शराब घोटाला: ईडी ने 4 शहरों में 21 ठिकानों पर मारा छापा, शराब कारोबारियों के घरों से जब्त किए दस्तावेज

वर्ष 2015 से 2018 के बीच इंदौर में शराब कारोबारियों ने फर्जी चालान से करोड़ों रुपए की शराब इश्यू कराई थी। इसी घोटाले की फाइल अब जाकर खुली है। ईडी ने प्रदेश के 4 जिलों में 21 ठिकानों पर छापे मारे हैं। ईडी की कार्रवाई से पूरे प्रदेश में हड़कंप मचा हुआ है। आबकारी विभाग और शराब कारोबारियों में भी हड़कंप की स्थिति मची हुई है।

ईडी ने शराब कारोबारियों के घरों से डिजिटल डिवाइस, बैंक अकाउंट की डिटेल, पॉपर्टी के पेपर जब्त किए हैं
भोपाल। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने सोमवार को इंदौर, जबलपुर, भोपाल और मंदसौर में 21 ठिकानों पर छापे मारे। यह दबिश इंदौर में 2015 से 2018 के बीच 3 साल में हुए 49 करोड़ रुपए के शराब चालान घोटाले को लेकर दी गई। ईडी की टीमों ने इंदौर के बसंत विहार कॉलोनी, तुलसी नगर और महालक्ष्मी नगर इलाकों में शराब कारोबारियों के 17 ठिकानों पर पहुंचकर छानबीन की। इसके अलावा ईडी की एक टीम ने मंदसौर में बंटी त्रिवेदी नाम के शराब कारोबारी के जनता कॉलोनी स्थित घर पर भी दबिश दी। भोपाल के 1 और जबलपुर में 2 स्थानों पर भी ईडी ने छापे मारे हैं, ये सभी ठिकाने इंदौर के शराब कारोबारियों से जुड़े हैं।
इस मामले में 8 साल बाद ईडी ने अविनाश श्रीवास्तव, विजय श्रीवास्तव, राकेश जायसवाल, योगेंद्र जायसवाल, राहुल चौकसे, सूर्यप्रकाश अरोरा, गोपाल शिवहरे, लवकुश जायसवाल और प्रदीप जायसवाल के ठिकानों पर रेड मारी है।
छापेमारी के बाद ईडी की टीम ने प्रॉपर्टी के पेपर, डिजिटल डिवाइस और बैंक अकाउंट की डिटेल जब्त कर ली है। इसके अलावा जांच करने पहुंची टीमों को यहां से ठेकेदारों की आय और व्यय से जुड़े कई दस्तावेज भी मिले हैं। ईडी ने यह कार्रवाई 2017 में इंदौर के रावजी बाजार थाने में आबकारी विभाग द्वारा दर्ज कराए धोखाधड़ी के मामले को आधार मानकर शुरू की है।
ईडी इस केस में आबकारी विभाग के इंदौर में घोटाले के समय पदस्थ रहे तत्कालीन और वर्तमान अधिकारियों की भूमिका की भी जांच कर रही है। एजेंसी इन छापों के जरिए यह पता लगाने की कोशिश में भी जुटी है कि इस घोटाले में तत्कालीन अफसरों की भूमिका क्या थी? ईडी से जुड़े हुए सूत्रों के अनुसार अधिकारियों की मिलीभगत के बिना यह घोटाला करना असंभव था। ईडी से जुड़े विश्वस्त सूत्रों के अनुसार आबकारी विभाग के अधिकारियों ने तीन सालों तक फर्जी चालानों की क्रॉस-चेकिंग ही नहीं की, जिससे उनका भी इस घोटाले में गठजोड़ साफ हो गया है। ईडी ने पुलिस और आबकारी विभाग से एफआईआर, जमा कराए गए उत्पाद शुल्क, आरोपियों की संख्या और नाम-पते, उनके बैंक खातों, सरकार द्वारा की गई रिकवरी और इंटरनल जांच रिपोर्ट सहित कई महत्वपूर्ण दस्तावेज जून 2024 में तलब किए थे।
ऑडिटर्स की जांच भी रही बेनतीजा
आबकारी विभाग ने इंदौर शहर की शराब दुकानें 2015 में 556 करोड़ में, 2016 में 609 करोड़ में और 2017 में 683 करोड़ में नीलाम की थीं। फर्जीवाड़ा सामने आने के बाद प्रदेश सरकार ने 11 ऑडिटरों को इंदौर भेजकर इस अवधि में आबकारी विभाग में जमा कराए गए 1700 करोड़ के बैंक चालानों की जांच भी की थी, लेकिन इसका भी कोई नतीजा अब तक नहीं निकला। हालांकि इसी अवधि में ठेकेदारों द्वारा आबकारी विभाग के शराब वेयरहाउस से स्टॉक उठाने के लिए बैंक चालानों में फर्जीवाड़ा उजागर हुआ था। प्रारंभिक जांच के मुताबिक यह आंकड़ा 49 करोड़ 42 लाख 45 हजार 615 रुपए का था। सोमवार को रीवा में पदस्थ आबकारी उपायुक्त आलोक खरे के रीवा और भोपाल स्थित ठिकानों पर भी छापे की खबर सोशल मीडिया पर वायरल हुई थी, लेकिन बाद में ईडी के सूत्रों ने साफ किया कि उनके दफ्तर और घर पर कोई भी टीम जांच के लिए नहीं पहुंची।