बोर्ड परीक्षा में स्कूल शिक्षा विभाग की कारस्तानी जानकर हो जाएंगे हैरान, इसलिए कापियों में बरसे जमकर नंबर और बन गया नया रिकार्ड

स्कूल शिक्षा विभाग की बोर्ड परीक्षा की कापियों के मूल्यांकन में ऐसी कारस्तानी की कि रिजल्ट ने सब को चौंका दिया। रिजल्ट ने पिछले रिकार्ड तोड़ दिए। स्कूलों में बिना पढ़ाई के ही छात्रों ने टॉपम टॉप कर दिया। फेल होने वाले छात्र कम रहे और प्रथम और द्वितीय स्थान वाने वाले छात्रों की भरमार सामने आई है। ऐसा सिर्फ मूल्यांकन के दौरान कापियों में बरसाए गए नंबरों के कारण हुआ। स्कूल शिक्षा विभाग खुद को फेल होने के दाग से बचने के लिए ऐसी गडि़त फिट की, कि सब हैरान रह गए।

बार कोडिंग सिस्टम लागू किया गया लेकिन कापियां उसी जिले में वापस चेक होने पहुंची
मूल्यांकनकर्ताओं को भरपूर नंबर देने का आदेश पहुंचा था, इसलिए फेल कम छात्र हुए
रीवा।  बोर्ड परीक्षा परिणाम ने सभी को चौंका दिया। 15 साल बाद ऐसा रिजल्ट आया। इस रिजल्ट के पीछे पढ़ाने वाले शिक्षकों की मेहनत कम और मूल्यांकन करने वाले शिक्षकों की रहमत ज्यादा रही। मूल्यांकनकर्ताओं को निर्देश ही ऐसा मिला था कि छात्रों को भरपूर नंबर मिले। फेल होने वाले छात्र कम ही थे। अधिकांश छात्र प्रथम और द्वितीय स्थान पर आए। स्कूल शिक्षा विभाग की इस व्यवस्था ने साल भर चली शिक्षकों की उथल पुथल और खराब रिजल्ट आने के डर को दूर कर दिया।
स्कूल शिक्षा विभाग ने बोर्ड परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने ऐसी योजना बनाई कि सब हैरान है। शिक्षक अतिशेष और पदोन्नति के फेर में ही फंसे रहे। स्कूलों में पढ़ाई भी नहीं हुई फिर भी रिजल्ट बढिय़ा आया। इसके पीछे मूल्यांकन में मूल्यांकनकर्ताओं को मिले निर्देश थे। सूत्रों की मानें तो मूल्यांकनकर्ताओं को उत्तरपुस्तिकाओं में खुलकर नंबर देने के निर्देश मिले थे। इसका पालन भी मूल्याकनकर्ताओं ने किया। छात्रों की उत्तर पुस्तिकाओं पर जमकर अंक बरसे। स्कूल शिक्षा विभाग से मिले इस आदेश से मूल्यांकनकर्ता भी गदगद रहे। मूल्यांकनकर्ताओं को कम अंक देने पर रिकाउंटिंग और रिचेकिंग का डर सताता था। वह भी खत्म हो गया। अधिक नंबर मिलने पर छात्र इस तरह की प्रक्रिया का पालन भी नहीं करते और शिक्षक भी कार्रवाई से बच गए।
बार कोडिंग के बाद वापस लौट आई थी कांपियां
इस मर्तबा उत्तरपुस्तिकाओं में बार कोडिंग की गई। रीवा जिला में बार कोडिंग के लिए 9 जिलों की उत्तरपुस्तिकाएं भेजी गईं थी। उत्तरपुस्तिकाओं के प्रथम पेज का रोलनंबर और बारकोडिंग वाला एक हिस्सा हटा लिया गया था। शेष में बार कोडिंग रह गई थी। यही बार कोडिंग छात्र की पहचान थी। बार कोडिंग की प्रक्रिया पूरी करने के बाद 180 उत्तरपुस्तिकाओं का बंच बनाया गया। उसकी पैकिंग के बाद कापियों को मिक्स कर वापस 9 जिलों में ही मूल्यंाकन के लिए भेज दिया गया। इसी तरह रीवा की उत्तर पुस्तिकाएं बार कोडिंग के लिए सागर भेजी गईं थी। बार कोडिंग के बाद वापस मूल्यांकन के लिए रीवा आईं लेकिन सब कुछ गुप्त रहा लेकिन शिक्षकों को इस बात की जानकारी जरूर थी कि सारी कापियां रीवा जिला की ही हैं। यही वजह है कि यहां के छात्रों को पर्याप्त नंबर मिले।
रीवा संभाग से 66 छात्रों ने प्रदेश की प्रवीण्य सूची में जगह बनाई
मूल्यांकन में छात्रों को भरपूर नंबर दिए गए। इसी का परिणाम रहा कि रीवा जिला का रिजल्ट भी सुधर गया। पिछले साल की तुलना में इस साल के बोर्ड परीक्षा परिणाम ने रीवा का स्तर सुधार दिया है। पिछले साल 10वीं बोर्ड का परीक्षा परिणाम 56.08 फीसदी रहा। इस साल 72.08 फीसदी पहुंच गया। 12वीं का परीक्षा परिणाम पिछले साल 60.79 रहा। इस साल 3.49 फीसदी की वृद्धि हुई। परीक्षा परिणाम 64.28 आया। 10वीं की बोर्ड परीक्षा में रीवा और मऊगंज जिला से 26 हजार 215 छात्र रजिस्टर्ड थे। इसमें से 13822 छात्र प्रथम आए। वहीं 4962 छात्र द्वितीय और 44 छात्र तृतीय हुए। कुल 18 हजार 828 छात्र उत्तीर्ण हुए। पास का प्रतिशत 72.08 रहा। वहीं 12वीं में कुल 20 हजार 817 छात्र रजिस्टर्ड रहे। इसमें से 9 हजार 383 प्रथम, 3938 द्वितीय और 06 छात्र तृतीय आए। कुल 13 हजार 327 छात्र उत्तीर्ण हुए। पास होने का प्रतिशत 64.19 रहा। तृतीय श्रेणी में आने वाले छात्रों की संख्या कम रही।
पूरे सत्र पढ़ाई हुई कम सिर्फ स्थानांतरण होते रहे
हद तो यह है कि शैक्षणिक सत्र 2024-25 में सरकारी स्कूलों में पढ़ाई नाम मात्र की हुई। अक्टूबर 2024 से ही शिक्षकों के प्रमोशन और नवीन पदस्थापना का दौर शुरू हो गया था। प्रमोशन पाने वाले शिक्षकों की काउंसलिंग और नई पदस्थाना होती रही। प्रायमरी और सहायक शिक्षकों को उच्च पद प्रभार पर पदस्थ कर दिया गया। इसके कारण हाई और हायर सेकेण्डरी स्कूलों में पहुंचे शिक्षक कोर्स ही पूरा नहीं करा पाए थे। इसके अलावा स्कूल शिक्षा विभाग ने अतिशेष शिक्षकों की भी सूची जारी कर दी थी। स्कूलों में अतिशेष शिक्षकों को हटाने की कार्रवाई जनवरी तक चलती रही। इसके कारण शिक्षक पढ़ाने से ज्यादा अतिशेष से बचने के ही जुगाड़ में लगे रहे। कई पुराने शिक्षक स्कूलों से हट गए। इसका भी असर पड़ा था लेकिन इन सारी समस्याओं के बाद भी रिजल्ट बेहतर आया।
छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़
स्कूल शिक्षा विभाग ने खुद के फेल्योर को छुपाने के लिए मूल्यांकन में ढि़लाई दी। इसके कारण बोर्ड परीक्षा में शामिल होने वाले छात्रों को उम्मीद से ज्यादा नंबर मिले। अधिकांश छात्र पास हो गए। इससे छात्र और शिक्षक, स्कूल शिक्षा विभाग खुश है लेकिन यह छात्रों के भविष्य के साथ खिलवाड़ करने जैसा है। आसानी से नंबर मिलने के कारण अब छात्र अगली कक्षाओं में मेहनत करने से  कतराएगा। इसका असर उनके आगामी कक्षाओं और कॉलेजों की शिक्षा पर भी पड़ेगा।