सुप्रीम कोर्ट के 52वें चीफ जस्टिस बने न्यायाधीश भूषण रामकृष्ण गवई, राष्ट्रपति ने दिलाई शपथ
बुधवार को जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ग्रहण कर ली। राष्ट्रपति ने सीजेआई की शपथ दिलाई। जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।
नई दिल्ली। जस्टिस भूषण रामकृष्ण गवई ने गुरुवार को भारत के 52वें चीफ जस्टिस के रूप में शपथ ली। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने जस्टिस गवई को सीजेआई पद की शपथ दिलाई। मौजूदा सीजेआई संजीव खन्ना का कार्यकाल 13 मई को खत्म हो चुका है। सीजेआई खन्ना के बाद वरिष्ठता सूची में जस्टिस गवई का नाम था। इसलिए जस्टिस खन्ना ने उनका नाम आगे बढ़ाया। हालांकि, उनका कार्यकाल सिर्फ 6 महीने का है। सीजेआई गवई देश के दूसरे दलित और पहले बौद्ध चीफ जस्टिस हैं। सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर दिए प्रोफाइल के मुताबिक, जस्टिस गवई 24 मई 2019 को सुप्रीम कोर्ट जज के रूप में प्रमोट हुए थे। उनके रिटायरमेंट की तारीख 23 नवंबर 2025 है।
राष्ट्रपति भवन में आयोजित शपथ ग्रहण समारोह में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह समेत कई केंद्रीय मंत्री भी मौजूद रहे। जस्टिस गवई अनुच्छेद 370, बलात्कार, नोटबंदी और बुलडोजर न्याय जैसे मामलों में फैसले देने वाली पीठों में शामिल रहे। 24 नवंबर, 1960 को अमरावती में जन्मे जस्टिस गवई एक पेशेवर राजनीतिज्ञ आरएस गवई के बेटे हैं, जिन्होंने रिपब्लिकन पार्टी ऑफ इंडिया (गवई) की शुरुआत की थी।
इलाहाबाद हाईकोर्ट को लगाई थी फटकार
जस्टिस गवई की अध्यक्षता वाली बेंच ने इलाहाबाद हाई कोर्ट की उस टिप्पणी पर रोक लगाई थी जिसमें कहा गया था कि महिला के प्राइवेट पार्ट को पकडऩा, उसके पायजामे का नाड़ा खींचना रेप की कोशिश नहीं है। इसके लिए उन्होंने इलाहाबाद हाईकोर्ट को फटकारा भी था। पिछले छह साल में सर्वोच्च अदालत के जज के रूप में अपने कार्यकाल के दौरान, जस्टिस गवई संवैधानिक और प्रशासनिक कानून, सिविल और आपराधिक कानून, कॉरपोरेट विवाद, मध्यस्थता कानून और पर्यावरण कानून सहित कई विषयों से संबंधित मामलों से निपटने वाली करीब 700 बेंच का हिस्सा रहे। उन्होंने करीब 300 फैसले लिखे।