ओपन हार्ट सर्जरी में जिस डॉक्टर ने दिलाई रीवा को पहचान, उसे इतना किया परेशान कि इस्तीफा देना पड़ गया
रीवा के सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में वैसे भी डॉक्टरों का टोटा है। यहां कोई आना भी नहीं चाहता। जो डॉक्टर पदस्थ हैं, उन्हें भी इतना परेशान किया जा रहा है कि एक एक कर सभी छोड़कर जा रहे हैं। इनमें एक नाम डॉ राकेश सोनी का भी जुड़ गया है। इन्होंने रीवा सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को ओपन हार्ट सर्जरी के मामले में नई पहचान दिलाई थी। इन्हें प्रबंधन ने इतना परेशान किया कि अंतत: नौकरी छोड़कर जाना पड़ रहा है। आज उनका अस्पताल में अंतिम दिन था। यदि मैनेजमेंट में बदलाव और सुधार नहीं हुआ तो एक एक कर अन्य डॉक्टर भी यहां से चले जाएंगे।

3 साल ही दे पाए सेवा, 12 ओपन हार्ट सर्जरी और 700 से अधिक अन्य आपरेशन किए
शुरू से ही मैनेजमेंट इनके खिलाफ रहा, मरीज और व्यवस्था को लेकर खुलकर बोलते रहे
रीवा। आपको बता दें कि सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में हार्ट का आपरेशन शुरू होने से मरीजों को बड़ी राहत मिली। रीवा में पहले दिल का आपरेशन सिर्फ सपना ही था। यहां सुपर स्पेशलिटी अस्पताल शुरु हुआ तो एंजियोग्राफी, एंजियोप्लास्टी के साथ ही ओपन हार्ट सर्जरी भी शुरू हो गई। दिन के मरीजों का यहीं पर इंलाम संभव हो गया। रीवा जैसे शहर में ओपन हार्ट सर्जरी एक सपने जैसा था। इस सपने को सीटीवीएस सर्जन डॉ राकेश सोनी ने ही पूरा किया था। अगस्त 2022 में डॉ राकेश सोनी सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सर्जन के रूप में काम करना शुरू किए थे। इन्होंने ही ओपन हार्ट सर्जरी को रीवा में संभव किया। अब तक वह यहां पर मरीजों की सेवा करते रहे। सोमवार को उनका सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में अंतिम दिन है। मंगलवार से वह नहीं आएंगे। यहां से दूसरे शहर भोपाल में ज्वाइन करने जा रहे हैं। अब सेवाएं वहीं देंगे।
मरीजों को पूरा समय देते थे, प्राइवेट प्रैक्टिस से रहे दूर
डॉ राकेश सोनी के काम और उनकी समर्पण के प्रति सभी कायल थे। वह कहीं भी प्राइवेट प्रैक्टिस नहीं करते थे। पूरा समय सुपर स्पेशलिटी अस्पताल को ही देते थे। आपरेशन के बाद मरीज को छोड़कर घर तक नहीं जाते। जब तक मरीज को होश नहीं आ जाता था। अस्पताल से नहीं हटते थे। उनकी इसी लगन और मेहनत के कारण एक भी आपरेशन फेल नहीं हुए। डॉ राकेश सोनी ने 12 से 13 मरीजों का ओपन हार्ट आपरेशन किया। इसके अलावा छोटे बड़े 700 से अधिक आपरेशन किए। इसी आपरेशन के लिए मरीजों को बाहर जाना पड़ा था। लाखों रुपए खर्च होते थे। यह सुविधा यही ंमिल रही है।
इसलिए सभी दुश्मन बन गए थे, प्रताडि़त करने लगे थे
डॉ राकेश सोनी शुरू से ही सिस्टम की अव्यवस्था को लेकर आवाज उठाई। प्राइवेट प्रैक्टिस और मरीजों को बाहर भेजने आदि का विरोध किया था। इसकी शिकायत भी की थी। मरीजों के आपरेशन के लिए इक्यूपमेंट की उपलब्धता सुनिश्चित करने को लेकर भी आवाज बुलंद की थी। डिप्टी सीएम से भी शिकायत की थी। इन्हीं शिकायतों का खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ा। डिप्टी सीएम ने साथ दिया लेकिन अस्पताल प्रबंधन इनके खिलाफ हो गए। वह इन्हें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल से हटाने में लगे थे। विकल्प के रूप में डॉ इमरान को बुलाया गया। अब वह पीपुल्स अस्पताल भोपाल से टीम बुलाकर आपरेशन कर रहे हैं। उन्हें वह सारी सुविधाएं दी जा रही हैं, जिसकी मांग डॉ राकेश सोनी करते थे। अस्पताल प्रबंधन ने डॉ राकेश सोनी का विकल्प तलाश लिया। इसके कारण ही डॉ राकेश सोनी ने यहां से जाने का मन भी बना लिया।
इन्होंने भी छोड़ दी सुपर की सेवाएं
डॉ राकेश सोनी के अलावा और भी चिकित्सक हैं जिन्होंने खराब मैनेजमेंट के कारण यहां से जाने का मन बना लिया है। अस्पताल प्रबंधन को अल्टीमेटम सूचना दे दी है। एक महीने का समय कई अन्य चिकित्सकों का भी पूरा होने वाला है। इसमें यूरो लॉजिस्ट डॉ विजय शुक्ला भी शामिल हैं। इन्हें भी विभाग में ऊपर उठने नहीं दिया जा रहा था। मरीज नहीं मिल रहे थे। सबसे अंतिम दिन की ओपीडी दी गई थी। इनके अंदर के टैलेंट को दबाया जा रहा था। नाराज होकर इन्होंने भी इस्तीफा दे दिया है। इसके अलावा यूरोलॉजी से ही विवेक शर्मा भी सुपर स्पेशलिटी छोड़कर जा रहे हैं।