धान मिलर्स को जिला अधिकारी इतना कर गए भुगतान की ढूढ़ें नहीं मिल रहा हिसाब, भोपाल से आई टीम खंगाल रही रिकार्ड

नागरिक आपूर्ति निगम भ्रष्टाचार का अड्डा बन गया है। यहां जो अधिकारी आता है, वहीं निपट जाता है। करोड़ों का वारा न्यारा करता है फिर चला जाता है। इस बार अनिल मिश्रा को रीवा भेजा गया था। उन्होंने 4 महीनों ने ही चार साल के बराबर काम निपटा दिया। करोड़ों का भुगतान किए और चले गए। अब इनके करतूतों की जांच करने भोपाल से तीन सदस्यीय टीम पहुंची है। फाइलें खंगाल रही है। सारा काम आफलाइन हुआ। रिकार्ड मिलने में दिक्कतें आ रहीं।

धान मिलर्स को जिला अधिकारी इतना कर गए भुगतान की ढूढ़ें नहीं मिल रहा हिसाब, भोपाल से आई टीम खंगाल रही रिकार्ड

मिलर्स को किए गए भुगतान में हेरफेर की हुई थी शिकायत

कई चेहेतों को कई गुना अधिक कर गए भुगतान, कोई पाया ही नहीं

रीवा। भोपाल से तीन सदस्यीय टीम रीवा पहुंची। नागरिक आपूर्ति निगम में जिला अधिकारी पद पर पदस्थ रहे अनिल मिश्रा के कार्यकाल में हुए भुगतान की दिन भर जांच चली। एक एक फाइल खंगाली गई। पूर्व डीएम सिर्फ चार महीने ही रीवा में रहे लेकिन चार साल की फाइलें और काम निपटा गए। करोड़ों का वारा न्यारा कर गए। जब भोपाल शिकायत पहुंची तो शासन के कान खड़े हुए। अब एक ऑडिट टीम को भेजा गया है। फिलहाल जांच जारी है।

आपको बता दें कि नागरिक आपूर्ति निगम रीवा हमेशा से ही विवादों में रहा है। यहां पदस्थ हुए अधिकांश अधिकारियों पर गंभीर आरोप लगे। कई मर्तबा जांच हुई और निलंबित भी हुए। अब फिर से एक बार रीवा का नाम भोपाल तक उछला है। हाल ही में रीवा से स्थानांतरित हुए जिला नागरिक आपूर्ति अधिकारी अनिल मिश्रा के कार्यकाल की जांच करने भोपाल से फिर तीन सदस्यीय टीम पहुंची है। टीम में सहायक महाप्रबंधक एससी रड़ाऊ, प्रबंधक वित्त संजय श्रीवास्तव, सहायक मिलिंग अनुपम गुप्ता शामिल हंै। सोमवार को सुबह टीम कलेक्ट्रेट स्थित प्रथम तल पर नागरिक आपूर्ति निगम के कार्यालय पहुंची। सुबह से जो फाइलों की जांच पड़ताल शुरू हुई तो शाम 6 बजे तक जारी रही। फिलहाल पहले दिन की जांच पूरी हो गई है। अभी टीम कुछ दिन और फाइलें खंगालेगी।

भोपाल तक की गई थी शिकायत

रीवा में धान मिलिंग में सबसे बड़ा खेल होता है। यहां जिसकी जितनी पहुंच होती है। वह उतनी ही धान की मिलिंग का अलाटमेंट करा लेता है। अनिल मिश्रा के समय में ही कई ऐसे मिलर्स को अलाटमेंट मिल था जो पहले लिस्ट में शामिल ही नहीं थे। बाद में लिस्ट अनिल मिश्रा ने बदल कर भोपाल भेज दी थी। भोपाल से स्वीकृति भी करा ली और धान के उठाव की अनुमति भी दे दी गई। इसमें बड़ा खेल किए जाने का अंदेशा जताया गया था। इसकी भी शिकायत की गई थी। इसके अलावा धान मिलिंग के भुगतान में भी मिलर्स को फायदा पहुचांया गया। राजनीतिक पहुंच रखने वालों को अधिक भुगतान की बात सामने आ रही है। इसकी भी शिकायत भोपाल तक की गई थी।

भुगतान की जांच करने पहुंची है टीम

नागरिक आपूर्ति निगम में सिफारिश पर भुगतान होता है। जिसकी जितनी पहुंच वह उतना भुगतान करा लेता है। यह पूरा मामला धान मिलिंग के भुगतान से जुड़ा हुआ बताया जा रहा है। अनिल मिश्रा ने अपने कार्यकाल में करोड़ों रुपए का भुगतान कर दिया। कई मिलर्स ने अधिकारी से सांठगांठ कर मिलिंग की राशि से भी कहीं अधिक का भुगतान करा लिया। यह सारा भुगतान ऑफ लाइन हुआ। वहीं जिन्होंने करोड़ों का काम किया। उन्हें लाखों भी नहीं मिले। अब इसी की जांच करने टीम पहुंची है।