574 करोड़ की आरडीएसएस योजना ठप, अशोका ने 2 साल में 20 फीसदी किया काम, 1 साल एक्सटेंशन मिला, 5 महीने गुजर भी गए

सौभाग्य की तरह केन्द्र की आरडीएसएस योजना का भी रीवा में दम निकल रहा है। 574 करोड़ की योजना खटाई में पड़ गई है। अनुबंध के दो साल निकल गए। कंपनी सिर्फ 20 फीसदी काम कर पाई। कमिश्नर ने कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के निर्देश दिए थे फिर भी विद्युत वितरण कंपनी ने एक साल का एक्सटेंशन दे दिया। 6 महीने यूं ही गुजर गए। 6 महीने और बचे हैं। इन बचे समय में 80 फीसदी शेष काम करने हैं।

574 करोड़ की आरडीएसएस योजना ठप, अशोका ने 2 साल में 20 फीसदी किया काम, 1 साल एक्सटेंशन मिला, 5 महीने गुजर भी गए
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कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने दिए थे मेसर्स अशोका कंपनी को ब्लैक लिस्टेड करने के निर्देश
ब्लैक लिस्टेड करने की जगह 1 साल एक्सटेंशन दे दिया गया, फिर भी नहीं कर रही काम
रीवा। ज्ञात हो कि आरआरआरडीएसएस योजना के तहत केन्द्र से रीवा को 574 करोड़ का बजट मिला है। यह योजना 2 सालों में पूरा करना था। इस योजना का उद्देश्य सिर्फ बिजली व्यवस्था को स्मार्ट बनाना है। लाइन लॉस, बिजली चोरी पर रोक लगाना है। बिजली की समस्या से जूझ रहे लोगों केा राहत पहुचंाना है। खराब बिजली की लाइनों को दुरुस्त करने के साथ ही नए सब स्टेशन और फीडर तैयार करना है। बिजली आपूर्ति में आ रही दिक्कतों को इस योजना से दूर करना था। केन्द्र से बजट मिला। फीडर सेप्रेशन का काम नासिक की अशोका बिल्डकॉन को मिला। इन्हें रीवा के साथ ही सतना और बालाघाट का टेंडर भी मिला है। कंपनी ने टेंडर पर काम लेने के बाद फील्ड में पेटी कान्टेक्टरों को उतार तो दिया लेकिन उसे रफ्तार नहीं दे पाईं। पिछले दो सालों से काम सिर्फ कागजों में चल रहा है। मौके पर काम ही नहीं हो रहा है। बिजली के खंभे खड़े हैं लेकिन कंडक्शन नहीं खींच पा रहे।  इसके कारण प्रोजेक्ट लगभग फेल हो गया है। काम करने की समय सीमा भी दिसंबर तक थी। वह भी खत्म हो गई। कंपनी को बजट का 70 फीसदी हिस्सा इक्यूपमेंट पर खर्च करना था। कंपनी ने सारे स्टोर इक्यूपमेंट से भर लिए लेकिन दो सालों से उपयोग नहीं करने से अब वह खराब होने लगे हैं। रीवा और सतना स्टोर स्टॉक से पटा हुआ है लेकिन अब वह खराब होने लगे हैं। कंपनी के धीमा और खराब काम के बाद भी विद्युत वितरण कंपनी ने एक साल का एक्सटेंशन दे दिया। दिसंबर में समय सीमा खत्म होने के बाद फिर से एक साल का एक्सटेंशन दिया गया है। यदि इस तरह से देखे तो 5 महीने यूं ही गुजर गए हैं। कंपनी ने इन 5 महीनों को कोई काम नहीं किया। कहीं भी काम नजर नहीं आ रहा है। जहां चालू भी किए वह बंद हो गए हैं। अब सिर्फ 7 महीने और बचे हैं। ऐसे में 80 फीसदी काम होना मुश्किल ही जान पड़ रहा है।
कमिश्नर ने ब्लैक लिस्टेड करने के दिए थे निर्देश
मेसर्स अशोका बिल्डकॉन लिमिटेड नासिक ही आरडीएसएस योजना का काम कर रही है। खराब परफार्मेंस के कारण कमिश्नर रीवा संभाग रीवा ने कड़ी आपत्ति जताई थी। कंपनी के खराब काम को देखते हुए ब्लैक लिस्टेड करने की कार्रवाई के निर्देश दिए थे। दोबारा टेंडर बुलाने के लिए भी कहा था। हालांकि विद्युत वितरण कंपनी ने नोटिस जारी कर सिर्फ खानापूर्ति की। कंपनी ने अशोका को खराब काम करने के बाद भी फिर से एक्सटेंशन दे दिया है।
रीवा में यह काम है प्रस्तावित
रीवा में आरआरआरडीएसएस योजना के तहत 6 सब स्टेशन का निर्माण किया जाना है। 32 कैपेसीटर बैंक की स्थापना की जानी है। 189 किलोमीटर 33 केवी लाइन का विभक्तीकरण, 62 किला मीटर 33 केवी लाइन का इंटरकनेक्शन, 16 किमी मीटर 33 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना , 2421 किमी फीडर सेपरेशन 11 केवी लाइन कार्य, 1950 किलो मीटर नवीन एलटी लाइन, 5340 नंबर वितरण ट्रांसफार्मर अतिरिक्त, 428 किलोमीटर 11 कवी लाइन का विभक्तिकरण, इंटरकनेक्शन, 394 किलोमीटर 11 केवी लाइन कंडक्टर की क्षमता में वृद्धि करना और 1858 किलो मीटर एलटी लाइन की तारों का केबल में बदलीकरण और केबल की क्षमता में वृद्धि किया जाना है। इसके अलावा 223 फीडर विभक्तीकरण का काम करना था। इस पर करीब 574 करोड़ रुपए खर्च किए जाने हैं।
दो साल में सिर्फ इतना ही काम कर रही पाई कंपनी
मेसर्स अशोका बिल्डकॉन लिमिटेड नासिक को आरडीएसएस योजना का काम मिला है। कंपनी को दो साल में शत प्रतिशत काम पूरा करना था लेकिन नहीं कर पाई। फरवरी 2025 के अंतिम सप्ताह तक कंपनी 11 केव्ही लाइन खींचने का काम केवल 16.42 फीसदी, एलटी लाइन खींचने का काम 51.62 फीसदी, पीसीसी पोल खड़े करने का काम 52.12 फीसदी ही कर पाई है। इतना ही नहीं 40 फीडर ऐसे भी हैं जहां अब तक काम भी शुरू नहीं हो पाया है।
223 फीडर विभक्तीकरण का काम भी नहीं कर पाई
रीवा वृत्त अंतर्गत आरडीएसएस योजना के तहत 113 कृषि और 110 घरेलू फीडर विभक्तीकरण का काम अशोका बिल्डकॉन को किया जाना है। दिसंबर तक काम को पूरा करने का समय निर्धारित किया गया था। लगातार निर्देश के बाद भी कंपनी ने काम की गति नहीं बढ़ाई। इसी का नतीजा है कि समय पर सभी फीडर विभक्तीकरण का काम नहीं हो पाया। अभी भी 40 फीडर ऐसे हैं जहां विभाग काम तक शुरू नहीं कर पाई है। इसके अलावा कई जगहों पर कंपनी ने खंभे खड़े कर दिए हैं लेकिन तार नहीं खींचे जा सके हैं।