मेडिकल कॉलेज में मंडराया मान्यता का खतरा, कई विभागों से फिर छोडऩे वाले हैं डॉक्टर

श्याम शाह मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर संकट मंडराने लगा है। यहां के डॉक्टर छोड़कर भाग रहे हैं। कई डॉक्टर छोड़कर सतना सहित अन्य कॉलेजों में ज्वाइन कर चुके हैं। अब जो बचे हैं, वह भी जाने की तैयारी में है। कई डॉक्टरों ने एनओसी ले ली है। ऐसे में एमबीबीएस की परीक्षा में हालात ऐसे हैं कि इंटरनल के लिए भी पड़ोसी जिला से शिक्षकों को बुलाना पड़ रहा है।

मेडिकल कॉलेज में मंडराया मान्यता का खतरा, कई विभागों से फिर छोडऩे वाले हैं डॉक्टर
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कई विभागों के डॉक्टरों ने एनओसी पहले से ले ली
प्रदेश में पांच मेडिकल कॉलेजों में चल रही पदपूर्ति के लिए प्रक्रिया
रीवा। ज्ञात हो कि मप्र सरकार धड़ाधड़ मेडिकल कॉलेज की घोषणा कर रही है। प्रदेश में अब 19 मेडिकल कॉलेज हो गए हैं। कई मेडिकल कॉलेज शुरू हो गए हैं। इन कॉलेजों में प्रवेश की तैयारी है। इसके पहले शिक्षकों की भर्ती की प्रक्रिया शुरू हो गई है। इसका असर वर्तमान में संचालित मेडिकल कॉलेजों पर पड़ रहा है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज रीवा इससे अछूता नहीं रह गया है। पड़ोसी जिला सतना में मेडिकल कॉलेज की शुरुआत हुई तो कई डॉक्टर यहां से पलायन कर गए। इनके जाने से कई विभागों में शिक्षकों का टोटा पड़ गया। अब फिर से प्रदेश के पांच मेडिकल कॉलेजों में इंटरव्यू शुरू हुआ है। इसके चलते फिर से यहां से कई डॉक्टरों के जाने की सुगबुगाहट शुरू  हो गई है। कॉलेज छोडऩे के पहले डॉक्टरों को मेडिकल कॉलेज से एनओसी लेनी पड़ती है। इस प्रक्रिया को भी कई प्रोफेसर, एसोसिएट प्रोफेसर और असिस्टेंट प्रोफेसरों ने पूरी कर ली है। ऐसा नए डीन के आने के पहले ही पूरी कर ली। उन्हें इस बात का अंदेशा था कि नए डीन के आने से उनकी मंशा पर पानी फिर सकता था कि ऐसे में स्थापना लिपिक से मिलकर एनओसी क्लियर कर ली। अब कभी भी वह श्याम शाह मेडिकल कॉलेज को बाय बाय कर सकते हैं। ऐसा हुआ तो श्याम शाह मेडिकल कॉलेज की मान्यता पर सवाल खड़े हो जाएंगे।
सह प्राध्यापक हैं लेकिन वह कोर्स करने चले गए
फार्मेकोलॉजी विभाग में डॉ प्रभाकर सिंह भी सह प्राध्यापक के पद पर हैं लेकिन वह कोर्स करने बाहर चले गए हैं। अब डेढ़ से दो साल के पहले वह लौट नहीं सकते हैं। ऐसे में यदि डॉ आदेश पाटीदार कहीं दूसरे मेडिकल कॉलेज में ज्वाइन करते हैं तो विभाग में कोई भी प्रोफेसर नहीं बचेेगा।  ऐसे में परीक्षा तक कराने का संकट खड़ा हो जाएगा। पढ़ाने के लिए भी कोई नहीं बचेगा।
सिर्फ एक प्रोफेसर बचे हैं
फार्मेकोलॉजी विभाग में सिर्फ एक प्रोफेसर के भरोसे विभाग चल रहा है। एमबीबीएस परीक्षा में वैसे तो बाहर से दो एक्सटर्नल और कॉलेज से दो इंटरनल की जरूरत होती है। लेकिन यहां स्थिति खराब है। सिर्फ एक प्रोफेसर डॉ आदेश पाटीदार हैं। इंटरनल एग्जामिनर की पूर्ति के लिए सतना मेडिकल कॉलेज से डॉ बलबीर सिंह कोि बुलाया गया। वहीं एक्सटर्नल के रूप में डॉ हेमंत तनवानी एमजीएएम मेडिकल कॉलेज, डॉ रितेश चुरिहार भोपाल गांधी मेडिकल कॉलेज से पहुंचे थे। 27 से 30 अप्रैलल तक प्रैक्टिकल परीक्षाएं आयोजित की गई।
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फोरेंसिक विभाग में सिर्फ एक ही एसोसिएट प्रोफेसर बचे हैं
इसी तरह शिक्षकों की कमी से फोरेंसिक मेडिसिन विभाग भी जूझ र हा है। यहां जितने भी डॉक्टर थे, सब छोड़कर बाहर जा चुके हैं। एचओडी डॉ शशिधर गर्ग थे वह भी सतना मेडिकल कॉलेज में डीन के पद पर ज्वाइन कर चुके हैं। अब सिर्फ एक सह प्राध्यापक डॉ रजनीश पाण्डेय बचे हुए हैं। इन्हीं के भरोसे विभाग चल रहा है। ऐसे में यदि यह भी कहीं दूसरी जगह ज्वाइन करते हैं तो यह विभाग भी पूरी तरह से खाली हो जाएगा।