कौन बनेगा रीवा का डीईओ, आज हो जाएगा फैसला...कलेक्टर को एक नाम चुनना है

डीईओ रहे सुदामा लाल गुप्ता निलंबि हो गए। उनके हटने के बाद खाली कुर्सी पर बैठाने के लिए अब चेहरे की तलाश शुरू हो गई है। कमिश्नर ने यह जिम्मा कलेक्टर को दिया है। कलेक्टर प्रभारी डीईओ को लेकर आज फैसला ले सकती हैं। जब तक भोपाल से डीईओ का आदेश नहीं हो जाता, तब तक प्रभारी के रूप में कौन डीईओ की कुर्सी पर बैठेगा। यह कुछ घंटे बाद ही क्लियर हो जाएगा।

कौन बनेगा रीवा का डीईओ, आज हो जाएगा फैसला...कलेक्टर को एक नाम चुनना है
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पीके स्कूल प्राचार्य वरुणेन्द्र प्रताप ङ्क्षसह और उप संचालक केपी तिवारी का नाम सबसे आगे

रीवा। ज्ञात  हो कि रीवा स्कूल शिक्षा विभाग में एक से बढ़कर एक घोटाले हुए। इस कुर्सी पर जो बैठा, उसी के हाथे काले हुए। सुदामा लाल गुप्ता ज्यादा लंबी पारी नहीं खेल पाए और अनुकंपा नियुक्त फर्जीवाड़ा में फंस गए। कमिश्नर ने सुदामा लाल गुप्ता को निलंबित कर दिया। अब उनके निलंबन के बाद डीईओ की कुर्सी खाली हो गए है। बिना डीईओ के विभागीय कार्यों पर भी असर पड़ेगा। यही वजह है कि इस कुर्सी के लिए एक साफ सुथरा चेहरा भी चाहिए। इसकी तलाश कमिश्नर और कलेक्टर ने शुरू कर दी है। प्रभारी डीईओ का चयन करने और आदेश की जिम्मेदारी कमिश्नर ने कलेक्टर को दी है। संभव है कि बुधवार की शाम तक कलेक्टर नए प्रभारी डीईओ के नाम पर मुहर भी लगा दें। 

इन नामों को लेकर चर्चाओं का बाजार गरम

प्रभारी डीईओ कौन बनेगा, इसकी चर्चाएं भी तेज हो गई हैं। कुछ नाम को लेकर चर्चाओं का बाजार भी गरम है। इसमें सबसे ऊपर साफ सुथरी छवि वाले पीके स्कूल प्राचार्य वरुणेन्द्र प्रताप सिंह का नाम है। इसके अलावा उप संचालक केपी तिवारी और सीधी डीईओ रह चुके पीएल मिश्रा का भी नाम चर्चाओं में चल रहा है। इन नामों पर लोगों की नजरें है। अब फैसला कलेक्टर को ही करना है। शाम को संभव यह भी है कि इनसे हटकर भी कोई नाम सामने आ सकता है। 

डीईओ की कुर्सी पर बैठने से कतरा रहे हैं

वर्तमान में जो हालात जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय हो गए हैं। ऐसे में वहां जाने से भी प्राचार्य और अन्य अधिकारी कतराने लगे हैं। यहां पदस्थ लिपिक कब कौन सा आदेश अधिकारियों से साइन करा ले यह कोई नहीं जानता। इसके पहले भी अनुदान घोटाला और सामग्री घोटाला में भी बातें सामने आ चुकी है। कई अधिकारी लिपिकों की ही कारस्तानी के कारण उलझ कर रह गए हैं। इसी तरह अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा में भी हुआ। यही वजह है कि इस कुर्सी पर बैठने से साफ सुथरी छवि वाले प्राचार्य और अधिकारी कन्नी काटने में लगे हैं।