रीवा में पहली बार हुआ ऐसा, करंट से झुलसे आउटसोर्स कर्मचारी को 48 घंटे में मिली आर्थिक मदद
नेहरू नगर सब स्टेशन में पदस्थ एक आउटसोर्स कर्मचारी 11केवी लाइन सुधरते समय करंट की चपेट में आ गया। वह बुरी तरह से झुल गया।अस्पताल में जिंदगी और मौत के बीच संघर्ष कर रहा है। उसे आर्थिक मदद की जरूरत थी। विंध्य आउटसोर्स कर्मचारियों ने पहल की और डीई शहर संभाग ने मदद की फाइल आगेे बढ़ा दी है । 48 घंटे में एसई कार्यालय से स्वीकृति के बाद घायल को 10 हजार का चेक मिल गया। ऐसा विद्युत विभाग में पहली बार हुआ है जब किसी घायल कर्मचारी को विभाग से इतनी जल्दी आर्थिक मदद पहुंचाई गई हो।
फ्यूज बांधते समय कर्मचारी करंट की चपेट में आया था
संजय गांधी अस्पताल में चल रहा इलाज
रीवा। मिली जानकारी के अनुसार विद्युत विभाग के शहर संभाग अंतर्गत नेहरू नगर सब स्टेशन में प्रकाश सोंधिया आउटसोर्स कर्मचारी के रूप में पदस्थ है। वह रात 12 बजे नेहरू नगर हनुमान वाटिका के पास फ्यूज बांधने गया था। इसी दौरान वह करंट की चपेट में आकर बुरी तरह से झुल गया। उसका चेहरा, हाथ सब जख्मी हो गए। उसे साथियों ने तुरंत घायल अवस्था में संजय गांधी अस्पताल में पहुंचाया। इसी जानकारी डीई और एई को दी। अधिकारियों ने मौके पर पहुंच कर हालचाल लिया। इसके अलावा 10 हजार रुपए की विभाग से मिलने वाली आर्थिक सहायता राशि की फाइल भी आगे बढ़ा दी। शहर संभाग से फाइल एसई कार्यालय भेज दी गई। विंध्य आउटसोर्स संगठन के पदाधिकारी प्रदेश अध्यक्ष मुकेश पाण्डेय और प्रदेश सचिव सतीश चौबे ने अधिकारियों से संपर्क किया। इसका परिणाम यह रहा कि 48 घंटे में घायल आउटसोर्स कर्मचारी की मदद की फाइल पर एसई कार्यालय से साइन हो गए। डीई ने प्रकरण स्वीकृति के बाद 10 हजार का चेक घायल के नाम जारी कर दिया। चेक इश्यू होते ही आउटसोर्स कर्मचारी संगठन शहर संभाग के कर्मचारियों के साथ अस्पताल पहुंचे और घायल को चेक प्रदान किया। चेक पाते ही घायल को राहत मिली। उनके परिवार के सदस्यों को भी मदद मिली।
इस आदेश के कारण 48 घंटे में पहुंची मदद की राशि
नीता राठौर मुख्य महाप्रबंधक जबलपुर ने 5 मई 2025 को एक आदेश जारी किया है। इसमे ंकहा गया है कि कंपनी के नियमित, संविदा एवं वाह्यस्रोत एजेंसी के माध्यम से नियोजित कर्मियों के साथ कार्य के दौरान घटित घातक, उघातक या फिर मारपीट की घटनाओं में गंभीर रूप से घायल होने पर पीडि़त कर्मिको को अधिकतम 10 हजार रुपए की तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान किए जाने का आदेश जारी किया गया है। पहले राशि स्वीकृति करने में देरी होती थी। क्षेत्रीय मुख्य अभियंता की अनुशंसा के आधार पर वरिष्ठ कार्यालय प्रकरण भेजा जाता थ। क्षेत्रीय मुख्य अभियंता कार्यालय से भेजे गए प्रकरण में दस्तावेज अधूरे होते थे। इसके कारण तुरंत पीडि़तों को लाभ नहीं मिलता था। यही वजह है कि आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत करने का अधिकार अधीक्षण अभियंता को प्रदान कर दिया गया है। वह प्रकरण का परीक्षण करने के बाद 48 घंटे के अंदर आर्थिक सहायता राशि स्वीकृत कर कार्मिक के खाते में भुगतान करा सकते हैं।