सीएम राइज बेमतल, एडमिशन ही नहीं मिल रहा, स्कूल शिक्षा विभाग ने नियमों में बांधा, प्राइवेट स्कूलों का फायदा
सरकार ने लोगों को बेहतर शिक्षा का सपना दिखाया। सीएम राइज स्कूलें खोली लेकिन अब प्राइवेट स्कूलों के लिए ही काम करने लगी। नियम ऐसे बना दिए कि किसी को फायदा ही नहीं मिल रहा। प्राइवेट स्कूलों में बच्चों को बेहतर शिक्षा देने की आस में पढ़ाने वाले अभिभावकों को सीएम राइज स्कूलों में नो इंट्री का बोर्ड लगा दिया गया है। नियमों का ऐसा पेच फंसा दिया गया है कि प्राइवेट स्कूल में बच्चों को पढ़ाने वाले अभिभावक सीएम राइज में इडमिशन ही नहीं दिला पाएंगे। ऐसे में यह करोड़ों की बिल्डिंग और तामझाम सब बेकार हो गए हैं।
सीएम राइज स्कूलों में किमी के हिसाब से दे रहे एडमिशन, इसमें भी प्राइवेट वालों को नहीं दे रहे मौका
नियमों के कारण गरीब और मध्यमवगीर्य परिवार परेशान, चाह कर भी सीएम राइज में बच्चों को नहीं पढ़ा पा रहे
रीवा। सीएम राइज स्कूलों से अभिभावकों को बड़ी उम्मीदें थी। उस पर पानी फिर गया। सरकार ने भी प्राइवेट स्कूलों को फायदा पहुंचाने जैसा ही नियम बना दिया। सीएम राइज स्कूलों में प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों केा प्रवेश ही नहीं दिया जा रहा। गरीब और मध्यवर्गीय अभिभावकों पहले जैसी परेशानियों से ही जूझ रहे हैं। सरकार के सारी योजनाएं बेकार गईं।
ज्ञात हो कि प्रदेशभर में प्राइवेट स्कूलों को टक्कर देने के लिए सरकार सीएम राइज स्कूलों का संचालन कर रही है। सीएम राइज स्कूलों में चयनित और परीक्षा में पास होने वाले शिक्षकों को ही पढ़ाने का मौका दिया जा रहा है। रीवा जिला में भी 12 सीएम राइज स्कूलें संचालित हैं। 17 और खुलने वाली है। इन सीएम राइज स्कूलों के खुलने से लोगों केा प्राइवेट स्कूलों में महंगी फीस से राहत मिलने की उम्मीद थी। हालांकि ऐसा नहीं हुआ। सीएम राइज स्कूलें तो खुली लेकिन प्राइवेट स्कूलों में पढ़ाने वाले अभिभावकों को मौका नहीं दिया जा रहा है। नियम ऐसे बना दिए गए है कि चाह कर भी अभिभावक अपने बच्चों को सीएम राइज स्कूलों में प्रवेश नहीं दिला पा रहे हैं। यही वजह है कि कई अभिभावक सीएम राइज पीके स्कूल से एडमिशन का फाम तो लेकर गए लेकिन जमा नहीं किए। जिन्होंने जमा भी किया तो उन्हें अपने बच्चों को पढ़ाने का मौका नहीं मिला। अब अभिभावक और मध्यम वर्गीय परिवार खुद को ठगा महसूस कर रहा है।
यह नियम बन गयी परेशानी की वजह
सीएम राइज स्कूलों के लिए अलग ही नियम बनाया गया। इसमें एडमिशन के लिए किमी का दायरा सेट किया गया है। पहले 1 किमी में आने वाले सरकारी स्कूलों के बच्चों को प्रवेश दिया जाएगा। इसके बाद दो किमी और फिर तीन किमी के दायरे में आने वाले प्राइवेट स्कूलों को मौका दिया जाएगा। इसके बाद यदि सीटें बचती हैं तब प्राइवेट स्कूलों में पढऩे वाले छात्रों को प्रवेश दिया जाएगा। यही नियम लोगों के लिए परेशानी का सबब बन गया है।
बेहतर छात्र नहीं मिल पा रहे हैं
स्कूल शिक्षा विभाग के इस नियम से अब सीएम राइज स्कूल के प्राचार्य भी परेशान है। इस क्राइटेरिया के कारण बेहतर और अच्छे अंक अर्जित करने वाले छात्र और छात्राएं स्कूलों को नहीं मिल पा रहे हैं। इस मर्तबा तो बोर्ड परीक्षा के परिणाम ने स्कूलों को बचा लिया लेकिन अगली मर्तबा क्या होगा इसे लेकर भी प्राचार्य डरे हुए हैं। सीएम राइज स्कूलों में इस मापदंड के कारण कई छात्र एक्सीलेंस और मॉडल स्कूलों की तरफ दौड़ लगा रहे हैं। सीएम राइज से इन्हें बेहतर विकल्प मान रहे हैं।
प्राइवेट स्कूलों को बचाने और राहत देने की कोशिश
सीएम राइज स्कूलों के शुरू करने की पीछे सरकार की मंशा प्राइवेट स्कूलों की तरह बेहतर शिक्षा देना था। महंगी स्कूलों की शिक्षा और महंगी फीस से राहत पहुंचाने की थी लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। प्राइवेट स्कूलों को बचाने के लिए सरकार और स्कूल शिक्षा विभाग ने ऐसे नियम बना दिए कि उन पर इन स्कूलों के खुलने का भी असर नहीं पड़ेगा। उनके छात्र तक नहीं टूट पाएंगे। प्राइवेट स्कूलों की मनमानी यूं ही जारी रहेगी। प्राइवेट स्कूलों के छात्रों को सीएम राइज स्कूलों में प्रवेश देने के लिए ही क्राइटेरिया बना दिया गया है। ऐसे में अभिभावक पहले की ही तरह इन निजी विद्यालयों की लूट का शिकार होते रहेंगे।
रीवा में संचालित सीएम राइज स्कूल
- शाउमावि बालक मनगवां
- शाउमावि आरआर द्विवेदी गौरी
- शाउमावि डभौरा
- शाउमावि देवतालाब बालक
- शाउमावि उत्कृष्ट मऊगंज
- शाउमावि ढेरा
- एक्सीलेंस स्कूल रायपुर कर्चुलियान
- शाउमावि रघुराजगढ़
- शाउमावि पीके कन्या रीवा
- शाउमावि कन्या सेमरिया
- शाउमावि उत्कृष्ट सिरमौर
- उत्कृष्ट विद्यालय त्योंथर