किस्सा कुर्सी का: रविराज ने छींना रबीना का राज, सिरमौर जनपद अध्यक्ष की कुर्सी डगमगाई, 19 सदस्य हुए बागी, अभय खेमा भी हुआ पराया और केपी के साथ आया
सिरमौर जनपद पंचायत में अध्यक्ष की कुर्सी को लेकर घमासान मचा हुआ है। दिव्यराज खेमे की अध्यक्ष की कुर्सी हिल गई है। 19 सदस्यों ने कलेक्टर के सामने अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है। दिव्यराज खेमा कमजोर पड़ गया है। वहीं पूर्व विधायक केपी का पलड़ा भारी चल रहा है। सेमरिया विधायक अभय मिश्रा खेमे के सदस्यों ने दिव्यराज का साथ छोड़ केपी की तरफ बढ़ गए हैं। अब अध्यक्ष का बदलना तय माना जा रहा है। इस नाराजगी की मुख्य वजह सिरमौर विधायक के खास रविराज विश्वकर्मा बन गए हैं। उन्हें ही इस बदलाव का मुख्य वजह माना जा रहा है। सभी रविराज के दखल और कार्यप्रणाली से नाराज थे।

चुनाव के समय से ही चल रही थी भाजपा के ही दो विधायकों में तकरार, अब खुलकर आ गए आमने सामने
सिरमौर विधायक के प्रतिनिधि रविराज ने कर दिया सत्यानाश, अध्यक्ष किसी की सुनती ही नहीं थी इसलिए बिगड़ी बात
रीवा। सिरमौर जनपद पंचायत में अध्यक्ष के चुनाव से ही तकरार शुरू हो गई थी। चुनाव के समय अभय और दिव्यराज ने हाथ मिला लिया था और केपी के कंडीडेट को पटखनी दे दी थी। तब केपी को मात मिली थी और दिव्यराज के कंडीडेट को अध्यक्ष की कुर्सी मिली थी। रबीना साकेत को अध्यक्ष बनाया गया। सिरमोर विधायक दिव्यराज की समर्थक थी। यही वजह है कि दिव्यराज ने कुर्सी पर बैठाने के लिए सारे दांव खेल दिए। विपक्ष से भी हाथ मिला लिया था। अभी चुनाव को तीन साल भी नहीं हुए थे कि जनपद सदस्यो ने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत शुरू कर दी। अध्यक्ष को बदलने का प्रस्ताव लेकर कलेक्टर के पास पहुंच गए। 25 में 19 सदस्य बागी हो गए हैं। इनमें भाजपा और कांग्रेस खेमे दोनों के हैं जो बागी हुए हैं। अभय मिश्रा भी साइलेंट मोड पर चले गए हैं। 19 सदस्यों ने कलेक्टर के पास पहुंच कर अविश्वास प्रस्ताव पेश कर दिया है।
इन सदस्यों ने दिया आवेदन, छोड़ा रवीना का साथ
सिरमौर जनपद के जिन सदस्यों ने रवीना का साथ छोड़ा हैं उसमें सरोज आदिवासी, शियाशरण आदिवासी, मुन्नी दाहिया, निशा ङ्क्षसह, राजेन्द्र सिंह, सीमेश सिंह, शांतिनारायण पाण्डेय, रामलाल कोल, तेजा साहू, अभिषेक त्रिपाठी, बृजमोहन सिंह, सावित्री साकेत, सारथी ङ्क्षसह, प्रतिमा सिंह, रामकली सोंधिया, सविता केवट, श्यामवती साकेत, शैलेन्द्र शुक्ला, मिश्रीलाल तिवारी आदि शामिल रहे। इनमें से मिश्री लाल तिवारी सेमरिया विधायक अभय मिश्रा के खास माने जाते हैं। इसके अलावा वह भी बगावत कर बैठे हैं। राजेन्द्र सिंह, रामलाल, गुडिय़ा आदिवासी, शियाशरण आदिवासी भी सेमरिया विधायक अभय मिश्रा गुट के ही हैं। यह सब एक हो गए हैं।
रविराज विश्वकर्मा ने कर दिया सत्यानाश
इस पूरे छीछालेदर के पीछे सिरमौर विधायक दिव्यराज सिंह के खास और प्रतिनिधि रविराज विश्वकर्मा को वजह माना जा रहा है। रविराज विश्वकर्मा की दखलअंदाजी से भी सदस्य नाराज चल रहे थे। जनपद पंचायत अध्यक्ष रविराज के इशारों पर ही चल रही थीं। सिर्फ उन्हीं की ही सुन रही थी। रविराज का जनपद में अधिक दखल था। इतना ही नहीं दोनों ने रीवा मे एक ही जगह पर एक ही मंजिल में घर भी किराए से ले रखा है। दोनों ही सुबह शाम किला में उपस्थिति दर्ज कराते थे। वहीं की सुनते थे। किसी और का काम ही नहीं कर रहे थे। इससे भी सदस्यों को नाराजगी थी।
अब बागियों की घेराबंदी करने में लगे दिव्यराज और उनके समर्थक
मामला बहुत आगे बढ़ गया है। विरोध और अविश्वास प्रस्ताव पेश करने का हल्ला कई दिनों से चल रहा था। हल्ला मचने के बाद हालांकि सिरमौर विधायक सतर्क हो गए थे। उन्होंने लांबिंग शुरू कर दी थी। कई सदस्यों और महिला सदस्यों के पति को किला भी बुलाया गया था। मामले को डैमेज कंट्रोल करने की कोशिश भी की गई थी लेकिन बात नहीं बन पाई थी। सभी रवीना साकेत के काम और व्यवहार से नाराज चल रहे थे।
सदस्यों ने लगाए कई गंभीर आरोप
बागी हो चुके सदस्यो ने अध्यक्ष पर कई गंभीर आरोप लगाए हैं। सदस्यों का कहना है कि अध्यक्ष कहीं नहीं जाती और लागबुक में भी गलत इंट्री की जाती है। लगातार वित्तीय अनियमितताएं की जा रही थी। सदस्यों की कोई भी बात नहीं सुनी जा रही थी। क्षेत्र में विकास कार्य पूरी तरह से ठप पड़ गया था। तीन सालों में कहीं कोई काम नहीं हुआ। क्षेत्र की जनता सदस्यों का विरोध करने लगी है।
पहले से थी कुर्सी हिलने की भनक लेकिन कुछ कर नहीं पाईं अध्यक्ष
जनपद अध्यक्ष रवीना साकेत अविश्वास प्रस्ताव लाने और विरोध होने का पता कई दिनों पहले ही चल गया था। हालांकि वह इसे सिर्फ अफवाह ही समझती रही। सूत्रो की मानें तो रविवराज विश्वकर्मा अध्यक्ष को भ्रम में रखे रहे। समर्थकों की संख्या 22 से अधिक गिनाते रहे। इसी हवा हवाई में अध्यक्ष की कुर्सी हिल गई। दिव्यराज के खास कहे जाने वाले सदस्य विनोद सिंह की पत्नी ने भी बगावत कर दी है।
पिक्चर अभी बांकी है, नए चेहरा तलाशने पर फिर बढ़ेगी टेंशन
फिलहाल अभी अध्यक्ष को हटाने के लिए भाजपा और कांग्रेस के सभी सदस्य एक हैं। बहुमत जब अध्यक्ष रवीना साकेत साबित नहीं कर पाएंगी तब उसके बाद फिर एक बार खींचतान बढ़ जाएगी। भाजपा और कांग्रेस के दोनों विधायक अपना अध्यक्ष बनाने के लिए मैदान में कूद पड़ेंगे। इस लड़ाई में हालांकि सदस्यों का ही फायदा होगा। जो जितना खर्च करेगा, सदस्य भी उसी की तरफ जाएंगे। सभी सदस्यों ने फिलहाल आगे के लिए दोनों सभी के लिए रास्ता खुला रखा है।