शिक्षक हो तो ऐसा, एक कमरे की सरकारी स्कूल से दिया प्रदेश को टॉपर, बच्चों को सवारे लगा दी जान, गांव वाले मिलकर पढ़ाते हैं
सरकारी स्कूल को लेकर जो धारणाएं लोगों ने बना रखी हैं। वह मांगुरहाई प्रायमरी स्कूल को देखकर बदल जाएंगी। यह स्कूल आनंदघर से कम नहीं है। यहां सिर्फ पढ़ाई नहीं होती। यहां शिक्षक छात्रों के साथ बच्चे बन जाते हैं। छात्रों का भविष्य सवारने जी-जान लगा रहे हैं। एक कमरे की स्कूल ने रीवा का नाम प्रदेश में रोशन किया है। पहली बार इस एक कमरे की स्कूल से ही छात्र का नेशनल ओलंपियाड के लिए चयन हुआ है। यहां गर्मियों में स्कूलें बंद नहीं होती। समर कैंप लगता है। शाम को डांसिंग और सिंगिंग क्लास लगती है। इसका खर्च शिक्षक उठाते हैं।

मगुरिहाई प्रायमरी स्कूल से छात्र ने गणित ओलंपियाड़ में बनाई जगह, नेशनल प्रतियोगिता में होगा शामिल
दो शिक्षक हैं पदस्थ, एक कमरे में स्कूल हैं, आधे आधे समय में दोनों पढ़ाते हैं
गांव के होनहारों की भी मदद लेते हैं, डांस, सिंगिंग सब कुछ सिखाते हैं
रीवा। एक तरफ तो सरकारी स्कूलें पतन की तरफ जा रही हंै। सरकारी स्कूलों को छात्र नहीं मिल रहे। छात्रों की संख्या कम होती जा रही है। कई स्कूलों की हालत ऐसी है कि यहां छात्रों से ज्यादा शिक्षक पदस्थ हैं। सभी प्राइवेट स्कूलों की तरफ भाग रहे हैं। इन्हीं स्कूलों के बीच में निपनिया संकुल अंतर्गत मांगुरिहाई प्राथमिक स्कूल एक अफवाद से कम नहीं है। यह स्कूल लोगों की सोच बदलने के लिए काफी है। यहां सुविधाएं नहीं है लेकिन छात्र फिर भी स्कूल आना नहीं छोड़ते। स्कूल एक कमरे में संचालित होती है। एक ही कमरे में पहली से पांचवी तक संचालित है। इसके बाद भी पढ़ाई के मामले में सभी स्कूलों से अव्वल है। छात्र शिक्षा से लेकर खेलकूद, डांस और गाना में अन्य स्कूलों के छात्रों पर भारी पड़ते हैं। यहां के शिक्षक छात्रों का भविष्य बनाने पूरी सिद्दत से लगे हैं। इसका श्रेय यहां पदस्थ शिक्षक उमेश कुमार सेन को जाता हैं। उमेश कुमार सेन ने स्कूल के साथ ही छात्रों की किस्मत ही बदल दी है। आसपास के गांव के बच्चे प्राइवेट की जगह इसी सरकारी स्कूल में दाखिला लेने के लिए होड़ लगाए रहते हैं।
पहली बार नेशनल ओलंपियाड में जाएगा रीवा का छात्र
रीवा विकासखंड से प्राथमिक शाला मांगुरिहाई से कृतज्ञ सिंह कक्षा तीन वर्ग मे प्रथम स्थान प्राप्त कर मुम्बई में आयोजित ओलंपियाड प्रतियोगिता के अंतिम चरण में शामिल हुए हैं। कृतज्ञ सिंह को पढ़ाने और यहां तक पहुंचाने का श्रेय विद्यालय के शिक्षक उमेश कुमार सेन को ही जाता है। उमेश कुमार सेन की मेहनत का ही नतीजा है कि कोई छात्र रीवा से इस ऊंचाई तक पहुंचा है। यह पहली बार है जब रीवा का कोई छात्र नेशनल ओलंपियाड प्रतियोगिता में शामिल होगा।
एक कमरे की है स्कूल, फिर भी सब ओके
मांगुरिहाई प्राथमिक स्कूल एक कमरे की है। एक कमरे में ही शुरू होती है और एक ही कमरे में खत्म हो जाती है। यहां छात्रों के लिए कोई सुविधाएं नहीं है। इसी कमरे में मध्यान्ह भोजन, आफिस और कक्षाएं चलती है। इसे मैनेज करने के लिए शिक्षकों ने समयावधि बांट ली है। सुबह के दो घंटे उमेश कुमार सेन स्कूल के उत्कृष्ट छात्रों की क्लास लेते हैं। उन्हें गणित और अंगे्रजी पढ़ाते हैं। इसके बाद की कक्षाएं सरीफा बेगम लेती हैं। यहां दो शिक्षक पदस्थ हैं।
1956 से संचालित है स्कूल, विवाद की वजह से नहीं बन पाया भवन
मांगुरिहाई प्राथमिक स्कूल का संचालन वर्ष 1956 से हो रहा है। यह स्कूल गावं के ही दानदाता की दान की गई भूमि पर बना था। पहले एक ही कमरे में संचालित हो रहा था। बाद में वर्ष 2005 में शासन ने भवन के विस्तार की योजना बनाई। सिंगल कमरे वाली स्कूलों के विस्तार के लिए 1 लाख 25 हजार रुपए का बजट इश्यू किया गया। जब भवन निर्माण की बारी आई और थोड़ी जमीन बढ़ाई गई तो दानदाता के परिजनों ने अड़ंगा लगा दिया। तब से अब तक इस भूमि का विवाद न्यायालय में चल रहा है। इसके कारण भवन का विस्तार नहंी हो पाया।
वर्तमान में है 24 छात्र, गांव के युवक भी पढ़ाते हैं
मांगुरिहाई प्राथमिक स्कूल प्रशासन और शासन की योजनाओं तक ही सीमित नहीं है। यहां के छात्रों को पढ़ाने के लिए गांव के युवक भी सामने आते हैं। गांव के पढ़े लिखे युवकों की भी मदद ली जाती है। वह भी स्कूल पहुंच कर बच्चों को पढ़ाते हैं। कई युवक बाहर हैं और अच्छे पदों पर हैं। कई कॉलेजों में पढ़ रहे हैं। वह भी अपनी निस्वार्थ सेवा देते हैं।
1 घंटे सिंगिंग और डांसिंग क्लास चलाते हैं
यहां के बच्चे सिर्फ शिक्षा तक ही सीमित नहंी है। बच्चों को हर क्षेत्र में आगे बढ़ाने के लिए यहां के शिक्षक डांस और सिंगिंग क्लास भी संचालित करते हैं। इसमें आने वाला खर्च खुद वहन करते हैं। इसके लिए छात्रों के अभिभावको से किसी तरह का शुल्क नहीं लेते हैं। यही वजह है कि यहां के छात्र हर डांस और गायन प्रतियोगिता में हिस्सा लेते हैं। हाल ही में 12 और 13 अप्रैल को कृष्णा राज कपूर ऑडिटोरियम में आयोजित प्रतियोगिता में विद्यालय के 8 से 10 बच्चों ने हिस्सा लिया था।
स्कूल बंद होती है तो छात्र ही करने लगते हैं फोन
मांगुरिहाई स्कूल का माहौल ही अन्य स्कूलों से जुदा हैं। यहां बच्चे शिक्षकों से इतने घुलेमिले हैं कि हर चीजें शेयर करते हैं। यहां बच्चों को पढ़ाने के साथ ही उन्हें हर तरह से व्यस्त रखने की कोशिश करते हैं। छुट्टियों में शिक्षकों को समर कैंप लगाना पड़ता है। ज्यादा दिनों तक बच्चे स्कूल से दूर नहीं कर पाते। छुट्टियों में भी नहीं जाते। यदि लंबी छुट्टियां होती हैं तो बच्चे और अभिभावक खुद ही शिक्षकों को फोन करने लगते हैं। गर्मियों में यहां समर कैंप चलाना पड़ता है।
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सिर्फ 1 कमरे की स्कूल हैं। वर्तमान में 24 छात्र दर्ज हैं। स्कूल के छात्रों को बेहतर शिक्षा देने की कोशिश करते हैं। विवादित भूमि होने के कारण भवन का विस्तार नहंी हो पाया है। हमारे स्कूल से 3रीं का छात्र नेशनल ओलंपियाड में चयनित हुआ है। डांस और सिंगिंग क्लास भी आयोजित की जाती है। गर्मियों में समर कैंप लगाते हैं। यहां के छात्रों की उपस्थिति शतप्रतिशत रहती है।
उमेश कुमार सेन
हेडमास्टर, मांगुरिहाई प्राथमिक शाला रीवा