मप्र में ऐसा रीवा जैसा अधिकारी नहीं, अंगद से भी गहरे जमें हैं पैर, कोई हिला नहीं सकता, एक विभाग में 15 साल से टिका

रीवा का एक अधिकारी पूरे प्रदेश ही देश के लिए उदाहरण बन गया है। एक ही विभाग में 15 सालों से एक ही जगह पदस्थ करने का रिकार्ड बना दिया है। इनके जैसे कर्मठ अधिकारी शायद दूसरे हैं भी नहीं। यही वजह है कि एक के बाद एक कर तीन और विभागों की जिम्मेदारी भी सौंप दी है। अब सारे विभाग ठप हो गए हैं।

मप्र में ऐसा रीवा जैसा अधिकारी नहीं, अंगद से भी गहरे जमें हैं पैर, कोई हिला नहीं सकता, एक विभाग में 15 साल से टिका

उप मुख्यमंत्री तक पहुंची शिकायत, हटाने की की गई मांग

रोजगार अधिकारी के पास, योजना एवं सांख्यकी, सामाजिक न्याय विभाग, श्रम विद्यालय की भी जिम्मेदारी है

रीवा। मप्र में रीवा ही ऐसा जिला है जो नए नए रिकार्ड बनाता रहता है। यहां का उदाहरण हर जगह दिया जाता है। रीवा राजनीति में भी नाम कमा चुका है। यहां के नेता स्व श्रीनिवास तिवारी का नाम पूरे देश में चला। सफेद शेरों ने पूरे देश में पहचान दी। रीवा पर नकलची जिला का टैग ही  लगा था। पूरे देश से यहां नकल से परीक्षा देकर पास होने आते थे। वर्तमान में समय में कोरेक्स शहर और तेजी से विकसित शहर का टैग लगा है। यहां भ्रष्टाचार भी हुए जो कहीं भी नहीं हुए। स्कूल शिक्षा विभाग में अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा हुआ, 200 करोड़ से अधिक का भूअर्जन की राशि का घोटाला हुआ। करोड़ों की जमीन कौडिय़ों के दाम पर इंडियन काफी हाउस को दी गर्ई। ऐसे कई घोटाले भी रीवा के नाम पर हैं। अब एक नया मामला देश के अन्य जिलों को पीछे छोड़ दिया। एक अधिकारी की पदस्थापना मील का पत्थर बन गई है। इनके जैसे कर्मठ अधिकारी, कर्मचारी शायद की देश में कहीं और हुए होंगे। इन पर सरकार और अधिकारियेां ने ऐसा भरोसा जताया है कि एक विभाग के साथ ही कई और भी विभागों की जिम्मेदारी इन्हें सौंप दी गई है। रीवा में रोजगार अधिकारी के रूप में पिछले 15 सालों से भी अधिक समय से जमें हुए हैं। इन्हें बेरोजगारी तो दूरी नहीं की लेकिन कई और विभागों पर भी कब्जा जरूर जमा लिया। यह सभी विभाग ऐसे हंै जिनकी तरफ लोगों का ध्यान कम जाता है लेकिन यहां ऐसा बजट आता है जिसकी कल्पना भी आप नहीं कर सकते। इसे ही धीरे धीरे दीमक की तरह यह अधिकारी चट कर रहे हैं। अधिकारियों का भी साथ है। यह मीठा बोलते हैं। अधिकारियों की हां में हां मिलाते रहते हैं। यही वजह है कि इन्हें अफसर भी पसंद करते हैं। हालांकि इनकी पदस्थापना ने नया रिकार्ड जरूर बना दिया है। ऐसे कुछ और भी अधिकारी हैं जिनका जिक्र अलग से और बाद में करेंगे। 

अब आपको इनका नाम बताते हैं और काम से परिचय कराते हैं

इन कर्मठ अधिकारी का नाम अनिल दुबे हैं। पहले यह रीवा और शहडोल संभाग के रोजगार अधिकारी थे। यह रीवा में सालों साल से पदस्थ हैं। इनके पास वर्तमान समय में बेरोजगारों को जुटाने और रोजगार मेला तक पहुंचाने और उन्हें रोजगार उपलब्ध कराने की जिम्मेदारी है। रोजगार मेला में सरकार लाखों रुपए कर महीने देती है। इसका कोई हिसाब किताब नहीं है। रुपए पानी की तरह बह रहा है लेकिन रोजगार के नाम पर युवाओं को ठगा जा रहा है। कई ऐसे युवा हैं जो इनके रिकार्ड में नौकरी प्राप्त कर चुके हैं लेकिन वह गए ही नहीं। कपंनी ने हायर ही नहीं किया। जो गए वह भी भाग कर आ गए। इसी तरह सामाजिक न्याय विभाग है। यहां करोड़ों रुपए आता है। कन्या विवाह जैसे आयोजन यहीं से कराए जाते हैं। इसके अलावा एनजीओ भी कई यहीं से चलती है। सामाजिक उत्थान से जुड़े काम करती हैं। यहां बजट का भंडार है जिस तरफ किसी का ध्यान नहीं जाता। योजना और सांख्यकी विभाग के भी प्रभारी है। योजना और सांख्यकी विभाग भी किसी से छुपा नहीं है। यहीं से सभी माननीयों की विधायक और सांसद निधि से स्वीकृत कार्यों को हरी झंडी मिलती है। श्रम स्कूलों की भी इन्हीं के पास जिम्मेदारी थी। इनके पदस्थापना के दौरान ऐसा श्रम स्कूलों का भ्रष्टाचार हुआ था कि सभी बंद हो गई। कई स्कूलों का ठेका लेने वालों पर मामला भी दर्ज हुआ था। 

मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव से शिकायत

जिला रोजगार एवं पंजीयन अधिकारी अनिल दुबे की शिकायत रूपन बारी समाज सेवा संगठन ने मुख्यमंत्री और अपर मुख्य सचिव से की है। शिकायत में कहा गया है कि अनिल दुबे रीवा में 15 से 20 वर्षों से जमें हुए हैं। इन्हें अन्यत्र स्थानांतरित नहीं किया गया। इनके लिए कोई भी नियम लागू नहीं होता। इन्हें अन्यत्र स्थानांतरित करने की जगह अतिरिक्त प्रभार से भी नवाजा जा रहा है। यदि अनिल दुबे पर शासन के स्थानांतरण नियम लागू नहीं होते तो इसे सभी विभागों और अधिकारियों पर भी लागू कर दिया जाए। शिकायत में कहा गया है कि अनिल दुबे के अलावा जिले में शायद कोई दूसरा योग्य अधिकारी ही नहीं है। इसी वजह से उनका स्थानांतरण नहीं किया जा रहा।