क्या ऐसे ही बनेगा रीवा मेडिकल हब..मिनर्वा मरे हुए मरीज का करता रहा इलाज, बेटी ने लगाया आरोप

डिप्टी सीएम रीवा को मेडिकल हब बनाना चाहते हैं और यहां अस्पताल मरे हुए का इलाज कर लूट रहे हैं। मिनर्वा अस्पताल में भर्ती एक मरीज की मौत के बाद परजिनों ने गंभीर आरोप लगाए हैं। पूरे सिस्टम पर ही सवाल खड़े कर दिए हैं। हंगामा मचने पर मौके पर सिविल लाइन पुलिस पहुंची। शव को कब्जे में लेकर पीएम के लिए संजय गांधी अस्पताल भेज दिया है। पीएम रिपोर्ट आने पर ही खुलासा होगा।

क्या ऐसे ही बनेगा रीवा मेडिकल हब..मिनर्वा मरे हुए मरीज का करता रहा इलाज, बेटी ने लगाया आरोप

एनटीपीसी के इंजीनियर को पैरालिसिस अटैक आया था, मिनर्वा में एक महीने से चल रहा था इलाज

आपरेशन के बाद से होश नहीं आया, एनेस्थीसिया देकर बेहोश रखे थे

रीवा। मिनर्वा अस्पताल फिर विवादों में है। इस पर आरोप है कि वह 5 दिन पहले मृत हो चुके व्यक्ति का भी इलाज करता रहा। जब परिजनों को शक हुआ तो हल्ला मचाया गया। तब अस्पताल प्रबंधन ने मरीज को मृत घोषित किया और शव सुपुर्द कर दिया। इलाज के दौरान 20 लाख का बिल भी बना दिया। यहां बात बिल की नहीं है क्योंकि इसका भुगतान एनटीपीसी को करना है लेकिन यहां स्वास्थ्य सुविधाओं और व्यवस्थाओं पर सवाल परिजनों ने खड़े किए हैं। आरोप लगाया गया है कि डॉक्टरों ने गलत ट्रीटमेंट किया। इसके कारण मरीज की मौत हो गई। 

7 अगस्त को किया गया था भर्ती

सतना निवासी सम्पत लाल वर्मा को पैरालिसिस अटैक आया था। उन्हें 7 अगस्त को मिनर्वा अस्पताल में भर्ती किया गया था। उनकी बेटी रीता वर्मा ने बताया कि उनके पिता एनटीपीसी में इंजीनियर थे। उन्हें घर के सदस्यों ने अस्पताल में भर्ती किया था। अब अस्पताल पहुंचे तो ठीक थे। यहां पहुंचने के बाद डॉक्टरों ने तुरंत ऑपरेशन की बात कही और इतना डरा दिया कि कुछ सोचने समझने का मौका ही नहीं मिला। अस्पताल प्रबंधन के कहे अनुसार आपरेशन भी करा लिए। आपरेशन के बाद सम्पत लाल वर्मा को होश ही नहीं आया। सीधे वेंटीलेट पर पहुचं गए। तब से 2 सितंबर तक वह वेंटीलेटर पर ही रहे। जब परिजनों को शक हुआ तो उन्होंने हंगामा मचाया और 3 सितंबर को उन्हें मृत घोषित कर दिया गया। उनका शव परिजनों को सौंप दिया गया।

20 लाख की दवा कर डाली, किडनी हो गई फेल

बेटी का आरोप है कि पिता का गलत इलाज किया गया। इतनी हैवी डोज दी गई कि उनकी किडनी तक फेल हो गईं। पिता की मौत कुछ दिन पहले ही हो गई थी। उनका पेट फूल चुका था। पेशाब नहीं उतर रहा था। हाथ पैर पूरी तरह से सूख चुके थे। कोई एक्टीविटी तक नहीं थी। इसके बाद भी यहां के चिकित्सक डायलिसिस कराने पर अड़े हुए थे। जबकि अस्पताल में डायलिसिस की सुविधा और डॉक्टर ही नहीं हैं। 26 दिन में यहां 20 लाख रुपए का बिल बना दिया गया है लेकिन एक पल के लिए भी पिता को होश में नहीं लाया जा सका। 

पुलिस पहुंची,शव को पीएम के लिए भेजा एसजीएमएच

हंगामा के बाद मौके पर पुलिस पहुंच गई। सिविल लाइन पुलिस ने मामले को शांत कराया। शव को पीएम के लिए संजय गांधी अस्पताल भेज दिया है। पीएम के बाद ही लगाए जा रहे आरोपों की सत्यता सामने आएगी।