क्या आपको पता है जिन जलप्रपात की हम ब्रांडिंग करने जा रहे हैं उसे देखने देश के पहले पीएम आए थे और की थी तारीफ
रीवा में पर्यटन कारोबार को बढ़ावा देने कान्क्लेव का आयोजन हो रहा है। 600 से अधिक डेलिगेट्स आ रहे हैं। इन्हें रीवा और मऊगंज के जल प्रपात दिखाने की योजना है। इन जलप्रपात को देखने के बाद इन डेलिगेट्स के होश उडऩे वाले हैं। शायद ही ऐसे जलप्रपात कहीं और इन्हें देखने को मिलें होंगे। जलप्रपात इतने खूबसूरत और प्राकृतिक हैं कि यह सभी को मंत्रमुग्ध कर देंगे। चचाई जलप्रपात घूमने के लिए खुद देश के पहले प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू यहां आ चुके हैं। उन्होंने इस प्रपात की जमकर तारीफ भी की थी। इसके अलावा मप्र का सबसे ऊंचा जलप्रपात भी मऊगंज जिला में ही हैं।

मप्र का सबसे ऊंचा जलप्रपात है बहुती, इसकी ऊंचाई 650 फीट है
रीवा। मप्र में ऐसे जलप्रपात और कहीं देखने को नहीं मिलेंगे। बहुती जल प्रपात मप्र का सबसे ऊंचा जलप्रपात हैं। इनकी कलकल की आवाज और ऊंचाई से गिरती पानी की धार लोगों को अपनी तरफ आकर्षिक कर देती है। इसे घंटो देखने के बाद भी पर्यटकों का मन नहीं भरता। एक बार देखने के बाद पर्यटक यहां बार बार आते हैं। पहली बार इन पर्यटकों की कोई तारीफ सुनता है तो वह इनकी खूबसूरती और जलप्रपात को ेदेखने के लिए आतुर हो जाता है। यह सभी जलप्रपात एक दूसरे से कनेक्ट हैं। यहां पहुंचना भी बहुत ही आसान हैं। आसानी से कोई भी पर्यटक इन जगहों तक पहुंच सकता है। आइए आपको भी हम इन जलप्रपात के बारे में और विस्तार से बताते हैं। यदि आप इन प्रपात को देखने आएं तो बहुती जाना न भूले। यह प्रदेश का सबसे ऊंचा जल प्रपात है। फिर देर किस बात की योजना बनाएं और छुट्टियों में निकल पड़े रीवा और मऊगंज की वादियों और जलप्रपात का नजारा लेने।
पुरवा जलप्रपात की ऊंचाई 230 फीट है
यह जलप्रपात रीवा से केवल 35 किलोमीटर दूर स्थित है। यह जलप्रपात अपनी प्राकृति सुंदरता भौगोलिक महत्व और शांत वातावरण के लिए जाना जाता है। पुरवा जलप्रपात में टमस नदी 230 फीट ऊपर से गिरकर सुंदर प्रपात का निर्माण करती है। पुरवा जलप्रपात विन्ध्य के अन्य प्रपातों की तुलना में अधिक चौड़ा है। नदी में अच्छा पानी होने पर इसकी गर्जना दूर से सुनाई देती है। इसके चारों ओर सुरक्षा के लिए बाउन्ड्रीवॉल बना दी गई है। इसके पास पर्यटन विभाग तथा वन विभाग का गेस्टहाउस भी है। रीवा से आसानी से पुरवा प्रपात पहुंचा जा सकता है।
चचाई जलप्रपात 430 फीट ऊंचा है
चचाई जलप्रपात मध्यप्रदेश का छिपा हुआ रत्न है। यह रीवा शहर से 45 किलोमीटर दूर है। यहाँ बीहर नदी 430 फीट की ऊंचाई से गिरकर आकर्षक जलप्रपात का निर्माण करती है। यह क्षेत्र घने वनों और प्राकृतिक सौन्दर्य से भरा हुआ है। यहाँ पानी ऊंचाई से गिरकर संकरी घाटी में गिरकर शक्तिशाली धारा के रूप में दिखाई देता है। देश के प्रथम प्रधानमंत्री पंडित जवाहरलाल नेहरू ने चचाई प्रपात को देखकर इसे प्रकृति का अनुपम उपहार बताया था। सुप्रसिद्ध साहित्यकार डॉ विद्यानिवास मिश्र के रूपहला धुंआ निबंध में चचाई प्रपात के अनुपम सौंदर्य का सुंदर चित्रण किया गया है। टोंस जलविद्युत परियोजना के कारण अब चचाई जलप्रपात का सौंदर्य केवल वर्षाकाल में ही दृष्टिगोचर होता है। इसके कई फोटो बहुत प्रसिद्ध हुए हैं। चचाई प्रपात से जुड़ी कई ऐतिहासिक कहानियाँ और किवदंतियाँ क्षेत्र में प्रचलित हैं।
क्योटी जलप्रपात की ऊंचाई 325 फीट है
क्योटी जलप्रपात रीवा से लगभग 55 किलोमीटर दूर स्थित है। चचाई जलप्रपात से इसकी दूरी महज 15 किलोमीटर है। यह जलप्रपात सुंदर प्राकृतिक वातावरण और मनोरम दृश्यावली के लिए जाना जाता है। यहाँ का शांत वातावरण पर्यटकों के लिए आकर्षण का केन्द्र है। क्योटी में महाना नदी लगभग 325 फीट की ऊंचाई से गिरकर सुंदर प्रपात का निर्माण करती है। यहाँ पर पानी एक संकरी चट्टान से नीचे गिरता है जिसके कारण पानी की धारा बहुत तेज और शक्तिशाली दिखाई देती है। इसके समीप ऐतिहासिक क्योटी किला भी कई रहस्यों और किवदंतियों को समेटे हुए स्थित है।
बहुती जलप्रपात 650 फीट ऊंचा है
यह जलप्रपात रीवा से 75 किलोमीटर दूर मऊगंज जिले में स्थित है। यह विन्ध्य क्षेत्र ही नहीं पूरे मध्यप्रदेश का सबसे ऊंचा जलप्रपात है। बहुती में सेलर नदी 650 फीट की ऊंचाई से दो धाराओं में विभक्त होकर गिरती है। नीचे सुंदर कुंड और चारों ओर घने वन हैं। बहुती में अनंत जलराशि लंबवत चट्टानों पर गिरती है। जुलाई से सितम्बर माह तक इस प्रपात का सौंदर्य अपने चरम पर होता है। प्रपात के आसपास सुरक्षा प्रबंधों की आवश्यकता है। कई स्थानों पर चट्टानें अचानक ढलान में उतरती हैं। इस प्रपात के समीप ही अष्टभुजा देवी का प्रसिद्ध मंदिर भी स्थित है। प्रयागराज और बनारस से सड़क मार्ग से सीधे जुड़ा होने के कारण उत्तरप्रदेश से बड़ी संख्या में पर्यटक यहाँ पहुंचते हैं। इसके पास भैंसहाई में प्रागैतिहासिक काल के भित्तचित्र मिले हैं।