम में शामिल हो और भारत के लिए खेलें। उन्होंने बताया कि वह आज जहां हैं, वहीं पर बैटिंग और बॉलिंग सीखती थीं। यह जगह अलग नहीं है। घर जैसा लग रहा है। उन्होंने बताया कि वह बचपन से ही क्रिकेट खेलती थी। मंडला में घर के पास ही मैदान था। वहां पर भैया लोग क्रिकेट खेलते थे। उनके साथ ही क्रिकेट खेलती थी। इसमें माता पिता का भरपूर सहयोग मिला। शुचि ने बताया कि उन्हें बैटिंग और बॉलिंग दोनों रुचि है। उन्होंने बताया कि इन दोनों में यदि पसंद की बात करें तो बॉलिंग ज्यादा पसंद है। शुचि ने बताया कि रीवा से ही उन्होंने क्रिकेट सीखा। इन्द्रदेव भारती भैया ने ही उन्हें क्रिकेट सिखाया। यहीं से बालिंग और बैटिंग सीखी। यह जगह उनके लिए नया नहीं है। घर जैसा ही लग रहा है।
वहीं शुचि की सफलता पर इन्द्रदेव भारती ने बताया कि वह भी क्रिकेट खेलते थे। सफल नहीं हो पाए तो कोच बन गए। उन्होंने बच्चियों को क्रिकेट सिखाना शुरू किया। शुचि उपाध्याय के अंदर शुरू से ही जुनून था। ऐसा लग रहा था कि वह जरूर कुछ बड़ा करेगी। उसकी सफलता से सभी गदगद हैं।
यह पूरी कहानी थोड़ी फिल्मों जैसी है, खुद असफल कोच ने सफलता के पायदान पर पहुंचाया
शुचि की सफलता की कहानी कुछ कुछ फिल्मों जैसी है। आपने इकबाल और घूमर जैसी फिल्में तो जरूर देखी होंगी। इन फिल्मों में ऐसे क्रिकेट कोच तो देखें होंगे जो खुद तो सफल नहीं हुए लेकिन अपने शिष्यों को सफल करने के लिए पूरी ताकत झोंक देते हैं। ऐसे ही कोच हैं रीवा के इन्द्रदेव भारती उर्फ स्वामी जी। इनकी मेहनत का ही नतीजा है कि रीवा से क्रिकेट सीखकर एक बच्ची ने भारतीय क्रिकेट टीम में अपनी जगह बना ली है। अब वह भारतीय महिला क्रिकेट टीम की खिलाड़ी है। इन्द्रदेव भारती ने शुचि उपाध्याय को क्रिकेट सिखाने के लिए घर के आंगन मे ही पिच तैयार कर रखी थी। यहीं पर वह शुचि को क्रिकेट की बारीकियां सिखाते थे। उन्हें क्या पता था कि वह जिस लड़की को क्रिकेट सिखा रहे हैं, वह भारतीय टीम का हिस्सा बन कर रीवा और उनका नाम रोशन करेगी। भारतीय टीम में पहुंचने के पहले शुचि ने हर रणजी से लेकर टी 20 तक में जगह बनाई। अंतिम में शुचि का चयन भारतीय महिला क्रिकेट टीम में हो गया। टीम में चयन के बाद वह रविवार को रीवा पहुंची।