सुपर स्पेशलिटी में भीषण हादसा: आधी रात को मरीजों पर भरभरा कर गिरी फॉल सीलिंग

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल की फॉल सीलिंग जानलेवा हो गई है। मंगलवार बुधवार की रात को थर्ड फ्लोर में लगी फॉल सीलिंग अचानक भराभरा कर नीचे मरीजों पर आन गिरी। मौके पर चीख पुकार मच गई। अफरा तफरी मच गई। स्टाफ ने बाद में पहुंच कर मरीजों को सुरक्षित बाहर निकाला। इस हादसे में किसी तरह की जनहानी तो नहीं हुई लेकिन मरीज दहशत में आ गए हैं।

सुपर स्पेशलिटी में भीषण हादसा: आधी रात को मरीजों पर भरभरा कर गिरी फॉल सीलिंग

तृतीय तल में न्यूरोलॉजी विभाग में हुआ हादसा

वार्ड में मरीज भी थे भर्ती, उन्हीं के ऊपर गिर गई फॉल सीलिंग

रीवा। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज का नवनिर्मित अकादमिक भवन ही अभी तक सुर्खियों में था। उसकी भी मंगलवार को ही फॉल सीलिंग गिरी थी। अब रही सही कसर सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ने भी पूरी कर दी। नए अकादमिक भवन में छात्र और डॉक्टर घायल होने से बच गए थे लेकिन यहां मरीजों पर भी फॉल सीलिंग गिर गई। हादसा मंगलवार बुधवार की रात को हुआ। यह हादसा तृतीय तल के न्यूरोलॉजी विभाग में हुआ। रात को सभी मरीज और उनके परिजन वार्ड में मौजूद थे। अस्पताल का स्टाफ भी मौजूद था। तभी एकाएक फॉल सीलिंग का बड़ा हिस्सा मरीजों पर आन गिरा। गनीमत तो यह रही कि कई बेड खाली थे। कुछ में ही मरीज भर्ती थे। वर्ना किसी न किसी मरीज ही इस हादसे में जान जानी तय थी। जो मरीज फॉल सीलिंग की चपेट में आए। उन्हें तत्काल प्रभाव से अन्यत्र शिफ्ट किया गया। 

फॉल सीलिंग ने डराना शुरू कर दिया है

अभी तक सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में फॉल सीलिंग ओपीडी के सामने ही गिर रही थी। अभी तक कोई चोटिल और हताहत नहीं हुआ लेकिन यह खतरा बढ़ गया है। फॉल सीलिंग मरीजों की जान लेने पर तुली हुई है। वैसे तो पूरा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल ही घटिया स्तर का बना हुआ है लेकिन इसकी फॉल सील्ंिाग ज्यादा की खतरनाक है। यदि इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो बड़ा हादसा तय है। मरीजों में गिरती फॉल सीलिंग को लेकर दहशत का माहौल है। 

इंजीनियरिंग कॉलेज की टीम ने बिल्डिंग की गुणवत्ता पर उठाए थे सवाल

सुपर स्पेशलिटी अस्पताल करीब 150 करोड़ की लागत से बनाया गया। इसमें पांच फ्लोर हैं। यह बनने के बाद से ही विवादों में आ गया था। बारिश का पानी पूरे अस्पताल में भर रहा था। दीवारों पर सीपेज आ गए हैं। पूरी बिल्डिंग ही क्रैक हो चुकी है। पांचवा तल बारिश में पूरी तरह से पानी से भर जाता है। छत पानी से टपकने लगती है। ट्रैनेज सिस्टम खराब है। जगह जगह सीपेज और फफूद लगा हुआ है। इस भवन की गुणवत्ता पर सवाल उठे थे, तब इंजीनियरिंग कॉलेज के सिविल विभाग के प्रोफेसरों से बिल्डिंग की जांच कराई गई थी। जांच में बिल्डिंग की गुणवत्ता खराब मिली थी। इसके बाद भी इसमें किसी तरह का सुधार नहीं कराया गया।