नदी पर खड़ी सिर्फ एक दीवार ने डुबाया रीवा और विधायक का घर, इसे हिला नहीं पाईं थी एसडीएम हुजूर

रीवा फिर डूब गया। इसके पीछे सिर्फ और सिर्फ नदी पर कालोनाजरों का कब्जा है। नदी पर बनी एक कालोनाइजर की दीवार ने विधायक का घर डुबाया। रीवा में बाढ़ ला दी। बोदाबाग डूबने की कगार पर पहुंच गया था। सड़क डूब चुकी थी। थोड़ी और बारिश होती तो पूरा रीवा ही जलमग्न हो जाता। यह सारी देन जिला प्रशासन और कालोनाइजरों की गठजोड़ का नतीजा है। यदि पहले ही नदी पर बनी दीवार और कालोनियों पर सख्ती से बुलडोजर चला दिया जाता तो यह हालात न बनते।

नदी पर खड़ी सिर्फ एक दीवार ने डुबाया रीवा और विधायक का घर, इसे हिला नहीं पाईं थी एसडीएम हुजूर

गरीबों का घर प्रशासन उजाडऩे में देरी नहीं करता, निराला नगर में गरीबों की बस्तियां अवैध बता कर उजाड़ दी

नदी पर दीवार बनाने और ग्रीन ट्रिब्यूनल के आदेश का पालन नहीं करने पर भी शांति विला पर कार्रवाई नहीं हुई

रिवर व्यू कालोनी भी नदी के किनारे बसी है, नदी को काफी कुछ पाट दिया गया है

रीवा। रीवा में वर्ष 2016 में बाढ़ आई थी। तब रीवा में कहीं ज्यादा पानी गिरा था। नदी का पानी बैक मारने से रीवा के कई मोहल्लों में पानी भर गया था। पूरा शहर ही डूबने की कगार पर पहुंच गया था। तब भी नदियों के किनारे किए गए अतिक्रमण को वजह मानी गई थी। अब हालात और विकराल हो गए हैं। कालोनाइजरो ने ही नदियों को पाटकर कालोनियां बना डाली। नदियों की जमीन के किनारे प्लाटिंग तक कर दी। एक कालोनाइजर ने सिर्फ मिट्टी डाल कर पाटने की कोशिश की थी। दूसरे कालोनाइजर ने हदें पार कर दी। बीहर नदी पर ही मोटी दीवार खड़ी कर दी। अब यही दीवार रीवा की बाढ़ का कारण बन रहा है। बोदाबाग करहिया पुलिस के पास नदी सकरी हो गई है। एक दीवार ने नदी की धार को ही रोकना शुरू कर दिया है। एक तरफ दीवार बनी है तो दूसरी तरफ भाजपा के वरिष्ठ नेता का फार्म हाउस बना हुआ है। कालोनाइजर ने पहले ही पानी को रोकने के लिए किनारे दीवार खड़ी करा रखी थी। इन्हें केकारण शुक्रवार शनिवार को हुई बारिश का पानी आगे नहीं बढ़ पाया। नदी का रास्ता संकरा होने से नदी का पानी बैक मारने लगा। इसकी मार कई बड़े लोगों के साथ ही मोहल्ले के लोगों को भी झेलनी पड़ी। इसे बाद भी अब प्रशासन इस बड़े खतरे और लापरवाही को नजर अंदाज कर रहा है। इन्हीं की मिली भगत के कारण ही रीवा वाले डूब की कगार पर पहुंच गए हैं। 

एसडीएम ने की थी कार्रवाई फिर दोबारा कुछ नहीं हुआ

एसडीएम हुजूर आईएएस वैशाली जैन ने शांति विला कालोनी के खिलाफ कार्रवाई की थी। मौके पर पहुंच कर उनके निर्माण कार्र्याें पर रोक लगा दी थी। साथ ही करहिया ग्राम पंचायत सचिव और सरपंच के खिलाफ भी कार्रवाई के निर्देश दिए थे। शांति विला बिना किसी अनुमति के ही बसाई गई थी। कालोनी बसाने की विधिवत अनुमति तक नहीं ली गई थी। एनजीटी के नियमों का पालन भी नहीं किया गया था। तब कालोनाइजर की अनुमति नहीं मिली थी और रेरा की भी अनुमति नहीं मिली थी। आईएएस वैशाली जैन मौके पर जेसीबी लेकर पहुंची थी। कुछ तोड़ फोड़ भी की थी फिर सारे निर्माण कार्यों पर रोक लगातर एसडीएम लौट गईं  थी। इसके बाद कालोनाइजर पर किसी तरह का एक्शन नहीं हुआ। नदी पर बनी दीवार भी नहीं टूटी और आज रीवा के लोगों की जान एक दीवार के कारण मुश्किल में पड़ गई। 

पहले खुद किए नदी पर अतिक्रमण अब भुगत रहे सजा

गुढ़ विधायक नागेन्द्र सिंह का बंगला भी बीहर नदी के किनारे हैं। वन विभाग की नर्सरी से ठीक सटा हुआ इनका बंगला है। इन्होंने भी बीहर नदी का दोहन किया। पहले इन्होंने नदी को पाटकर अतिक्रमण किया। बंगले के पीछे नदी को मिट़्टी और पत्थर डाल कर पाट डाले थे। अब इसी अतिक्रमण को देखकर दूसरों ने भी नदी को पाटना शुरू किया। परिणाम गुढ़ विधायक को झेलना पड़ रहा है। अब उनके बंगले तक पानी पहुंच गया। इनके इस हालत के लिए तो एक ही कहावत बनती है, जैसी करनी वैसी भरनी।

सब के नियम और कायदे अलग अलग

शांति विला पर प्रशासन और शासन दोनों मेहरबान हैं। शांति विला को शासन से किसी तरह का टैक्स नहीं मिला रहा है। सारा काम अवैध हो रहा है। इसकी जानकारी भी प्रशासन को हैं। इसके बाद भी इस कालोलाइजर को शरण दिया जा रहा है। रीवा डूब रहा है लेकिन इस कालोनाइजर को सभी  बचाने में लगे हैं। यह माजरा समझ से परे हैं। हद तो यह है कि एक तरफ जहां छोटे छोटे कालोनाइजरों पर नगर निगम कहर बरपा रहा है। उनकी कालोनियां उजाउ़ रहा है। वहीं अरबों का इन्वेस्टमेंट करने वाले शांति विला पर कार्रवाई से हाथ पैर फूल रहे हैं। नगर निगम और प्रशासन गरीबों के आशियाने उजाडऩे में भी देरी नहीं करता। अतिक्रमण बता कर निराला नगर में गरीबों की बस्ती उजाड़ दी गई। करहिया तिराहा पर सड़कों के किनारे बसे गरीबों के घर और दुकानें ताड़ दी गईं। चिरहुला मंदिर के सामने भी अतिक्रमण हटाया गया लेकिन जहां रीवा वालों की बात हो वहां भी प्रशासन चुप्पी साधे हुए हंै। 

सभी को टीएनसीपी ने जारी किया था नोटिस

वर्ष 2016 में रीवा में बाढ़ आई थी। इसके बाद नदी के किनारे घर बनाने वालों को टीएनसीपी ने नोटिस जारी किया था। 50 मीटर के दायरे में आने वाले सभी घरों के लोगों को अल्टीमेटम जारी किया गया था। नगर निगम ने भी अनुमति देने पर  रोक लगा दी थी। लेकिन इसके बाद मामला ठंडा पड़ गया। नदी के किनारे ही कई कालोनियां बस गई हैं। इन्हें बिना अनुमति के ही विद्युत विभाग ने कनेक्शन दे दिया। ट्रांसफार्मर लगवा दिए। 11 केवी लाइन भी पहुंचा दी। सारा काम अवैध तरीके से कर दिया गया लेकिन प्रशासन कुछ नहीं कर पाया।