मेडिकल हब बनेगा रीवा: स्पेशलिस्ट डॉक्टर बनकर लौटे, सुपर स्पेशलिटी में शुरू कराया नया विभाग अब लोगों की सेवा में जुटे
रीवा को मेडिकल हब बनाने के इस सपने को साकार करने युवा भी कूद पड़े हैं। बाहर रहकर मोटी कमाई उन्हें रास नहंी आ रही। अब वह पढ़ाई और स्पेशलाइजेशन कर वापस लौट रहे हैं। रीवा के एक लाल ने भी बाहर से स्पेशलाइजेशन किया और अब वापस आ गए हैं। सुपर स्पेशलिटी में नया विभाग की शुरुआत की और अब मरीजों की सेवा में जुट गए हैं। आइए आपको कराते हैं उनसे खास मुलाकात।

पहले एक भी डॉक्टर नहीं थे, अब सुपर में दो न्यूरोलॉजिस्ट हैं
रीवा। डिप्टी सीएम रीवा को मेडिकल हब बनाना चाहते हैं। उनके सपनों को अब रीवा के युवा सच करने में जुट गए हैं। यहां के युवा माटी का कर्ज उतारने में लगे हैं। एमबीबीएस करने के बाद बाहर से स्पेशलाइजेश करने के बाद एक्सपीरियंस लेकर लौट रहे हैं। यहीं पर रह कर मरीजों की सेवा करने का संकल्प ले रहे हैं। ऐसे ही एक डॉक्टर अमिताभ द्विवेदी भी हैं। जिन्होंने बाहर से स्पेशलाइजेशन किया और अब रीवा सुपर स्पेशलिटी में सेवाएं दे रहे हैं। ब्रेन स्ट्रोक, मिर्गी के अलावा अन्य नर्सों से जुड़े मरीजों की सेवा कर रहे हैं। इनके आने के बाद ही सुपर स्पेशलिटी में न्यूरोलॉजी विभाग की शुरुआत हो गई। आइए डॉ अमिताभ से के बारे में जानते हैं। उन्होंने दैनिक जागरण से चर्चा में वह सारी बातें साझा की है जो जानने के लिए आप भी आतुर हैं और जानना भी जरूरी है।
डॉ अमिताभ द्विवेदी, न्यूरोलॉजिस्ट का एक परिचय-
यूजी 2004 बैच के हैं। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज से 2009 के पास आउट हैं। इसके बाद सुभाष चन्द्र बोस मेडिकल कॉलेज जबलपुर से पीजी और साथ में चेन्नई से डीएनबी किए हैं। सेंट स्टीफन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल दिल्ली से न्यूरोलॉजी में सुपर स्पेशलाइजेशन किये हैं। इसके बाद रीवा में सुपर स्पेशलिटी में सहायक प्राध्यापक के पद पर सेवाएं दे रहे हैं। मार्च 2024 में सुपर स्पेशलिटी पहुंचने के बाद ही न्यूरोलॉजी विभाग की शुरुआत हुई। इसके पहले यहां चिकित्सक ही नहीं थे। हर दिन यहां 100 से ऊपर की ओपीडी रहती है।
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डॉ अमिताभ द्विवेदी, न्यूरोलॉजिस्ट से खास बातचीत
सवाल- रीवा लौट कर आने की मंशा क्या है?
जवाब- घर है इसलिए यहीं पर है। यहीं से शिक्षा ग्रहण की अब यहीं के लोगो की सेवा करेंगे।
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सवाल- लागों का इलाज करने में अभी क्या समस्या आ रही है?
जवाब- अभी भी मरीजों को न्यूरोलॉजी से जुड़ी बीमारी और विभाग के बारे में जानकारी नहीं है। किसी को पैरालिसिस अटैक आता है तो साढ़े चार घंटे के अंदर अस्पताल पहुंचता है तो मरीज के रिकवरी के अच्छे चांस रहते हैं।
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सवाल- न्यूरोलॉजी विभाग खुलने से पहले और अब में रीवा में क्या फर्क आया है?
जवाब- लोगों को न्यूरोलॉजिस्ट की जानकारी नहीं है। इनके पास कब जाना है और किसका इलाज करते हैं। इसकी जानकारी नहीं है। इसलिए इधर उधर भटकते रहते हैं। पहले रीवा में एक भी न्यूरोलॉजिस्ट नहंी थे। इलाज के लिए इलाहाबाद और जबलपुर जाना पड़ता था। अब डॉक्टर और संसाधन बढ़ रहे हैं। सुपर में दो और एक जीएमएच में भी डॉक्टर हैं।
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सवाल- किस बीमारी का इलाज न्यूरोलॉजिस्ट करते हैं?
जवाब- स्ट्रोक, मिर्गी, जीबीएस (एक तरह पैरालिसिस), माइग्रेन, न्यूरोपैथी, मायोपैथी, बच्चों के दिमाग का विकास धीरे होगा, पार्किंससन बीमारी यानि हांाि में कंपन, डिमेंसिया, बेल्स पैल्सी, एडीएचडी, ऑटिज्म इन सभी बीमारियों का इलाज न्यूरोलॉजिस्ट करते हैं। मैं एडल्ट के साथ ही बच्चों के न्यूरोलॉजी की बीमारी का भी इलाज करते हैं।
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सवाल- भविष्य में और क्या होने वाला है?
जवाब- न्यूरोफिजियोलॉजी लैब की शुरुआत होगी। इसमें ईईजी,( दिमाग की जांच) एनसीवी (हाथ पैर के नसों की जांच), ईएमजी (मांसपेशियों की जांच), बेरा, वीईपी जैसी जांचे हो जाएगी। इन जांच के लिए जबलपुर जाना पड़ता था। अब यहीं पर मरीजों को सुविधाएं मिलेंगी। वर्तमान में पहली बार रीवा में आंख पडख़टने की बीमारी के एक मामले में बोटोक्स इंजेक्शन लगाया गया। डिपार्टमेंट इस मामले में नया कर रहा है। हाथों में झंझनाट (सीटीएस) वाले मरीजों का भी इलाज इंजेक्शन के माध्यम से शुरू कर दिया गया है।