अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा में बड़ी कार्रवाई: कमिश्नर ने डीईओ और योजना अधिकारी को किया निलंबित
स्कूल शिक्षा विभाग में हुए सबसे बड़े अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा में अधिकारियों पर गाज गिरनी शुरू हो गई है। सालभर के अनुकंपा नियुक्ति प्रकरणों की जांच के बाद 5 और प्रकरण फर्जी मिले। इन प्रकरणों के परीक्षण और सत्यापन में लापरवाही बरतने पर जिला शिक्षा अधिकारी और परियोजना अधिकारी को कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने निलंबित कर दिया है। निलंबन अवधि में इनका मुख्यालय जेडी कार्यालय रीवा नियत किया गया है।

10 मार्च 2024 से 31 मई 2025 तक के अनुकंपा प्रकरणों की कराई गई थी जांच
37 अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों की हुई थी जांच, इसमें 5 फर्जी मिले थे
रीवा। ज्ञात हो कि स्कूल शिक्षा विभाग में अब तक का सबसे बड़ा अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा किया गया। बिना माता पिता के स्कूल में नौकरी के ही उनके पुत्र और बेटियों को विभाग ने अनुकंपा नियुक्ति दे दी थी। इसका खुलासा बृजेश कुमार कोल के प्रकरण से हुआ। बृजेश कुमार कोल के प्रकरण ने स्कूल शिक्षा विभाग में चल रहे रैकेट का ही भांडा फोड़ कर दिया। इस मामले के प्रकाश में आने के बाद जिला शिक्षा अधिकारी सुदामा लाल गुप्ता खुद को बचाने के लिए अपने कार्यकाल के दौरान की गई अनुकंपा नियुक्तियों की जांच बैठा दी। हालांकि वह अपने ही जाल में फंस गए। कलेक्टर के निर्देश पर जब एक साल के प्रकरणों की जांच की गई तो 5 और प्रकरण फर्जी मिले। जांच के बाद प्रतिवेदन कलेक्टर को भेजा गया। कलेक्टर ने इस पूरे मामले में डीईओ सुदामा लाल गुप्ता और योजना अधिकारी अखिलेश मिश्रा को दोषी पाया। उनके खिलाफ कार्रवाई का प्रस्ताव कमिश्नर के पास भेज दिया। कमिश्नर ने इस मामले में दोनों अधिकारियों को नोटिस जारी कर जवाब मांगा। अधिकारियों ने अपने जवाब पहले ही दे दिए थे लेकिन मामला दबा रहा। अब अचानक कमिश्नर ने दोनों अधिकारियों को निलंबित करने का आदेश जारी कर सनसनी फैला दी है।
अखिलेश नोडल रहे और दस्तावेजों का परीक्षण और सत्यापन में बरती लापरवाही
एक साल के प्रकरणों की फाइलों की जांच की गई। करीब 37 अनुकंपा नियुक्ति के प्रकरणों की जांच कराई गई। इसमे 5 अभ्यर्थियों के दस्तावेज फर्जी मिले। प्रकरणों में सत्यापन की प्रक्रिया में लापरवाही बरतना पाया गया। कलेक्टर ने जांच के बाद अखिलेश मिश्रा योजना अधिकारी के निलंबन का प्रस्ताव 12 जून 2025 को कमिश्नर के पास भेजा। कमिश्नर ने अखिलेश मिश्रा को प्रकरणों के समुचित परीक्षण और सत्यापन में लापरवाही किए जाने पर निलंबित कर दिया है।
कुर्सी बन गई सजा, सुदामा पर लग गया दाग
गंगा प्रसाद उपाध्याय के हटाकर कुर्सी पर बैठाने के लिए कई चेहरे तलाशे गए। इसमें सबसे फिट सुदामा लाल गुप्ता ही नजर आए थे। अधिकारियों और राजनीतिक आकाओं की अनुमति पर सुदामा को डीईओ बनाया गया। अब यही कुर्सी उनके लिए सजा बन गई। ऐसा दाग लगा जो अब छूटेगा भी नहीं। सुदामा लाल गुप्ता को अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा का दोषी मानते हुए कमिश्नर ने निलंबित कर दिया है। डीईओ को दस्तावेजों के विधिवत परीक्षण और ऑनलाइन सत्यापन में लापरवाही करने का दोषी माना गया है। इन्हें भी जेडी आफिस में निलंबन अवधि में अटैच किया गया है।
अभी और अधिकारी भी फसेंगे
कमिश्नर ने एसडीएम हुजूर के नेतृत्व में तीन सदस्यीय टीम का गठन किया है। यह टीम इसके पहले के तीन सालों के रिकार्ड और खंगालेगी। ऐसी संभावना है कि पहले भी इस तरह से फर्जी अनुकंपा नियुक्तियां की गई हैं। यदि जांच में और फर्जीवाड़ा पकड़ा गया तो पूर्व के डीईओ सहित डीईओ कार्यालय में पदस्थ अन्य अधिकारी भी लपेटे में आ जाएंगे। इसमें सबसे ऊपर नाम पूर्व डीईओ गंगा प्रसाद उपाध्याय का नाम आ रहा है। उनका रिटायरमेंट भी चंद महीने बाद है। ऐसे में रिटायरमेंट के पहले ही उन पर कार्रवाई तय मानी जा रही है।
अब तक 7 पर हो चुकी है एफआईआर
अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा मामले में अब तक 7 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा चुका है। इसमें 6 अनुकंपा नियुक्ति पाने वाले अभ्यर्थी हैं और 7वां शिक्षा अधिकारी कार्यालय में काम करने वाला शाखा प्रभारी रमाप्रपन्न द्विवेदी है। अब इस मामले में इन अधिकारियों के खिलाफ भी एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग की जा रही है। अधिवक्ता बीके माला ने इसे लेकर कमिश्नर से शिकायत भी है। भोपाल भी शिकायत भेजी है। उन्होंने भी एफआईआर दर्ज कराए जाने की मांग की है।
पुलिस की कार्रवाई सुस्त, एक भी पकड़ नहीं आए
इस पूरे मामले में पुलिस निष्क्रिय बनी हुई है। सिविल लाइन थाना में अब तक 7 लोगों के खिलाफ प्रकरण दर्ज किया जा चुका है लेकिन एक भी अब तक पकड़ में नहीं आए। एक भी पकड़ में आ जाए तो इस पूरे गिरोह का ही पर्दाफाश हो सकता है। हालांकि पुलिस जानबूझ कर दबाव में आकर आरोपियों को पकडऩे की कोशिश नहीं कर रही है। यदि आरोपी पकड़े गए तो कई चेहरे इस मामले में बेनकाब हो सकते हैं। जिन्होंने रीवा मेें अवैध अनुकंपा नियुक्ति की दुकान चला रखी थी। यही वजह है कि पुलिस भी हीलाहवाली कर रही है। इसके पहले भी शिक्षा विभाग के अनुदान घोटाले की फाइल थाना में ही धूल फांक रही है। उसमें भी पुलिस कुछ नहीं कर पाई।