अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा: जेडी की रिपोर्ट कमिश्नर तक पहुंची, तीन लोग मिले फर्जीवाड़ा में दोषी
अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की पहली जांच रिपोर्ट कमिश्नर तक पहुंच गई है। जेडी की टीम ने जांच रिपोर्ट कमिश्नर को सौंप दी है। जांच में तीन अधिकारी, कर्मचारी दोषी पाए गए हैं। इनकी संलिप्तता स्पष्ट हुई है। सिर्फ एक को छोड़कर सभी कर्मचारियों की यूनिट आईडी तक फर्जी यूज की गई। जेडी की जांच ने सारे कारनामों की कलई ही खोल दी है। अब कमिश्नर के पाले में गेद हैं। इसमें मामले में हालांकि तीनों पर एफआईआर होनी थी लेकिन पूरा खेल ही पलटने की कोशिश चल रही है।

रमाप्रपन्न द्विवेदी की फाइलें सीधे आवक जावक में चढ़वाता था,हाथों हाथ होती थी डील
सभी प्राचार्यों के हस्ताक्षर निकले फर्जी, मृत्यु प्रमाण पत्र तक फर्जी उपयोग किया गया
रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग में मप्र का सबसे बड़ा अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा किया गया। इसमें 6 लोगों को भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई। बृजेश कोल की नियुक्ति से खुलासा हुआ तो सारे मामले सामने आ गए। अब तक अनुकंपा प्रभारी सहित 6 लोगों पर सिविल लाइन थाना में एफआईआर भी दर्ज की जा चुकी है। लेकिन इसमें मुख्य रूप से जो दागी थे उन पर अभी किसी तरह की आंच नहीं आई है। इनके खिलाफ सिर्फ जांच पर जांच चलाई जा रही है। इस पूरे मामले में जेडी लोक शिक्षण रीवा ने भी तीन सदस्यीय जांच टीम बनाकर जांच प्रतिवेदन मांगा था। टीम ने जांच रिपोर्ट जेडी को सांैप दिया। जेडी ने कमिश्नर को दे दिया है। जांच में डीईओ सहित लिंक अधिकारी और अनुकंपा नियुक्ति प्रभारी लिपिक दोषी पाए गए हैं। इनके खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई की अनुशंसा की गई है। जांच में पीजीबीटी प्राचार्य आरएन पटेल, गवर्नमेंट स्कूल क्रमांक 1 के प्राचार्य डा पीएल मिश्रा और मार्तण्ड स्कूल 1 के लेखापाल टीम में शामिल रहे।
प्राचार्यों के फर्जी हस्ताक्षर कर किए गए थे फार्म जमा
जांच टीम ने जितने फर्जी अनुकंपा के मामले में मिले। सभी स्कूलों के प्राचार्यों को बुलाया। उनके बयान लिए गए। स्कूल से अनुकंपा के भेजे गए प्रस्ताव पर प्राचार्यों के जो सिग्नेचर थे। उनकी भी पुष्टि कराई गई। सभी प्राचार्यों ने सिग्नेचर उनका होने से इंकार कर दिया। सभी के नमूना स्वरूप हस्ताक्षर की प्रति भी ली गई। सभी प्राचार्यों ने लिखित में बयान दिया।
हाथों हाथ डील करता था अनुकंपा नियुक्ति का प्रभारी
टीम ने जब डीईओ कार्यालय में जांच की तो चौकाने वाली बातें सामने आई। इसमें लिपिक रमाप्रपन्न द्विवेदी ही सारी फाइलों को डील करता था। आवक जावक में पदस्थ शिव कुमार पाण्डेय ने लिखित में दिया कि रमाप्रसन्न द्विवेदी अनुकंपा की फाइलें हाथों हाथ लाते थे। रजिस्टर्ड में चढ़वाने के बाद खुद ही लेकर जाते थे। सारी फाइलें वहीं डील करते थे। फाइल में कवरिंग लेटर तक नहीं होता था।
बृजेश कोल के मामले में भैयालाल कोल की निकली आईडी, मृत्यु प्रमाण पत्र था फर्जी
अनुकंपा नियुक्ति के फर्जीवाड़ा का खुलासा बृजेश कुमार कोल से हुआ था। बृजेश कुमार कोल को उनकी माता बेलाकली कोल पिता शिवचरण कोल पोस्ट परसिया, तहसील त्योंथर के निधन पर नियुक्ति दी गई थी। माता बेलाकली कोल को ढेरा प्राथमिक शाला स्कूल में सहायक शिक्षक बताया गया था। मृत्यु के बाद उनकी जगह पर बृजेश कोल को अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। हालांकि जांच में आईडी ही गलत निकली। जिस आईडी का उपयोग अनुकंपा नियुक्ति में की गई थी। वह भैयालाल कोली की निकली। अनुकंपा नियुक्ति के पोर्टल 2.0 में यूनिट आईडी चेक करने पर भैयालाल कोल नाम दर्ज था। फार्म फारवर्ड में हस्ताक्षर जो प्राचार्य के थे। वह भी फर्जी थे। रमेश मिश्रा ने इसकी पुष्टि कर दी है। इसके अलावा जन्म मृत्यु कार्यालय ने मृत्यु प्रमाण पत्र को फर्जी बता दिया है। पीपीओ भी फर्जी निकला है।
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2011 में हो गई थी मौत, 2021 बना कर दी गई अनुकंपा नियुक्ति
हीरामणि रावत पिता भैयालाल रावत ग्राम पोस्ट जोड़ौरी जिला रीवा की भी नियुक्ति फर्जी तरीके से की गई। इनकी नियुक्ति शाउमावि बरौ विकासखंड सिरमौर अंतर्गत शासकीय पूर्व माध्यमिक शाला बीड़ा में की गई थी। इनकी नियुक्ति यूनिक आईडी एयू 9889 से की गई थी। यह आईडी भैयालाल कोल की ही थी। लेकिन उनका निधन 2011 में ही हो गया था। उनके तीन बेटे थे। दो गवर्नमेंट जॉब में थे। तीसरा बेटा बेरोजगार था। एक बेटा का निधन हो गया था। उसकी जगह पर उसकी पत्नी को अनुकंपा नियुक्ति मिली थी। भैयालाल कोल के निधन के वर्ष में हेरफेर किया गया। वर्ष 2011 को 2021 बनाकर तीसरे बेरोजगार बेटे हीरामणि रावत को अनुकंपा नियुक्ति दे दी गई। जबकि वह पात्र ही नहीं था। नियमानुसार शासकीय कर्मचारी के निधन के 7 साल के अंदर ही अनुकंपा के लिए आवेदन करना होता है। इसके अलावा यदि परिवार में दो लोग सरकारी नौकरी में है तब भी अनुकंपा नहीं मिल सकती। इसके बाद भी फर्जीवाड़ा कर नियुक्ति दी गई।
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लिंक अधिकारी ने जताई आपत्ति लेकिन डीईओ ने ओके किया
जांच में पाया गया कि अनुकंपा नियुक्तियां रोस्टर के हिसाब से नहीं की गईं थी। इस पर ङ्क्षलक अधिकारी अखिलेश मिश्रा ने आपत्ति भी दर्ज की थी। रोस्टर के नियमों के अनुसार नियुक्ति करने की टीम भी फाइल पर लिखी थी लेकिन डीईओ ने इसे नजर अंदाज कर बिंदुश: फाइल को बुलाकर आगे बढ़ा दिया था। सारी फाइलें एक से दो महीने के अंदर ही ओके कर दी गई थी। बिना पद के ही नियुक्तियां की गईं।
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चार की नियुक्ति में फर्जी यूनिक आईडी का उपयोग किया गया था
ऊषा देवी पिता बुद्धसेन वर्मा ग्राम चन्देला पोस्ट चन्द्रपुर तहसील त्योंथर को भृत्य पद पर अनुकंपा नियुक्ति प्रदान की गई थी। इनकी नियुक्ति में यूनिट आईडी एएक्स 2489 का उपयोग किया गया। यह आईडी तीरथ प्रसाद आदिवासी की थी। इनकी नियुक्ति शाउमावि अटरिया संकुल बालक सेमरिया में की गई थी।
ओम प्रकाश कोल को माता श्रीमती राधा कोल की जगह पर अनुकंपा नियुक्ति दी गई थी। राध देवी कोल की यूनिक आईडी एडब्लू 1236 का उपयोग किया गया था। यह आईडी बालकृष्ण कोल सहायक शिक्षक शाउमावि घुवारा के नाम से थी। इनकी नियुक्ति शाउमावि अटरिरया संकुल शाउमावि बालक सेमरिया में की गई थी। इसी तरह सुषमा कोल पिता श्यामलाल कोल निवासी ग्राम पोस्ट सोहागी तहसील त्योंथर की पोस्टिंग शासकीय उत्कृष्ट उमावि गंगेव में की गई थी। इनके लिए यूनिक आईडी एएक्स 1558 का उपयोग किया गया था जो अनिल कुमार सिंह उच्च माध्यमिक शिक्षक के नाम से था। इसी तरह विनय कुमार रावत पिता राजेश रावत निवासी ग्राम पोस्ट बरौं तहसील सेमरिया की अनुकंपा नियुक्ति शाउमावि तिघरा में की गई थी। यूनिक आईडी एडब्लू 6418 से नियुक्ति दी गई थी। यह यूनिक आईडी एजुकेशन पोर्टल 2.0 अनुकंपा नियुक्ति में राम विश्वास कोल की थी।