रीवा के प्राइवेट बैंकों ने दबा रखा था सरकारी खजाना, तलाशने पर मिला 50 करोड़ से ज्यादा

सरकारी विभाग के अधिकारियों की प्राइवेट बैंकों के साथ साठगांठ ने शासन के करोड़ों रुपए नजर से ही ओझल कर दिए थे। अब जब कलेक्टर के निर्देश पर बैंकों में जमा रकम की तलाश की गई तो अधिकारियों के होश उड़ गए। प्राइवेट बैंकों में करीब 50 करोड़ से अधिक की राशि जमा मिली है। इन सभी राशियों को अब कलेक्टर खाते में जमा करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है।

रीवा के प्राइवेट बैंकों ने दबा रखा था सरकारी खजाना, तलाशने पर मिला 50 करोड़ से ज्यादा
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कलेक्टर ने बनाई तीन सदस्यीय कमेटी, कमेटी खंगाल रही है बैंकों के खाते

रीवा। मिली जानकारी के अनुसार मप्र शासन के अलग अलग विभागों ने निजी बैंको में खाते खोले और उनमें करोड़ों रुपए जमा कर छोड़ दिए। यह राशि सरकारी कार्यों में अधिग्रहित की गई प्राइवेट जमीनों के अधिग्रहण के बदले दिए जाने वाले मुआवजा की राशि थी। सड़क से लेकर नहर, नाला, स्कूल, कॉलेज और अन्य सरकारी भवनों के निर्माण के लिए प्राइवेट जमीनों का अधिग्रहण किया गया था। विभागों ने मुआवजा की ही राशि अलग अलग बैंकों में खाते खुलवाकर जमा कर दिए। संबंधित व्यक्तियों को मुआवजा की राशि तक नहीं मिली। कई मामले जब सामने आए तो जिला प्रशासन की आंख खुली। इसके बाद मुआवजा की राशियों का पता लगाया गया तो अलग अलग बैंकों के खाते मिलते गए। इसके बाद कलेक्टर ने सभी बैंकों के खातों में जमा राशि की जानकारी जुटाने के लिए एक टीम बना दी। यह टीम अब भुअर्जन से संबंधित बैंकों के खाते में और उनमें जमा राशि का पता लगाने में जुटी हुई है। प्रारंभिक जांच में ही इतनी राशि बैंकों में जमा मिली कि अधिकारियों के होश उड़ गए हैं। 

तीन अधिकारियों की टीम को मिली है जिम्मेदारी

कलेक्टर ने भूअर्जन से जुड़ी मुआवजा की राशि और खाता, बैंक का पता लगाने के लिए तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। इस टीम में एसडीएम हुजूर वैशाली जैन, जिला कोषालय अधिकारी और एलडीएम को शामिल किया गया है। तीन सदस्यीय टीम पिछले कुछ दिनों से बैंकों के खाक छान रही है। अब तक कई प्राइवेट बैंकों में करोड़ों की राशि पकड़ में आई है। इन राशि को अब कलेक्टर के खाते में जमा करने की प्रक्रिया अपनाई जा रही है। 

इन तीन बैंकों में मिले करोड़ो

मिली जानकारी के अनुसार तीन सदस्यीय टीम ने तीन प्राइवेट बैंकों में जांच की है। इसमें करहिया स्थिति आईडीबीआई बैंक, जॉन टॉवर के पास मौजूद यूनियन बैंक और एक एचडीएफसी बैंक शामिल हैं। इसमें सरकारी राशि करोड़ों रुपए जमा थी। अब तक की जांच में भूअर्जन का करोड़ों रुपए इन प्राइवेट सहित अन्य बैंकों में जमा था। जिसकी किसी को जानकारी ही नहीं थी। अब यह राशि धीरे धीरे सामने आ रही है। 

सालों पुरानी राशि बताई जा रही है

प्राइवेट बैंकों में जमा सरकारी राशि सालों से यूं ही पड़ी थी। सरकारी अधिकारियों ने कमीशन के लालच में प्राइवेट बैंकों में खाते खोलकर सरकारी राशि जमा कर दी थी। अधिकारी चले गए तो वह राशि भी प्राइवेट खातों में यूं ही जमा रह गई। अब जाकर इसकी खोज खबर शुरू हुई है। इस राशि में बाण सागर परियोजना से जुड़ी मुआवजा राशि भी होना बताया जा रहा है। इसके अलावा सड़क के लिए जमीनों के भूमि अग्रिहण की राशि भी शामिल है। यह राशि भू धारकों को वितरित नहीं की गई। अब भी यह राशि यूं ही डंप पड़ी थी। अब यह राशि प्राइवेट बैंकों से निकल कर कलेक्टर के खाते में जमा होगी।