राजस्व अधिकारियों की हड़ताल खत्म, 13 दिन चला विरोध प्रदर्शन लेकिन खत्म नहीं करा पाए आदेश
राजस्व अधिकारियों की हड़ताल खत्म हो गई है। 13 दिन चले विरोध प्रदर्शन के बाद कुछ खास हाथ नहीं लगा। सिर्फ नियमों मे संसोधन कर दिया गया। पूरा पॉवर अभी भी कलेक्टर के पास ही है। सिर्फ इसमें शर्त जोड़ दी गई कि न्यायालय को मर्ज करने के पहले शासन से अनुमति लेनी होगी। भोपाल में हुई बैठक के बाद संघ ने सरेंडर कर दिया। आज से सभी अधिकारी काम पर वापस नजर आएंगे।

रीवा। आपको बता दें कि राजस्व अधिकारियों के बीच में कार्यविभाजन का आदेश शासन ने जारी किया था। शासन के आदेश के बाद इसे रीवा में भी लागू कर दिया गया था। कलेक्टर ने आदेश जारी कर अधिकारियों के बीच गैर न्यायालयीन और न्यायालयीन कार्यों का बटवारा कर दिया था। कुछ अधिकारियों को न्यायालयीन तो कईयों को गैर न्यायालयीन कार्य सौप दिए गए थे। ऐसा कई जिलों में किया गया। इसी का राजस्व अधिकारी संघ ने विरोध किया था। 6 अगस्त से काम बंद कर दिए थे। सभी धरने पर बैठ गए थे। सभी जिलों में संघ के निर्देेश पर प्रदर्शन हुआ। राजस्व अधिकारियों के हड़ताल पर जाने से काम काज भी प्रभावित हुआ। शासन ने चर्चा करने की कोशिश की लेकिन संघ एक ही मांग पर अड़ा रहा कि जारी किया गया आदेश निरस्त किया जाए। इसी शर्त पर सभ काम पर वापस लौटेंगे। इसके बाद मप्र शासन राजस्व विभाग ने फिर कार्य विभाजन आदेश में संशोधन आदेश जारी किया। इस आदेश से भी राजस्व अधिकारी संतुष्ट नहीं हुई। अब 13 दिन की हड़ताल के बाद भोपाल में हुई बैठक के बाद संघ शासन के मनाने पर मान गया है। सभी राजस्व अधिकारी काम पर मंगलवार से वापस लौट आए हैं। संघ ने जो मांग की थी वह तो नहीं हुआ लेकिन पुराने आदेश में ही गोलमाले कर दिया। अब भी सारा पॉवर कलेक्टर को ही दिया गया है। वह जिसे चाहेंगी, उस अधिकारी को ही न्यायालयीन कार्य देंगी। ऐसे में विरोध का कोई विशेष फर्क नहीं पड़ा। जीत में भी अधिकारियों के हाथ कुछ नहीं आया।
यह हटाया दिया गया अब सिर्फ राजस्व अधिकारी
आदेश संशोधन कर राजस्व विभाग ने अधिकारियों को राहत देने की कोशिश की है। इसमें कहा है कि अब उन्हें न्यायालयीन और गैर न्यायालयीन राजस्व अधिकारी नहीं कहा जाएगा। सिर्फ राजस्व अधिकारी और दंडाधिकारी ही कहलाएंगे। इसके अलावा कलेक्टर कोई भी न्यायालय मर्ज करने के पहले शासन से अनुमति लेगे।