सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंची एक और करोड़ों की मशीन, जुलाई में एक साथ शुरू होंगी तीन मशीनें
विंध्य के लोगों के स्वास्थ्य सुविधाओं में एक और इजाफा हो गया है। दिल का इलाज अब यहां मशीन के कारण रुकेगा नहीं। करोड़ों रुपए कीमत की एक और कैथलैब मशीन सुपर स्पेशलिटी पहुंच गई है। यह मशीन पांचवी मंजिल पर इंस्टाल की जाएगी। इसकी तैयारी पहले ही कर ली गई थी। अब इंस्टालेशन के बाद इसका उपयोग शुरू हो जाएगा।

दो कैथलैब मशीनें हो गईं, पहली काफी पुरानी होने के कारण खराब होने लगी थी
कार्डियोलॉजी विभाग के मरीजों को मिलेगी राहत, कैथलैब की खराबी के कारण इलाज रुकेगा नहीं
रीवा। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल विंध्य के दिल के मरीजों के लिए वरदान बन गया है। यहां कार्डियोलॉजी विभाग में दिल के मरीजों की लाइन लग रही है। गरीब मरीजों के दिल का इलाज भी अब संभव हो गया है। यहां आयुष्मान कार्डधारियों का नि:शुल्क इलाज हो रहा है। यहां तीन कार्डियोलॉजिस्ट भी पदस्थ हैं लेकिन मरीजों की संख्या के हिसाब से कैथलैब मशीन कम थी। मशीन भी काफी पुरानी हो चुकी थी और अपनी क्षमता के अनुसार काम नहीं कर रही थी। खराबियां आने लगी थी। मशीन की खराबी के कारण दिल के मरीजों का इलाज नहीं हो पा रहा था। उन्हें बाहर रेफर करना पड़ रहा था। ऐसे में डिप्टी सीएम तक जब यह बात पहुंची तो उन्हें सुपर स्पेशलिटी अस्पताल के लिए एक और कैथलैब के आदेश दे दिए। चंद महीनों में ही सारी प्रक्रिया हो गई और बुधवार को कैथलैब मशीन सुपर स्पेशलिटी अस्पताल भी पहुंच गई। मशीन को क्रेन की मदद से पांचवी मंजिल तक चढ़ा भी दिया गया है। कैथलैब के लिए कक्ष पहले से ही तैयार करा लिया गया था। अब उसके इंस्टालेशन की प्रक्रिया शुरू की जाएगी। उम्मीद है कि एक महीने में इस नई कैथलैब से भी लोगों के दिलों का इलाज शुरू हो जाएगा।
6 करोड़ की है नई कैथलैब मशीन
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल पहुंची कैथलैब मशीन करीब 5 से 6 करोड़ की है। इस कंपनी को इंस्टाल करने का ठेका हाइट्स को मिला है। मशीन मेड इन जापान है। जापान से ही मंगाई गई है। इस मशीन के इंस्टालेशन से लेकर 5 साल तक मेंटीनेंस का जिम्मा भी हाइट्स के पास ही रहेगा। इसके बाद भी पांच साल तक यह मेंटीनेंस में ही रहेगी। कुल मिलाकर 10 साल तक इसकी लाइफ आंकी जा रही है। वहीं पुरानी कैथलैब 10 साल से भी पुरानी हो चुकी है। वह अपनी क्षमता से कहीं अधिक काम कर चुकी है। यही वजह है कि उसका दम फूलने लगा है। खराबी आने लगी है।
औसतन सालभर में 1800 एंजियोप्लास्टी 3800 एंजियोग्राफी होती है
सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में दिल के रिकार्डतोड़ आपरेशन होते हैं। सुपर स्पेशलिटी अस्पताल प्रदेश में रिकार्ड तोड़ आपरेशन करने वाला पहला सरकारी संस्थान हैं। यहां पिछले साल 1800 एंजियोप्लास्टी और 3800 एंजियोग्राफी हुए थे। इससे अनुमान लगाया जा सकता है कि एक साल में 5 से 6 हजार औसतन दिन के आपरेशन सिर्फ कॉर्डियोलॉजी विभाग में हो रहे हैं। ऐसे में कैथलैब मशीन की आवश्यकता और बढ़ ही गई थी। तीन डॉक्टरों के बीच में सिर्फ एक ही कैथलैब थी। अब दो हो जाएगी।
दो और मशीनें हो रही हैं इंस्टाल, एक साथ तीन मशीनों का मिलेगा लाभ
संजय गांधी अस्पताल और सुपर स्पेशलिटी अस्पताल में सुविधाएं और व्यवस्थाएं बढ़ाई जा रही हैं। डिप्टी सीएम रीवा को मेडिकल हब के रूप में देखना चाहते हैं। यही वजह है कि रीवा में वह सारी सुविधाएं मुहैया कराने में जुटे हैं, जिसके लिए लोग बाहर जाते हैं। हाल ही में करोड़ों का बजट स्वीकृत हुआ है। इससे इंन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार होगा। इसके अलावा संजय गांधी अस्पताल में करीब 9 करोड़ की सीटी स्केन मशीन पहुंच गई है। इंस्टालेशन का काम जारी है। सुपर स्पेशलिटी में ही करीब 13-14 करोड़ की एमआरआई मशीन लग गई है। इंस्टालेशन का काम लगभग पूरा हो चुका है। कंपनी के इंजीनियर फिनिसिंग में लगे हैं। इन तीनों मशीनों के अलगे महीने शुरू होने की उम्मीद है।
इनका कहना है
नई कैथलैब मशीन अस्पताल पहुंच गई है। पांचवी मंजिल में इंस्टाल किया जाएगा। अगले महीने तक उम्मीद है कि इंस्टालेशन का काम पूरा हो जाएगा। एमआरआई का काम भी अंतिम चरण में ही है। उम्मीद है कि दोनों ही मशीनो का लाभ मरीजों को अगले महीने से मिलना शुरू हो जाएगा।
डॉ अक्षय श्रीवास्तव
अधीक्षक, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल रीवा
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सुपर स्पेशलिटी में सालभर में औसतन 5 से 6 हजार एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी हो रहे हैं। इसके हिसाब से यहां पर एक और कैथलैब की जरूरत थी। वह पूरी हो गई है। यदि यहां डॉक्टर आ जाएं तो 5 से 6 मशीनें भी कम पड़ जाएंगी।
डॉ वीडी त्रिपाठी एचओडी
कार्डियोलॉजी विभाग, सुपर स्पेशलिटी अस्पताल