अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा: निलंबन और एफआईआर के खिलाफ पहुंचे कोर्ट, कोर्ट से भी नहीं मिली राहत

स्कूल शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति के नाम पर बड़ा फर्जीबाड़ा किया गया। इस मामले में अनुकंपा शाखा प्रभारी रमाप्रसन्न की भूमिका अहम मिली थी। प्रभारी को निलंबित कर दिया गया था। साथ ही एफआईआर भी दर्ज की गई थी। बाद में कमिश्नर ने डीईओ और लिंक अधिकारी को भी निलंबित कर दिया था। इस निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ रमाप्रसन्न द्विवेदी कोर्ट की शरण में पहुंचे लेकिन उन्हें राहत नहीं मिली। कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी।

अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा: निलंबन और एफआईआर के खिलाफ  पहुंचे कोर्ट, कोर्ट से भी नहीं मिली राहत
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रीवा। आपको बता दें कि स्कूल शिक्षा विभाग मे अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा किया गया था। इसकी पोल बृजेश कोल के प्रकरण से तब खुली जब प्राचार्य ने वेतनबिल लगाने के पहले उनसे सारे दस्तावेज ही मांग लिए। इसके बाद ही एक एक कर स्कूल शिक्षा विभाग में फर्जी अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों की लाइन लग गई। कुल 6 प्रकरण सिर्फ 1 साल के सामने आए। कलेक्टर के निर्देश पर जिला शिक्षा अधिकारी रहे सुदामा लाल गुप्ता ने 6 अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले और एक लिपिक के खिलाफ सिविल  लाइन थाना में प्रकरण दर्ज करा दिया। इसके बाद तत्कालीन डीईओ सुदामा लाल और लिंक अधिकारी अखिलेश मिश्रा पर भी गाज गिरी। कमिश्नर ने दोनों को निंलबित कर दिया। इस निलंबन की कार्रवाई के खिलाफ सबसे पहले अखिलेश मिश्रा कोर्ट पहुंचे। कोर्ट ने उन्हें राहत दे दी। उन्हें सभी प्रकरणों में राहत मिल गई। इसके बाद रमाप्रसन्न द्विवेदी ने भी केार्ट की दौड़ लगाई। याचिका दायर की गई। कोर्ट के सामने याचिकाकर्ता की तरफ से तर्क रखा गया कि लिपिकीय त्रुटि के कारण ही यह गड़बड़ी हुई है। इस पर कोर्ट ने फटकार लगाते हुए कहा कि लिपिकीय त्रुटि लिखापढ़ी में हो सकती है लेकिन यहां तो सारे दस्तावेज ही गलत हैं। कोर्ट ने याचिका खारित कर दी। थाना में दर्ज एफआईआर पर भी राहत नहीं दी।