एसजीएमएच के आउटसोर्स कर्मचारियों का अनोखा अभियान, इनके इस अभियान से अब नहीं जाएगी किसी की जान

संजय गांधी अस्पताल के आउटसोर्स कर्मचारियों ने हर सप्ताह रक्तदान का संकल्प लिया है। इस संकल्प का चार सप्ताह से निभा रहे हैं। शनिवार को भी पांच कर्मचारियों ने ब्लड बैंक पहुंच कर रक्तदान किया। इसमें महिला कर्मचारी भी शामिल रहीं। विंध्य के सबसे बड़े अस्पताल में हर दिन करीब 50 यूनिट ब्लड की खपत है। इसके कारण ब्लड की कमी हमेशा बनी रहती है। मरीजों की जान तक चली जाती है। यही वजह है कि आउटसोर्स कर्मचारियों ने मरीजों की जान बचाने के लिए रक्तदान करने का बीड़ा उठाया है।

एसजीएमएच के आउटसोर्स कर्मचारियों का अनोखा अभियान, इनके इस अभियान से अब नहीं जाएगी किसी की जान

14 जून रक्तदाता दिवस से की गई है रक्तदान की शुरुआत

रीवा। संजय गांधी अस्पताल के आउटसोर्स कर्मचारी देवदूत बन गए हैं। मरीजों की जान बचाने के लिए हर सप्ताह रक्तदान कर रहे हैं। ब्लड बैंक खून से खाली न रह जाए इसके लिए आउटसोर्स कर्मचारियों ने संकल्प लिया है। 4 सप्ताह से इस परंपरा को आउटसोर्स कर्मचारी निभा रहे हैं। हर सप्ताह से तीन से पांच आउटसोर्स कर्मचारी ब्लड बैंक पहुंच कर स्वैच्छिक रक्तदान कर रहे हैं। 14 जून विश्व रक्तदाता दिवस से इस अभियान की आउटसोर्स कर्मचारियो ने शुरुआत की थी। इनके प्रयास से मरीजों को नया जीवनदान मिल रहा है। कैंसर, थेलेसीमिया जैसी गंभीर बीमारी से जूझने वाले मरीजों को अब खून मिल रहा है। दलालों की चंगुल से मरीज के परिजन नहीं फंस रहे हैं। अस्पताल प्रबंधन भी आउटसोर्स कर्मचारियों का उनके इस नेक काम में साथ दे रहा है। शनिवार को तुलसी गुप्ता, निपेन्द्र सिंह, नीरज सोनी, आकाश साकेत और रंजीत नापित ने ब्लड बैंक पहुंच कर हंसी खुशी रक्तदान किया। आउटसोर्स कर्मचारी सिर्फ रक्तदान नहीं कर रहे लोगों की आंख भी खोल रहे हैं। जो लोग रक्तदान करने से डरते हैं, उन्हें भी जागरुक करने का काम कर रहे हैं। महिला कर्मचारी भी ब्लड बैंक पहुचं कर इस नेक काम में शामिल हो रही हैं। यदि इन आउटसोर्स कर्मचारियों से ही लोग रक्तदान की महत्वता को समझ जाएं कि खून की कमी से किसी की जान न जाए। आउटसोर्स कर्मचारियों के प्रयासे काफी हद तक मरीजों की रक्त की आपूर्ति हो पा रही है।