यूपीएससी परिणाम: दो भाईयों का एक साथ हुआ चयन, घर में आई दोहरी खुशियां

यूपीएससी का मंगलवार को परीक्षा परिणाम जारी किया गया। इस परिणाम ने एक घर में द दोहरी खुशियां भर दी। दो सगे भाइयों का चयन यूपीएससी में हो गया। एक भाई डॉक्टर तो दूसरा आरबीआई में सर्विस कर रहे थे। दोनों ही भाईयों का सपना यूपीएससी थी। जिसे हासिल करने के बाद ही उन्होंने दम लिया। मंगलवार को गोयल परिवार में दोहरी खुशियां आईं।

यूपीएससी परिणाम: दो भाईयों का एक साथ हुआ चयन, घर में आई दोहरी खुशियां

भोपाल।  संघ लोक सेवा आयोग ने यूपीएससी सिविल सर्विस परीक्षा 2023 का फाइनल रिजल्ट मंगलवार को जारी कर दिया है। यूपीएससी सीएसई एग्जाम में इस वर्ष 1016 युवाओं को देश की टॉप सरकारी नौकरी के लिए चुना गया है, इनमें मध्यप्रदेश के 34 छात्र शामिल हैैं। परीक्षा में भोपाल के अभ्यार्थियों का प्रदर्शन भी अप्रत्याशित रहा। शहर से 11 युवाओं ने विश्व की सबसे कठिन परीक्षाओं में से एक यूपीएससी में सफलता प्राप्त की है। दैनिक जागरण ने शहर के चयनित युवाओं से बातचीत कर तैयारी के संघर्ष से लेकर उनकी भविष्य की योजनाओं जाना।
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आरबीआई में नौकरी के साथ कर रहे थे तैयारी
समीर गोयल का एआईआर में 222 वीं रैंक आई है। उन्होने ने बताया कि 2015 में इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने के बाद बड़े भाई समीर ने 2017 में आरबीआई में जॉब शुरु की, लेकिन मन में देश सेवा का भाव प्रबल हुआ तो 2019 में यूपीएससी की तैयारी शुरु की। उनके छोटे भाई सचिन ने 2019 में ग्र्रेजुएशन पूरी कर साथ में तैयारी शुरु की। समीर बताते हैैं कि आरबीआई में काम करते हुए तो हम लोक सेवा करते ही हैैं, लेकिन यूपीएससी के बाद सेवा का अवसर व्यापक हो जाता है। क्योंकि तब आप एक ऑफिस से निकलकर जमीनी स्तर पर कार्य कर पाते हैैं। हालांकि जॉब के साथ तैयारी करना चुनौतीपर्ण रहा। मैैं चार सालों में अपनी तैयारी को लेकर नियमित रहा। ऑफिस जाने से पहले रोज एक घंटा, शाम को जिम और रात में पांच घंटे सिर्फ स्टैैंडर्ड बुक्स से पढ़ाई करता था। साथ ही वीकेंड पर 10 से 12 घंटे तैयारी को देता था।

एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी की फिर यूपीएससी में हुआ चयन
सचिन गोयल का एआईआर में 209वीं रैैंक आई है। उन्होने बताया कि एमबीबीएस की पढ़ाई पूरी हो चुकी थी, लेकिन मन सिविल सर्विस के प्रति था। कारण है कि एक डॉक्टर सिर्फ एक मरीज को ठीक कर सकता है, जबकि प्रशासन में बैठा एक व्यक्ति को पूरे समाज की सेवा करने का अवसर मिलता है। यह मेरा और भैया का पांचवें अटेम्पट था। मैैंने एमबीबीेएस के बाद मैैंने मेडिकल प्रोफेशन से दूरी बना ली थी ऐसे में यह एक रिस्क था, लेकिन आत्मविश्वास और परिवार के सहयोग ने मुझे हमेशा आगे बढऩे का हौंसला दिया। मुंबई में होने के चलते भैया से फोन पर डिस्कशन होता था, जिसमें हम एक दूसरे के क्रिटिक और सपोर्टर बन जाते।