एक ऐसा विभाग जो है तो कलेक्टर के आंखों के सामने लेकिन छुपकर करता है मनमानी, वेतन को मोहताज स्टाफ
कलेक्टर के सख्त निर्देश हैं कि सरकारी कर्मचारियों का वेतन महीने की पहली तारीख को उनके खाते में पहुंच जाए। वेतन का बिल पहले ही लग जाता है लेकिन एक ऐसा भी विभाग है जो मनमानी करता है। यह विभाग कलेक्टर की आंख के सामने ही है फिर भी छुप कर इसके अधिकारी और कर्मचारी मनमानी कर रहे हैं। इनकी मनमानी से स्टाफ परेशान हैं।

हर महीने 10 के बाद ही लगता है वेतन, पिछले महीने दो महीने बाद मिला था
एरियर के भुगतान में भी हेरफेर, नए डीपीसी के आने के बाद बिगड़ गई व्यवस्था
रीवा। जिला शिक्षा केन्द्र रीवा ऐसा विभाग है जो अब पूरी तरह से बेपटरी हो गया है। डीपीसी विनय मिश्रा के आने के पहले तक यहां काम करने वाले स्टाफ को कभी वेतन और अन्य स्वत्वों के भुगतान के लिए इंतजार नहीं करना पड़ता था लेकिन अब हालात बदतर हो गए हैं। यहां कर्मचारियों, अधिकारियों को समय पर वेतन तक नसीब नहीं हो रहा है। हर महीने 10 से 15 तारीख के बाद ही स्टाफ के खाते में वेतन पहुंच रहा है। बिल लगाने में यहां का स्टाफ और कर्मचारी लेट लतीफी करते हैं। हालांक इसमें बड़ी लापरवाही डीपीसी की है। इनकी तरफ से ही ढिलाई बरती जाती है। वेतन आदि के बिल लगाने में देरी की जाती है। सितंबर महीने की 7 तारीख हो गई लेकिन अभी तक डीपीसी कार्यालय, बीआरसीसी कार्यालय के स्टाफ और जन शिक्षा केन्द्रों में कार्यरत स्टाफ का वेतन जारी नहीं किया गया। डीपीसी के तहत करीब 1 हजार से भी अधिक स्टाफ हैं। इनका वेतन हर महीने देरी से ही मिलता है। कई शिक्षकों का एरियर का भुगतान भी किया जाना है। वह भी समय पर नहीं हो रहा है।
कलेक्टर को दी गई झूठी जानकारी
हद तो यह है कि जिला शिक्षा केन्द्र रीवा है तो शिक्षा विभाग का ही अंश लेकिन इसे नियमों और जानकारियों से अलग माना जाता है। अभी हाल ही में सभी शिक्षकों के एरियर आदि का भुगतान करने के निर्देश कलेक्टर, कमिश्नर ने जारी किए थे। सभी स्कूल प्राचार्यों से एरियर भुगतान शत प्रतिशत किए जाने का प्रमाण पत्र भी मांगा गया था लेकिन इसमें जिला शिक्षा केन्द्र को छोड़ दिया गया था। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग के ही शिक्षक यहां पर काम कर रहे हैं। इनके स्वत्वों का आज तक भुगतान नहीं किया गया।
आरएल दीपांकर के समय चल रही थी ठीक व्यवस्थाएं
सीधी के विनय मिश्रा के रीवा आने के बाद उम्मीद थी कि कार्यालयीन व्यवस्थाओं में सुधार आएगा लेकिन ऐसा नहीं हुआ। वह खुद ही कार्यालयीन कार्यों में अड़ंगा लगाने लगे। फाइलों की पेडेंसी बढऩे से भी काम अटकने लगे। इसके अलावा शिक्षकों और कर्मचारियों के स्वत्वों और वेतन भुगतान पर भी रुचि नहीं ली जा रही है। हालांकि इसके पहले पदस्थ रहे डीपीसी आरएल दीपांकर के समय कामकाज ठीक था। उनके समय में वेतन और स्वत्वों में भुगतान में इतनी देरी नहीं होती थी। समय पर सभी कर्मचारियों को वेतन मिल ही जाता था।
हर महीने का रोना, शिक्षक आर्थिक तंगी से परेशान
जिला शिक्षा केन्द्र का हर महीने का यही रोना है। बीआरसी, बीएसी, सीएसी, सहित अन्य विभाग अंतर्गत आने वाले कर्मचारियों और शिक्षकों का भुगतान समय पर नहीं होता। हर महीने 10 या फिर 15 तारीख के बाद ही वेतन का भुगतान होता है। ऐसे में वह स्टाफ प्रभावित होता है जिसने लोन लिया है। उन्हें हर महीने किस्त देनी होती है। बच्चों की फीस आदि के लिए स्टाफ परेशान होता है। अब त्यौहारों का दौर शुरू हो गया। पितर लग गया है। घरों में कार्यक्रम होंगे लेकिन एकाउंट खाली है।