आनंदम का बजट में लूटखसोट रोकना और अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच बनी गले की फांस, हटाए गए नीरव

रीवा का स्कूल शिक्षा विभाग फर्जीवाड़ा का गढ़ बन गया है। यहां गलत काम का साथ नहीं दिया तो वह अधिकारी कुर्सी पर नहीं टिक सकता। नीरव दीक्षित ने जेडी की कुर्सी पर बैठने की बड़े फर्जीवाड़े पकडऩे शुरू कर दिए। मनमानी पदस्थापना रोक दी। आनंदम बजट घोटाले को रोक दिया। अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच करा दी। इसमें कईयों की गर्दन फंस रही थी। इसके पहले ही उन्हें रीवा से हटा दिया गया। 15 दिन में ही स्थानांतरण आदेश जारी कर दिया गया। उनकी नई पदस्थापना भोपाल में की गई है।

आनंदम का बजट में लूटखसोट रोकना और अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच बनी गले की फांस, हटाए गए नीरव

7 महीने में तीसरी बार किया गया नीरव दीक्षित का स्थानांतरण

इसके पूर्व सतना में थे पदस्थ, 4 अधिकारियों की स्थानांतरण सूची हुई जारी

रीवा। स्कूल शिक्षा विभाग की दुर्गति हो गई है। रीवा में शिक्षा जगत में वहीं अधिकारी बैठे हैं जो लूट खसोट रहे हैं। इन पर रोक लगाने की कोशिश करने वालों को हटा दिया जाता है। ऐसा ही संयुक्त संचालक लोक शिक्षण रीवा के साथ हुआ। वह गलत काम का साथ नहीं दिए। इसके पहले भी सतना में भी इसी बात पर उनका विरोध हुआ। उन्हें गलत तरीके से शिक्षकों का संविलियन नहीं किया तो विरोध शुरू हो गया। अब रीवा में पदस्थ होते ही यहां सभी जगह जेडी ने गलत बिल, स्थानांतरण, पदस्थापना पर रोक लगाई तो हल्ला मच गया। भोपाल तक यहां के  लोग पहुंच कर गोहार लगाने लगे। यही वजह है कि सिर्फ 15 दिन में ही नीरव दीक्षित को नई स्थानांतरण नीति के नियमों के विपरीत हटा दिया गया। अब उनकी पदस्थापना उप संचालक लोक शिक्षण संचालनालय भोपाल कर दी गई है। जेडी के स्थानांतरण होते ही विरोधी खुश हो गए हैं। 

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36 लाख का बजट आया था, लीपापोती की थी तैयारी

भोपाल से 36 लाख का बजट जेडी आफिस आया है। इसमें ट्रेनिंग की व्यवस्था पर खर्च करना था। इसमें सारा काम फर्जी किया गया। कागज में कोई काम नहीं हुआ। खाना बनाने के लिए टेंडर बुलाया गया लेकिन इसमें कम रेट डालने वाले को ठेका ही नहीं दिया गया। अधिक दर जिसने भरी उसे ठेका दे दिया गया। इसके अलावा सारा काम मौखिक हुआ। किसी तरह की कागजी कार्रवाई नहीं की गई। इसमें करीब 15 से 20 लाख रुपए के हेरफेर की आशंका जताई गई। जेडी ने सारे बिल रोक दिए थे। इसमें रीवा स्तर से लेकर भोपाल तक के अधिकारियेां का हिस्सा बंधा था। इस बिल को रोकने से नीरव दीक्षित को इसकी सजा भुगतनी पड़ी। 

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अनुकंपा नियुक्ति फर्जीवाड़ा की जांच कराई

जेडी नीरव दीक्षित ने कुर्सी पर बैठते ही डीईओ कार्यालय में हुए फर्जी अनुकंपा नियुक्ति की जांच बैठा दी थी। इसमें तीन सदस्यों की टीम बनाई गई थी। जांच में डीईओ, लिंक अधिकारी और लेखापाल शामिल रहे। जांच में जिला शिक्षा अधिकारी कार्यालय के अधिकारी फंसते नजर आए। कमिश्नर को जांच रिपोर्ट भी सौंप दी गई। इस रिपोर्ट में डीईओ सहित अधिकारी फंसते नजर आ रहे हैं। इस वजह से भी नीरव को रीवा से हटाया गया। 

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नियमों का स्थानांतरण में किया गया उल्लंघन

प्रभारी संयुक्त संचालक नीरव दीक्षित के स्थानांतरण में शासन ने सामान्य प्रशासन विभाग के स्थानांतरण नीति 29 अप्रैल 2025 की कंडिका 7,8 एवं 17 का उल्लंघन किया गया है। इसमें लेख किया गया है कि 1 अप्रेल 2024 से 30 अप्रैल 2025 के बीच किये गए स्थानांतरण पुन: न किया जाए। और कंडिका 17 में लेख है कि प्रथम श्रेणी के अधिकारियों को तीन साल के पहले स्थानांतरित न किया जाए। कंडिका 8 में उल्लेख है कि 20 फीसदी स्थानांतरण किसी कार्यालय से न किया जाए। जबकि स्कूल शिक्षा विभाग में 50 फीसदी स्थानांतरण कर दिया गया है।