लाठी खाने के बाद फिर पहुंचे किसान, स्टॉक में 2500 बोरी थी खाद और लेने वाले 5 हजार से ज्यादा खड़े थे
यूरिया के लिए किसानों ने लाठियां खाई लेकिन हार नहीं मानी। बुधवार की सुबह फिर खाद लेने करहिया में किसानों की भारी भीड़ पहुंच गई। कुछ किसानों को टोकन का वितरण भी किया गया। हालांकि खाद की बोरियां कम थी। इसलिए अधिकारी, कर्मचारी भी असमंजस की स्थिति में फंसे रहे। जिला प्रशासन ने भी चुप्पी साधी हुई थी। किसी निर्णय पर नहीं पहुंच पा रहे थे। स्टॉक में सिर्फ 2500 बोरियां थी और लेने वाले 5 हजार से अधिक पहुंच गए थे।
स्टॉक खत्म होने की कगार पर पहुंची, नई रैक के आने का हो रहा इंतजार
नई रैक आई तो सोमवार से फिर किसानों को किया जाएगा वितरण
रीवा। आपको बता दें कि रीवा में यूरिया का संकट खड़ा हो गया है। किसानों की डिमांड ज्यादा है और आपूर्ति कम है। इसके कारण ही प्रशासन किसानों की डिमांड के हिसाब से यूरिया उपलब्ध नहीं करा पा रहा है। इस बार डबल लॉक करहिया मंडी में खाद पहुंची। यहां लेने के लिए जिलाभर से किसान पहुंचने लगे। हालात यहां बेकाबू हो गए हैं। पिछले चार दिनों से 24 घंटे यहां सिर्फ किसान ही नजर आ रहे हैं। यहीं पर सोना और यहीं पर जगना हो रहा है। किसान खाद के लिए डटे हुए हैं। मंगलवार को टोकन वितरण नहीं हुआ तो रात में किसान उग्र हो गए। कर्मचारियों को ही घेर लिया। इसके बाद पुलिस फोर्स बुलानी पड़ी। किसानों को भगवाने के लिए डंडे फटकारने पडे। तब जाकर जान बची। मंगलवार का दिन निकल गया। बुधवार की सुबह से फिर वही आफत अधिकारियों के सामने खड़ी हो गई। स्टॉक में अब मु_ी भर खाद बची है और लेने वाले किसान कई गुना अधिक है। दोपहर तक तो प्रशासनिक अधिकारी इसी उधेड़ बुन में उलझे रहे कि वितरण करें तो कैसे। वस्तु स्थिति से प्रभारी कलेक्टर को भी अवगत करा दिया गया लेकिन कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया। किसान करहिया मंडी भी अभी भी जमे हुए हैं। यहां 5 हजार से अधिक की भीड़ है और स्टॉक में यूरिया की खाद सिफ्र 2500 बोरियां ही हैं।
इसलिए बढ़ गई डिमांड जो पुजाए नहीं पूज रही
आपको बता दें कि पिछले बार बारिश ने दगा दे दिया था। बारिश नहीं होने से किसानों ने खेतों को पड़ती छोड़ दिया था। बोनी ही नहीं की थी। पिछले साल इतनी मारा मारी खाद को लेकर नहीं। इस मर्तबा मौसम मेहरबान हुआ। जमकर बारिश हुई। अभी बारिश का सिलसिला जारी ही है। खेत लबालब हो गए हैं। किसानों ने दोगुना रकबा में बोनी की है। कोई भी खेत पड़ती नहीं है। यही वजह है कि किसानों की यूरिया को लेकर डिमांड भी बढ़ गई है।
महिलाओं को कर रहे आगे, इसलिए बिगड़ रही व्यवस्था
करहिया मंडी में किसान खुद तो आते ही है। साथ में महिलाओं को भी ले आते हैं। महिलाओं को आगे कर देते हैं। महिलाओं के यहां पहुंचने से ही प्रशासन और पुलिस भीड़ को कंट्रोल नहीं कर पा रहा। व्यवस्थाएं बनाने में भी परेशानी हो रही है। इनकी सुरक्षा भी बड़ी जिम्मेदारी बन गई है। खाद के लिए किसान हर हथकंडा अपना रहा है। अधिक से अधिक खाद मिल जाए इसी कोशिश में घर के कई सदस्य पहुंच रहे हैं।
प्रशासन की चलर व्यवस्था बनी परेशानी का कारण
खाद वितरण में हर साल समस्या आती है। किसानों की भीड़ एक साथ टूटती है लेकिन यह पहली बार हुआ है कि एक महीने से हंगामा मचा हुआ है। खाद आने के बाद भी प्रशासन वितरण की सही व्यवस्था नहीं कर पा रहा है। करहिया मंडी में सेमरिया तक से किसान पहुंच रहे हैं। इसके अलावा रीवा, गोविंदगढ़, गुढ़, रायपुर कर्चुलियान, लौआ लक्ष्मणपुर से भी किसान पहुंच रहे हैं। इस भीड़ के हिसाब से यहां पर कोई इंतजाम नहीं है। कम्प्यूटर और आपरेटर नहीं है। सुविधाओं के आभाव के कारण भी वितरण काम धीमा चल रहा है।